- मुस्लिम समीकरण पर भी ध्यान रखना होगा बहुत जरूरी
- सत्तानशीं भाजपा में भी सूची कर ली गई है मुकम्मल
मुख्य संवाददाता |
सहारनपुर: सूबे में उच्च सदन यानि कि विधान परिषद चुनावों को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हंै। इसका असर बागपत से बलिया तक देखा जा रहा है। मुख्य रूप से सत्तानशीं भाजपा और उसकी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी में ऊबचूभ तेज हो गई है। माना जा रहा है कि सपा दो-तीन दिन में अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर देगी।
वेस्ट यूपी को कितनी तरजीह मिलती है यह तो वक्त बताएगा किंतु यहां भी सपा मुखिया दलित कार्ड चल सकते हैं। मुस्लिम समीकरण को भी साधे रखना सपा के लिए जरूरी है। उधर, भाजपा ने भी प्रत्याशियों की सूची लगभग मुकम्मल कर ली है। बस घोषणा बाकी है।
बता दें कि विधान परिषद की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। यह तय है कि विधान परिषद के चुनाव अगले महीने यानि कि जुलाई में होंगे। दरअसल, 6 जुलाई को विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 9 जून तय पायी गई है। जानकारी के मुताबिक 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच और 13 जून तक नाम वापसी हो सकती है।
20 जून को वोटिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। इसके बाद 20 जून को ही शाम पांच बजे से मतगणना की जाएगी। दरअसल, यूपी में अभी विधान परिषद में बीजेपी के 66 सदस्य हैं, जबकि सपा के 11 सदस्य हैं। जिन 13 सीटों पर चुनाव होना है, उसमें 9 पर बीजेपी और 4 सीटों पर सपा की जीत पक्की मानी जा रही है। क्योंकि विधान परिषद में एक सीट जीतने के लिए 31 सदस्यों की जरूरत होगी।
उल्लेखनीय है कि विधान परिषद में भी पार्टी अपने गठबंधन के सहयोगी दल के एक सदस्य को उम्मीदवार बना सकती है। इसके अलावा सपा हाल में सदस्यता खत्म होने वाले एक पूर्व एमएलसी को फिर से अपना उम्मीदवार बना सकती है। सियासी पंडितों का कहना है कि पश्चिमी उप्र में सपा मुखिया अखिलेश यादव दलित कार्ड खेल सकते हैं। साथ ही उनको मुस्लिम समीकरण पर भी ध्यान देना है।
अगर दलितों पर दांव चला जाता है तो दलित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल भारती के नाम पर मुहर लग सकता है। राहुल भारती विधानसभा चुनाव से पहले सपा में शामिल हुए। दलित बिरादरी में अच्छी पैठ रखने वाले राहुल सपा अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और अखिलेश यादव के भरोसेमंद लोगों में उनका नाम शुमार है।
मुस्लिम समीकरणों की बात करें तो पूर्व विधायक काजी इमरान मसूद और मुजफ्फरनगर के कादिर राणा का भी नाम चर्चा में है। अब पार्टी नेतृत्व किस पर मेहरबान होता है, यह तो वक्त बताएगा। उधर, भाजपा में सूची लगभग तैयार हो गई, बताई जाती है।