Wednesday, September 18, 2024
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राहुल गांधी के झूठ की खुली पोल, UPA सरकार ने ही की थी लेटरल एंट्री की पैरवी, पढ़िए पूरा कच्चाचिट्ठा…

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने इसका पुरजोर समर्थन किया था। एआरसी को भारतीय प्रशासनिक प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नागरिक अनुकूल बनाने के लिए सुधारों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था।

आपको बता दें कि संघ लोकसेवा आयोग ने हाल ही में लेटरल एंट्री के जरिये से केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में 45 पदों पर संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उपसचिवों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। इसका कांग्रेस समेत विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और उनका आरोप है कि यह ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण को दरकिनार करता है। सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि विरोध का झंडा बुलंद कर रही कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान ही लेटरल एंट्री की अवधारणा को पहली बार पेश किया गया था।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने इसका पुरजोर समर्थन किया था। एआरसी को भारतीय प्रशासनिक प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नागरिक अनुकूल बनाने के लिए सुधारों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था।

मोइली की अध्यक्षता में दूसरे एआरसी का गठन भारतीय प्रशासनिक प्रणाली की प्रभावशीलता, पारदर्शिता और नागरिक मित्रता को बढ़ाने के लिए सुधारों की सिफारिश करने के लिए किया गया था। ‘कार्मिक प्रशासन का नवीनीकरण-नई ऊंचाइयों को छूना’ शीर्षक वाली अपनी 10वीं रिपोर्ट में आयोग ने सिविल सेवाओं के अंदर कार्मिक प्रबंधन में सुधारों की जरूरत पर जोर दिया था। इसकी एक प्रमुख सिफारिश यह थी कि उच्च सरकारी पदों पर लेटरल एंट्री शुरू की जाए, जिसके लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है।

पहले सुधार आयोग ने भी महसूस की थी जरूरत

सरकारी सूत्रों ने कहा कि लेटरल एंट्री का ऐतिहासिक संदर्भ भी है। मोरारजी देसाई (बाद में के. हनुमंतैया द्वारा सफल) की अध्यक्षता में 1966 में स्थापित प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने सिविल सेवाओं के अंदर विशेष कौशल की आवश्यकता पर भविष्य की चर्चाओं के लिए आधार तैयार किया। हालांकि, इस आयोग ने आज की तरह लेटरल एंट्री की विशेष रूप से वकालत नहीं की थी।

सरकार ने ऐतिहासिक रूप से बाहरी प्रतिभाओं को सरकार के उच्च स्तरों में शामिल किया है, आमतौर पर सलाहकार भूमिकाओं में लेकिन कभी-कभी प्रमुख प्रशासनिक कार्यों में भी। उदाहरण के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार पारंपरिक रूप से एक लेटरल एंट्री से नियुक्त होने वाला शख्स होता है, जो नियमों के अनुसार, 45 वर्ष से कम आयु का होना चाहिए और हमेशा एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होता है। इसके अतिरिक्त कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सरकार के सचिवों के रूप में उच्चतम स्तर पर नियुक्त किया गया है।

मोदी सरकार ने 2018 में औपचारिक रूप से किया शुरू

लेटरल एंट्री योजना को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था। यह भारत की प्रशासनिक मशीनरी की दक्षता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता की मान्यता से प्रेरित था। 2018 में सरकार ने संयुक्त सचिवों और निदेशकों जैसे वरिष्ठ पदों के लिए रिक्तियों की घोषणा कर महत्वपूर्ण कदम उठाया।

यह पहली बार था कि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के पेशेवरों को इन उच्चस्तरीय भूमिकाओं के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। चयन प्रक्रिया कठोर थी। इसमें उम्मीदवारों की योग्यता, अनुभव और इन रणनीतिक पदों के लिए उपयुक्तता पर जोर दिया गया था। यह पहल दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों से से प्रभावित थी।

एआरसी ने प्रशासन को आधुनिक शासन की जटिलताओं के प्रति अधिक गतिशील और उत्तरदायी बनाने के लिए सिविल सेवाओं में बाहरी विशेषज्ञता लाने के महत्व पर जोर दिया था। 2018 में संयुक्त सचिवों की भर्ती ने एआरसी के दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से लागू किया, जो पारंपरिक सिविल सेवा ढांचे के बाहर से विशेष कौशल को एकीकृत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

आयोग ने इन पांच बिंदुओं पर दिया था जोर, विशेषज्ञता की आवश्यकता

आयोग के अनुसार, कुछ सरकारी भूमिकाओं के लिए विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है, जो पारंपरिक सिविल सेवाओं में हमेशा उपलब्ध नहीं होती। इसने इन अंतरालों को भरने के लिए निजी क्षेत्र, शिक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से पेशेवरों की भर्ती करने की सिफारिश की।

प्रतिभा पूल का निर्माण

आयोग ने पेशेवरों के एक प्रतिभा पूल के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिन्हें अल्पकालिक या संविदात्मक आधार पर सरकार में शामिल किया जा सकता है। ये अर्थशास्त्र, वित्त, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक नीति जैसे क्षेत्रों में नए दृष्टिकोण और अत्याधुनिक विशेषज्ञता लाएंगे।

चयन प्रक्रिया

आयोग ने लेटरल एंट्री से नियुक्त होने वालों के लिए पारदर्शी और योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया पर जोर दिया और उनकी भर्ती तथा प्रबंधन की देखरेख के लिए एक समर्पित एजेंसी की स्थापना का सुझाव दिया।

प्रदर्शन प्रबंधन

आयोग ने लेटरल एंट्री से भर्ती होने वालों को उनके काम के लिए जवाबदेह बनाने और उनके योगदान का नियमित रूप से आकलन करने के लिए एक मजबूत प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली की सिफारिश की।

मौजूदा सिविल सेवाओं के साथ एकीकरण

आयोग ने मौजूदा सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री से नियुक्त होने वालों को इस तरह से एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया कि इससे सिविल सेवा की अखंडता और लोकाचार को बनाए रखा जा सके और साथ ही उनके द्वारा लाए गए विशेष कौशल का लाभ उठाया जा सके।

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