- पीड़ित पहुंचा मेडा आफिस, लगाई मेडा कर्मियों पर कार्रवाई करने की गुहार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) के खेल भी निराले हैं। आपत्ति करने के बाद भी एक व्यक्ति को रजिस्ट्री कैसे कर दी? इसको लेकर मेडा ने एक शपथ पत्र लिया और फिर रजिस्ट्री कर दी। इसको लेकर रिटायर्ड पुलिस कर्मी ने मंगलवार को प्राधिकरण आॅफिस पहुंचकर इस बात पर आपत्ति की, लेकिन पीड़ित की मुलाकात प्राधिकरण उपाध्यक्ष या फिर सचिव से नहीं हो सकी। ये दोनों ही अधिकारी अवकाश पर थे।
दरअसल, ये मामला है पल्लवपुरम फेज-फर्स्ट का। सुनील गोयल पुत्रस्व. नरेन्द्र नाथ गोयल ने पल्लवपुरम फेज फर्स्ट में एफ-13 प्लाट खरीदा था। ये मेडा से खरीदा गया था। इसका क्षेत्रफल 264 वर्ग मीटर हैं। इस प्लाट को पावर आॅफ अटार्नी देकरसुनील गोयल ने सुनीता बंसल को बेच दिया। इसकी पावर आॅफ अटार्नी करायी गयी। एग्रीमेंट भी हुआ। बैंक से खाते में पैसा भी ट्रांसफर हुआ। इसी बीच प्रतिकर का नोटिस सुनीता बंसल के घर पहुंचा।
सुनीता बंसल ने सुनील गोयल से कहा कि उन्हें प्लाट का बैनामा कराना हैं। इसका बैनामा पहले सुनील गोयल को नियमानुसार होना था, जो प्रतिकर जमा करने के बाद ही संभव था। इसमें सुनील गोयल ने धोखाधड़ी कर सुनीता बंसल से प्रतिकर के दो लाख रुपये मेडा आॅफिस में जमा करा दिये, जिसकी आॅरिजनल रशीद सुनीता बंसल के पास मौजूद हैं। इसके बाद सुनील गोयल ने मेडा के कर्मचारियों से सेटिंग करने के बाद अपने नाम पर बैनामा करा लिया।
ये बैनामा 19 मार्च 2012 में कराया गया। इससे पहले ही सुनीता बंसल ने एक पत्र मेडा में लगाया था, जिसमें इस प्लाट का बैनामा नहीं करने के लिए आपत्ति व्यक्ति की थी। मेडा के कर्मचारियों ने इसमें घालमेल ये किया कि एक शपथ पत्र सुनील गोयल की तरफ से लिया, जिसमें कहा गया कि सुनीता बंसल से प्लाट का कोई लेना देना नहीं हैं। उसको कोई पावर आॅफ अटार्नी नहीं की गई। ये झूठा पत्र हैं।
इसशपथ पत्र को लेकर मेडा ने कैसे बैनामा कर दिया। यही नहीं, पांच मिनट बाद ही इसका बैनामा रघुवर सिंह के नाम कर दिया गया। आखिर मेडा कर्मचारी इतनी फुर्ती बैनामा करने में लगा रहे थे। वैसे आमतौर पर एक-एक महा तक रजिस्ट्री करने से पहले चक्कर लगवाते रहते हैं। इसमें इतनी जल्दबाजी क्यों की? ये बड़ा सवाल हैं। इसमें सुनीता बंसल की तरफ से एक एफआईआर कंकरखेड़ा थाने में धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ दर्ज करा रखी हैं।