जनवाणी संवाददाता |
मवाना: बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृषि विभाग किसानों पर मुकदमे दर्ज करा रहा है। वहीं महाभारतकालीन तीर्थ नगरी में मुख्य बाजारों में दीपावली की शाम थाना पुलिस के मिली भगत के चलते मुख्य बाजार में स्टाल लगा अवैध पटाखों की जमकर बिक्री की गई। लगातार जानकारी के बाद भी थाना पुलिस ने पटाखा माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और न ही कोई आधिकारिक अनुमति दी गई है।
बता दें कि तहसील क्षेत्र के गांव सटला में 2024 में पटाखा निर्माण के दौरान हुए हादसे में कई लोग घायल हो गए थे। आला अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने पटाखा माफिया के खिलाफ अभियान चलाकर लाखों के पटाखे जप्त कर कई लोगों को जेल भेजा। जिसके चलते मवाना और आसपास के देहात क्षेत्र में इस बार दीपावली के मौके पर पटाखे की बिक्री नहीं हो सकी। लेकिन, महाभारतकालीन ऐतिहासिक तीर्थ नगरी में प्रशासन और थाना पुलिस दीपावली के मौके पर आंखें मूंदकर बैठा गया। जिसके चलते ऐतिहासिक नगर के साथ देहात क्षेत्र में प्रतिबंध के बाद भी खुलेआम पटाखे की बिक्री की जा रही है।
थाना पुलिस की सेटिंग के चलते थाने से 50 मीटर दूरी पर हुई पटाखे की बिक्री
पुलिस सूत्रों की मानें तो नगर में दीपावली पर हुई पटाखे की बिक्री से पूर्व पटाखा माफिया ने पुलिस के दो ठेकेदारों से पटाखा बिक्री की सेटिंग की। जिसके बाद थाने के सामने मुख्य बाजार में कई जगह पटाखों के स्टॉल सज गए। बाजार में हो रही पटाखे की अवैध बिक्री की जानकारी लोगों ने थाना पुलिस को दी तो थाना पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पटाखों से प्रदूषण दोनों तरह से फैलता है
पटाखे चाहे लाल हों या हरे, उन्हें जलाने से प्रदूषण तो होता ही है। अगर करनाल जिले की बात करें तो शहर में जगह-जगह पटाखों के स्टॉल लगे हुए हैं और जहां स्टॉल लगे हुए हैं, वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर प्रशासन की इस लापरवाही की वजह से कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
थाना प्रभारी राम प्रकाश शर्मा का कहना है कि हस्तिनापुर में पटाखे की बिक्री पर पूर्णत प्रतिबंधित थी। इसके बाद भी बिक्री हुई है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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