जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर काफी गंभीर हैं। ऐसे में विजिलेंस की रिपोर्ट पर जल्द ही कठोर निर्णय लिया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस को जांच के दौरान अजय पाल और हिमांशु की कई बेनामी संपत्तियों के बारे में भी जानकारी मिली। हालांकि इस बारे में गृह विभाग और विजिलेंस के अफसर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं।
डीजी विजिलेंस पीवी रमापति शास्त्री ने कहा कि रिपोर्ट उन्होंने शासन को सौंप दी है, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं बताया जा सकता। वहीं अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा कि इस रिपोर्ट के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता।
जानकारी के अनुसार, जिस फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर अजय पाल शर्मा को बेकुसूर बताया जा रहा है, वह रिपोर्ट भी अधूरी है। विजिलेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, फोरेंसिक एक्सपर्ट ने अपने बयान में बताया है कि अजय पाल की आवाज का नमूना वैज्ञानिक तरीके से नहीं लिया गया था।
इससे तय नहीं हो पाया कि ऑडियो क्लिप में आवाज अजय पाल की है या नहीं। फोरेंसिक एक्सपर्ट ने वैज्ञानिक तरीके से दोबारा नमूना लेकर उसकी जांच कराए जाने की बात कही है।
नोएडा के एसएसपी रहते हुए वैभव कृष्ण ने पांच आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश साहा और हिमांशु कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। शुरुआती जांच में सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण और गणेश साहा के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे।
वहीं, अजय पाल और हिमांशु के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए थे, जिसके आधार पर विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई थी। अजय पाल अभी पुलिस प्रशिक्षण स्कूल उन्नाव और हिमांशु पीएसी इटावा में तैनात हैं।