Wednesday, July 3, 2024
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सावन के महीने में करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, सभी कष्ट होंगे दूर…

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। सावन का महीना चल रहा है। सनातन धर्म में इस पवित्र माह का अत्यधिक महत्व है। बताया जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस महीने में श्रद्धालु देवों के देव महादेव को खुश करने के लिए विशेष पूजा और अभिषेक करते हैं।

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शास्त्रों में भगवान शिव के कई ऐसे चमत्कारिक मंत्रों व स्तोत्र का उल्लेख है जिनका जाप करने से बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते है। इन्हीं में से एक स्तोत्र है शिव तांडव स्तोत्र। आप भी सावन के इस पवित्र महीने में शिव तांडव स्तोत्र का जाप कर भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते है।

ऐसे करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह या फिर शाम के समय करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव को प्रणाम करके धूप, दीप और नैवेद्य से पूजा करें। पूजा-पाठ संपूर्ण होने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें।

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ तेज आवाज में गाकर करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें, तो मन में किसी के प्रति दुर्भावना ना हो, क्योंकि यह पाठ अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जावान है।

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से होंगे यह फायदे

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शिव तांडव स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करने से साधक का आत्मबल मजबूत होता है, चेहरा तेजमय होता साथ ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व प्राप्त होता है। शिव तांडव स्त्रोत करने से मनुष्य को वाणी की सिद्धि भी प्राप्त हो सकती है।

भगवान भोलेनाथ नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी सिद्धियों को प्रदान करने वाले देवता हैं, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है। तांडव स्त्रोत का पाठ करने से हिंदी की कुंडली में लगे कालसर्प दोष, शनि देव के कुप्रभाव पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

भगवान शिव के परम भक्त ने की शिव तांडव स्तोत्र की रचना

भगवान शिव के परम भक्त रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार अहंकार में आकर रावण ने कैलाश पर्वत उठाने की कोशिश की, परंतु भगवान शिव ने उसे अपने अंगूठे से दबा दिया, जिसमें रावण के हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब गए।

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दर्द से कराहते रावण ने उसी समय भागवान शिव के लिए शिव तांडव स्तोत्र की रचना की, जिसमें 17 श्लोक हैं। इस शिव तांडव स्तोत्र को भगवान शिव के समक्ष गाया, जिससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए।

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