- दूरदराज से आने वाले मरीज अव्यवस्था से तोड़ देते हैं दम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गत वर्ष लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी से उभर भी नहीं पाएं थे कि ऊपर से यह बीमारी फिर से इतनी बढ़ गयी कि लाख बचाव करते हुए भी इसकी जकड़ में आ गए। पैसे पास नहीं इसलिए इधर-उघर से सिफारिश कर मेडिकल में अपने मरीज को भर्ती कराया, लेकिन यहां पर डॉक्टर मरीज को देखने को भी तैयार नहीं है। साथ ही मरीज की दवा के साथ-साथ आॅक्सीजन का सिलेंडर की व्यवस्था का इंतजाम भी खुद करने के लिए कहते हैं। जिससे उनके सामने संकट उत्पन्न हो गया है। वह अपनी मरीज की जान बचाने के लिए पैसों का इंतजाम कैसे करें। यह बात मंगलवार को जनवाणी टीम से बात करते हुए मेडिकल में भर्ती मरीजों की तीमारदारों ने अपने दर्द को बयां करते हुए कही।
तीमारदार आदिल ने बताया कि उन्होंने पांच दिन पहले अपने मरीज को भर्ती किया था, लेकिन डाक्टर 24 घंटे बाद भी सुध लेने के लिए नहीं पहुंचते जब इस संबंध में डाक्टर से बात करो तो कहते हैं कि खुद चेक करके देख लो तुम्हारा मरीज कैसा है। आदिल ने कहा कि वह डाक्टर के इस जवाब से मायूस होकर लौट आते हैं कि ऊपर वाला ही उनके मरीज की देखभाल करें। क्योंकि उन्हें जब इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं तो वह क्या करें। इसी तरह से बुलंदशहर से आएं चेतन पंचौरी ने बताया कि उन्होंने अपने मरीज को मेडिकल में भर्ती कराया है।
चार दिन पहले मरीज को भर्ती कराया। उसको सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मरीज की देखभाल के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। वहीं अन्य अस्पतालों में भी बेड उपलब्ध नहीं है। इसलिए अपने मरीज को यहां पर भर्ती कराया है। इतना हीं नहीं चेतन पंचौरी की माने तो सुबह से लेकर शाम तक मेडिकल में मरीज एडमिट होने के लिए आते हैं, लेकिन मेडिकल प्रशासन द्वारा उन्हें बाहर से ही भेज दिया जाता है। कहीं मरीज तो व्यवस्था में ही दम तौड़ देते हैं।
इसी तरह से रवि कुमार ने बताया कि वह बागपत से आएं है। उनके बेटे को सांस लेने में दिक्कत हो रही है बेटे की तबीयत का हाल चाल जाने के लिए वहां डाक्टरों से बात करते हैं, लेकिन कोई उचित जवाब नहीं देता। उन्होंने कहा कि वह भगवान से ही प्रार्थना करते रहते हैं कि जल्द उनका बेटा ठीक हो जाएं। इसी क्रम में एक व्यक्ति स्टैचर पर एक व्यक्ति आॅक्सीजन के सिलेंडर लेकर जा रहा था।
उससे जब बात की तो उन्होंने बताया कि आॅक्सीजन सिलेंडर उठाने के लिए कोई भी स्टाफ मदद नहीं करता। ऐसे में सिलेंडर खाली हो गया है नया भरवाने जा रहे हैं। क्योंकि अस्पताल वाले तो अपने खास लोगोें को सिलेंडर उपलब्ध कराया जाता हैं। दरअसल, जनवाणी टीम मंगलवार को शासन एवं मेडिकल के दावों की सच्चाई देखने को पहुंची। मगर जब तीमारदारों की बात सुनी तो लगा कि सिर्फ कागजों में ही हालात बेहतर है जमीनी स्तर पर नहीं।
मेडिकल में बेड के लिए भटक ते रहे तीमारदार
मेडिकल में एक मरीज को भर्ती करने के लिए तीमारदार एबुलेंस के माध्यम से इमरजेंसी के पास पहुंचे। जैसे ही तीमारदार मेडिकल कॉलेज की टीम के पास अपने मरीज को भर्ती करने के लिए फाइल बनवाने के लिए पहुंंचे। तभी स्टाफ ने कहा कि यहां पर बेड उपलब्ध नहीं है किसी और अस्पताल में ट्राई करें। उसके पश्चात निराश होकर तीमारदार ने जल्दी से एंबुलेंस को मोड अन्य अस्पताल की तरफ दौड़ा। बता दें कि मेरठ में अस्पताल में बेड प्राप्त करने के लिए हर किसी को सिफारिश करानी पड़ रही है। उसके पश्चात ही बेड उपलब्ध हो पा रहा है।
शवगृह के पास से गुजरते हैं तीमारदार
शासन ने मेरठ के आसपास के जिलों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल में नई इमरजेंसी एवं उसके पास एक आधुनिक सेंटर बनाया था। ताकि मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकें, लेकिन अब के हालात ऐसे है कि तीमारदारों को अपने मरीजों को देखने के लिए शव गृह के पास वाले रास्ते से जाना पड़ रहा है। इमरजेंसी के बाहर सड़क के समय काट रहे तीमारदारों ने बताया कि इमरजेंसी में जाने के लिए पहले तीन गेट होते थे। मगर अब मेडिकल प्रशासन ने दो गेटों को बंद कर दिया है।
ऐसे में अपने मरीजों को देखने के लिए शवगृह के पास से जाना पड़ता है। दिन में तो जैसे-तैसे हिम्मत करके वह अपने मरीज को देखने के लिए पहुंच जाते हैं। लेकिन रात के समय मरीज को देखने जाने की हिम्मत नहीं होती। क्योंकि शवगृह के पास से निकलने में डर लगता है। तीमारदारों ने कहा कि मेडिकल प्रशासन को पहले वाला गेट खोल देना चाहिए। ताकि आराम से अपने मरीज को देख सकें।
संक्रमण के बीच खुले में खाना खाने को मजबूर तीमारदार
केन्द्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए सभी से अपील कर रही है कि दो गज की दूरी एवं मास्क है जरूरी। इतना हीं नहीं शहर को सैनिटाइज करना एवं सभी से साफ सफाई भी की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर मेडिकल में तीमारदारों को खाने के लिए भी स्वच्छ जगह का इंतजाम नहीं किया गया है। मरीज को भर्ती करने के पश्चात तीमारदार साइकिल स्टैंड एवं बाहर इधर-उधर पेड़ के आसपास अपना समय काट रहे हैं। वहीं, जब भूख लगती है तो वह उसी स्थान पर खाना भी खाने लगते हैं।
क्योंकि कही भी खाने के लिए विशेष प्रबंध नहीं किया गया। जिसकी वानगी मंगलवार को इमरजेंसी के मुख्य द्वार पर देखने को मिली। एक मरीज इमरजेंसी के बाहर ही खाना रहा था। जहां पर हर रोज नए कोविड के मरीज भर्ती होने के लिए आते हैं एवं ऐसे मरीज निकलते हैं। जिनकी कोविड के कारण मृत्यू हो जाती है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि तीमारदारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके बैठने के लिए इंतजाम क्यों नहीं किए जाते हैं।
क्योंकि इस प्रकार तो संक्रमण बढ़ने का और खतरा बना रहता है। इमरजेंसी से 100 मीटर दूर ही मरीजों के लिए यूज किए गए मेडिकल के विशेष सामान पड़े रहते हैं। जिनको मेडिकल परिसर में ही कुत्ते इधर से उधर खदड़ते रहते हैं। जबकि उसी जगह के पास तीमारदार दरी एवं अन्य प्रकार के कपड़े बिछाकर दिन-रात अपना समय गुजारते हैं। यह हाल भी जब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कहा गया है कि स्वच्छता से ही बीमारियों को दूर किया जाता है। उसके पश्चात भी मेडिकल में इस तरह से यूज किए गए मेडिकल के सामान को खुले में फेंक दिया जाता है। जिससे बीमारी बढ़ने की संभावनाएं और प्रबल हो जाती है।
मेडिकल इमरजेंसी में मरीज के साथ एक ही तीमारदार को मिलेगी एंट्री
मेडिकल इमरजेंसी में लग रही भीड़ और आए दिन हो रहे हंगामे के चलते मेडिकल प्रबंधन ने मंगलवार को कड़ा फैसला लिया है। मेडिकल प्रबंधन ने अब इमरजेंसी में भर्ती मरीज के साथ सिर्फ एक ही तीमारदार के रहने की अनुमति दी है। कॉलेज प्रिंसिपल के आदेश के बाद सुरक्षा गार्डों ने वहां बैठे तीमारदारों को इमरजेंसी से बाहर निकाला। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र कुमार ने मंगलवार को कड़ा फैसला लेते हुए कहा कि इमरजेंसी में एक-एक मरीज के कई-कई तीमारदार फर्श पर डेरा जमाए बैठे रहते है।
ऐसे में जरा सी बात होते ही सभी हंगामा करने लगते है। जिस कारण अस्पताल का माहौल खराब तो होता ही है, साथी अन्य मरीज के उपचार में भी बाधा आती है। जिसके चलते उन्होंने फैसला लिया है कि अब केवल एक मरीज के साथ एक ही तीमारदार रहेगा। बाकी तीमारदारों को इमरजेंसी से बाहर निकाल दिया गया है। इसके साथ ही इमरजेंसी वार्ड के बाहर अब सुरक्षा गार्ड भी बढ़ा दिए है जो पूछताछ के बाद ही तीमारदारों को अंदर जाने देंगे।