Wednesday, June 26, 2024
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राहुल गांधी ने तोड़े कई मिथक

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Samvad


rambol Tomarकांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से छवि कितनी बदली? राहुल गांधी का जो मकसद था, उसको पूरा कर पाने में क्या कामयाब हुए हैं? जनता तक क्या अपना संदेश पहुंचाने में राहुल गांधी को कामयाबी मिली? ये तमाम ऐसे सवाल हैं, जो जवाब मांग रहे हैं। वर्तमान में राहुल गांधी की यात्रा हरियाणा में प्रवेश कर चुकी है। दरअसल, राहुल गांधी ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर से इस यात्रा की शुरुआत की थी। देश के कई राज्यों से होते हुए उनकी यह यात्रा हरियाणा तक आ पहुंची है। उनकी पदयात्रा करीब चार हजार किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी है। अपने आप में यह यात्रा मील का पत्थर साबित हो रही है। कश्मीर में जाकर यह यात्रा खत्म होगी, जो करीब फरवरी में राहुल गांधी की यात्रा कश्मीर में दस्तक देगी। इस दौरान गुजरात के चुनाव नतीजे भी आए और हिमाचल के चुनावी नतीजे भी। गुजरात में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा, वहां भाजपा के तिलिस्म को कांग्रेस नहीं तोड़ पाई, वही हिमाचल में अवश्य ही कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देने में कामयाबी हासिल की। करीब एक माह राहुल गांधी की इस यात्रा को बीत चुका है। देखा जाए तो राहुल गांधी आत्मविश्वास से भरे हुए दिखाई देते हैं। कोई थकान उनके चेहरे पर यात्रा के दौरान दिखाई नहीं देती। उनकी बॉडी लैंग्वेज से लग रहा है, जैसे बड़ी उपलब्धि इस दौरान प्राप्त की है। यात्रा के दौरान राहुल गांधी कह भी रहे हैं कि पैदल यात्रा के अलावा जनता के बीच जाने का दूसरा रास्ता उनके पास नहीं था, क्योंकि मीडिया में उनकी कवरेज भी नहीं दी जा रही थी।

जनता तक कांग्रेस की बात नहीं पहुंच रही थी। संसद में भी मुद्दे उठाए गए, लेकिन मीडिया ने जिस तरह से कवरेज देनी चाहिए थी, वो नहीं दी। ऐसे हालात में जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आखिर राहुल गांधी ने पैदल यात्रा पर निकलने का निर्णय किया। इसमें दो राय नहीं है कि राहुल गांधी के इस पैदल यात्रा से जहां कांग्रेस का माहौल तैयार हुआ, वही एक ऐसी लकीर राहुल गांधी खींचने में कामयाब हो गए कि वह वातानुकूलित रूम में रहने की जो उन पर छाप लगी थी, वो मिथक भी टूटा। छवि को बदलने में भी उन्हें कामयाबी मिली, बल्कि धरातल पर भी काम हुआ।

पार्टी संगठन जो हवा में रहता था, उसे भी जनता के बीच ले आए। कभी कड़ी सुरक्षा होने की वजह से उन्हें यह भी कहा जाता था कि वह जनता से नहीं मिलते। इस पदयात्रा ने साफ कर दिया कि राहुल गांधी चाय की चुस्की भी जनता के बीच ले रहे हैं और भोजन भी। सुबह भी और रात्रि विश्राम भी जनता के बीच हो रहा हैं। तमाम सुरक्षा चक्र तोड़कर जनता के बीच चार हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं। ये बड़ी उपलब्धि हैं। इसमें दो राय नहीं। इससे राहुल गांधी की लोकप्रियता भी जनता के बीच बढ़ी है।

यह कहना तो मुश्किल है कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद पूरा करने में राहुल गांधी कितने कामयाब रहे, लेकिन भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को ये यात्रा चुनौती दे रही है। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी का मां के प्रति ममत्व भी सामने आया। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी जब उनकी यात्रा में पहुंची तो उनके जूते का फीता बांधते हुए राहुल गांधी नजर आए थे। आम लोगों के साथ उनका वक्त बीतना, कई संदेश दे रहा है।

यात्रा के दौरान कई भावुक कर देने वाली तस्वीरें भी वायरल हुईं हैं, जिनमें बारिश के बीच राहुल गांधी भाषण देते हुए दिखे तो कहीं अपनी मां सोनिया गांधी के जूते का फीता बानते हुए और यही नहीं, बच्चों को गले भी लगाया। उनके साथ खेले भी। यह उनका कई तरह का रंग भी इस यात्रा में देखने को मिला। अब देखना यह है कि इस यात्रा से राजनीतिक और सामाजिक माहौल क्या बना है? इसी पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। दक्षिण भारत की राजनीति को इस यात्रा ने एक तरह से हिला कर रख दिया है और अच्छा संदेश भी गया है।

बड़ा सवाल यह भी है कि क्या राहुल गांधी की छवि भी इस पदयात्रा से बदल रही है? हमेशा राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालने से इनकार करते रहे। एक बाद पद छोड़ा, फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने। मीडिया में प्रमुखता से यह भी कहा गया कि राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस का बंटाधार हुआ, लेकिन इन सवालों का जवाब भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने दे दिया है। अपनी उस छवि को तोड़कर नई छवि की तरफ राहुल गांधी बढ़ गए हैं।

इसमें दो राय नहीं हैं कि राजनीतिक पंडित भी अब मानने लगे हैं कि राहुल गांधी ने बहुत हद तक खुद को एक गंभीर राजनेता के रूप में इस यात्रा के जरिए स्थापित कर लिया है। जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भाजपा ने एक कमजोर और मजाकिया नेता के तौर पर जनता के सामने पेश किया था। भाजपा के उस मिथक को भी राहुल गांधी ने तोड़ा। राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिए अपनी छवि को इतना मजबूत किया और भाजपा को भी जवाब दिया कि वो कमजोर नेता नहीं हैं। पद यात्रा की जो लकीर उन्होंने खींची है, वो एक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई।


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