Thursday, June 12, 2025
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हाइवे पर रेत-मिट्टी का कारोबार

  • भवन निर्माण सामग्री का सड़क पर कारोबार चलने से हो रहा वायु प्रदूषण, कौन लगाएगा इस पर अंकुश?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर के मुख्य मार्गों पर रेत, मिट्टी और कंक्रीट का कारोबार चल रहा है। सड़क किनारे भवन निर्माण सामग्री का व्यवसाय चल रहा है। हाइवे हो या फिर लिंक रोड, जगह-जगह रेत मिट्टी व डस्ट के ढेर लगे हुए है, जो जनता के लिए मुसीबत बने हैं।

यह भवन निर्माण सामग्री रोड पर बिखरी होने की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। गढ़ रोड हो या फिर गंगानगर में मुख्य रोड, लालकुर्ती से बेगमपुल जाने वाले मुख्य बाजार में भी रेत कंक्रीट और ईट का कारोबार सड़क किनारे ही चल रहा है। इससे लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है।

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दिन-रात वाहनों की यहां से व्यापक स्तर पर आवाजाही होती है, जिसके चलते दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। मेरठ-करनाल हाइवे पर भी जैसे ही सरधना बाइपास की तरफ से शहर में एंट्री की जाती है, कई स्थानों पर रेत, कंक्रीट व डस्ट के ढेर लगे हुए हैं। भवन निर्माण सामग्री का लोग कारोबार कर रहे हैं।

यह पूरा क्षेत्र आवासीय क्षेत्र हैं। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बने हुए हैं। जगह-जगह रेत व मिट्टी के ढेर लगे होने से लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यहां से दिनभर भारी वाहनों और ट्रैक्टर ट्राली से रेत मिट्टी का परिवहन होता है।

अक्सर मेन रोड पर वाहनों की कतार लगने से न सिर्फ जाम के हालात पैदा हो जाते हैं, बल्कि दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है। करनाल-मेरठ हाइवे पर नंगला ताशी के सामने पुलिया का निर्माण चल रहा है, जिसके चलते वन वे ट्रैफिक है, लेकिन सुबह को बाइपास से सटकर बाएं हाथ पर ईंट और रेत से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली कतार बद्ध खड़ी हो जाती है, जिसके चलते जाम की समस्या बनी रहती है। यहां ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी तैनात रहते हैं, मगर उन्हें वाहनों को रोककर चालान करने से ही फुर्सत नहीं मिलती।

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जनता जाम से जूझती रहती है। इसी तरह के कुछ हालात बागपत रोड के भी है। यहां भी सुबह सुबह रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली और ईटों से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली बागपत रोड बाइपास से लेकर मलियाना तक खड़ी रहती हैं। इसके अलावा रेत, डस्ट और कंक्रीट के ढेर भी सड़क किनारे लगे हुए हैं, जो लोगों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर रहे हैं। इनको हटाने की कोई कवायद नहीं तो नगर निगम कर रहा है और नहीं कोई दूसरा विभाग।

इसलिए सरकारी सिस्टम ने जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया हैं। पूरा दिन धूल उड़ती रहती हैं, मगर इससे होने वाला प्रदूषण शायद अफसरों को नहीं दिखता। वैसे तो वायु प्रदूषण को लेकर हाय-तौबा मचा रखी है। एनजीटी की तरफ से किसान की पुरानी फूंकने मात्र से मुकदमें दर्ज करा दिये जाते हैं, मगर जो वायु प्रदूषण शहर की सड़कों पर पड़े रेत-डस्ट से हो रहा है, वह कतई दिखाई नहीं दे रहा है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

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