Wednesday, May 7, 2025
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कर्मचारियों पर स्वास्थ्य कैंप का जिम्मा

  • डाक्टर नदारद, मीडिया की भनक पर साढ़े तीन बजे पहुंचे सीएचसी प्रभारी
  • सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: रहस्मयी बुखार से जूझ रहे नंगलासलेमपुर के लोगों में खौफ भी है और प्रशासन से नाराजगी भी। खौफ इसलिए कि डेंगू के डंक ने यहां दो सगी बहनों को बेवक्त मौत की नींद सुलाकर न सिर्फ एक परिवार को तबाही के कगार पर पहुंचाया, बल्कि इसकी जद में आए गांव के दर्जनों लोग आज भी मेरठ के निजी अस्पतालों में बेचैन पड़े हैं। नाराजगी ये कि डेंगू के भयंकर रूप धारण करने के बाद शनिवार को कैंप करने गांव पहुंची स्वास्थ्य टीम में कोई सक्षम चिकित्सक शामिल नहीं रहा।

किठौर थानांतर्गत परीक्षितगढ़ ब्लॉक की बोंद्रा ग्राम पंचायत के मजरा नंगलासलेमपुर में इन दिनों रहस्यमयी बुखार पसरा हुआ है। एक हजार आबादी की इस बस्ती में औसतन हर तीसरा व्यक्ति बुखार से तप रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक दर्जनों लोग यहां डेंगू की चपेट में हैं। खौफनाक बात ये है कि गांव में ऐसे कई परिवार हैं जिनके तमाम सदस्य डेंगू की चपेट में हैं। दो दिन पूर्व जयपाल सिंह की पुत्रवधू अनीता और प्रिया की डेंगू से मौत के बाद हरकत में आई सीएचसी परीक्षितगढ़ की टीम ने पूर्व प्रधान रतनसिंह के आवास पर स्वास्थ्य कैंप लगाया।

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जिसमें सीएचओ नीरज कुमार, फार्मासिस्ट आशीष चौधरी, एएनएम अरुणिमा त्यागी ने ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण व उपचार किया। हैरत कि डेंगू जैसी भयंकर बीमारी पसरने के बावजूद सीएचसी प्रभारी डा. रविशंकर शर्मा या किसी अन्य सक्षम चिकित्सक ने कैंप में शामिल होने की जहमत नहीं उठाई। मीडिया पहुंचने की भनक पर करीब 3:30 बजे सीएचसी प्रभारी गांव पहुंचे।

ग्रामीणों का छलका दर्द

दोपहर एक बजे मीडिया के पहुंचते ही ग्रामीणों का दर्द छलक पड़ा। ग्रामीण अमित कुमार ने बताया कि लगभग 15 दिन से ग्रामीण बुखार से तप रहे हैं। उसने बताया कि गांव के विक्रम सिंह, भंवर सिंह, सनी आदि समेत आधा दर्जन परिवार ऐसे हैं जिनके तमाम सदस्य को बारी-बारी से डेंगू हुआ,

लेकिन गनीमत कि मेरठ के डाक्टरों ने समय रहते कंट्रोल कर लिया। गांव में लगे स्वास्थ्य शिविर को ग्रामीणों ने विभाग का खानापूर्ति कार्यक्रम बताया। ग्रामीणों का कहना था कि अखबारों में छपने पर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्वास्थ्य कैंप करने यहां भेज दिया। कैंप में सक्षम डाक्टर कोई नहीं है।

डाक्टर न दवा, न संसाधन

ग्रामीणों ने बताया कि कई दिन पूर्व शिकायत पर ग्राम प्रधानपति साजिद ने फॉगिंग कराई थी। कहा कि सरकार के पास न डाक्टर हैं न दवा न डायग्नोज के सक्षम संसाधन ऐसे में स्वास्थ्य को लेकर सरकार के भरोसे रहना अपनी जान जोखिम में डालना है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां के तमाम रोगी प्राईवेट अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं। प्राईवेट डाक्टर्स के परामर्श से स्थिति कुछ सुधरती दिख रही है।

डेंगू को नकार रहे डाक्टर

परीक्षितगढ़ सीएचसी प्रभारी डा. रविशंकर शर्मा ने बताया कि नंगलासलेमपुर के स्वास्थ्य कैंप में 189 रोगियों का उपचार किया गया। 39 लोगों के सैंपल जांच को भेजे गए। गांव में 20 लोगों को वायरल पाया गया। उन्होंने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार अनीता पत्नी संदीप की मौत लीवर डिसीज और प्रिया पत्नी प्रदीप की मौत मेटाबॉलिक डिसीज से हुई है डेंगू से नहीं।

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