इस वर्ष देश में रबी का रकबा गत वर्ष की तुलना में लगभग 22 लाख हे. से अधिक बढ़ा है। गत वर्ष जहां 697.98 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी वहीं इस वर्ष 720.68 लाख हेक्टेयर में बोनी की गई है। जो गत वर्ष की तुलना में 22.71 लाख हेक्टेयर अधिक है। सबसे अधिक चावल एवं तिलहनी फसलों की बुवाई बढ़ी है इसमें क्रमश: 11.20 एवं 7.49 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। गेहूं के रकबे में 1.39, मोटे अनाजों में 2.08 लाख हेक्टेयर तथा दलहनी फसलों में मात्र 56 हजार हे. की वृद्धि दर्ज की गई है।
चावल में सर्वाधिक तेजी
कृषि मंत्रालय द्वारा 3 फरवरी को जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक सभी फसलों के क्षेत्र में बढ़त हुई है, लेकिन सर्वाधिक तेजी चावल में दर्ज की गई है। सभी रबी फसलों में 22.71 लाख हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। चावल के क्षेत्र में 2021-22 में 35.05 लाख हेक्टेयर से 2022-23 में 46.25 लाख हेक्टेयर तक 11.20 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है।
तिलहन का भी बढ़ा उत्पादन
खाद्य तेलों में आयात निर्भरता को कम करने के लिए भारत सरकार का पूरा ध्यान तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर है। 2021-22 में देश को 1.41 लाख करोड़ रुपए की लागत से 142 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ा था। तिलहन पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के कारण तिलहन के तहत आने वाला क्षेत्र 2021-22 के दौरान 102.36 लाख हेक्टेयर से 7.31 प्रतिशत बढकर इस वर्ष 109.84 लाख हेक्टेयर तक हो गया है। तिलहन के क्षेत्र में बड़े विस्तार के लिए प्रमुख रूप से योगदान राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का है।
इस रबी सीजन में तिलहन का क्षेत्र विस्तारित करने में सफेद सरसों और काली सरसों का सर्वाधिक योगदान रहा है। सरसों का क्षेत्रफल 2021-22 के 91.25 लाख हेक्टेयर से 6.77 लाख हेक्टेयर बढकर 2022-23 में 98.02 लाख हेक्टेयर हो गया।
दलहन उत्पादन में भी हुई बढ़ोतरी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत विशेष कार्यक्रम अच्छे बीज तथा तकनीकी हस्तक्षेप की कमी के कारण दलहन की राज्य औसत उपज से कम वाले 370 जिलों की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। दलहन का क्षेत्रफल 0.56 लाख हेक्टेयर वृद्धि के साथ 167.31 लाख हेक्टेयर से बढकर 167.86 लाख हे. हो गया है। दलहन के रकबे में मूंग और मसूर की बढ़त हुई है।