नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। एक फिर जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक केस का जिन्न बोतल से निकल कर राजनीति धमाल मचाने को बेताब है। केंद्र सरकार को निशाने पर लेने वाले पूर्व राज्यपाल अब यकीनी तौर पर राजनीतिक मैदान में कूद गए हैं।
दूसरी ओर सत्यपाल मलिक के आरोपों गंभीरता से लेकर सीबीआई भी एक्टिव मोड में है। सीबीआई दूध का दूध और पानी का पानी करने को बेचैन है। हालांकि पूर्व राज्यपाल ने सीबीआई को भी निशाने पर लेते हुए कई आरोप लगा डाले हैं।
इस बीच एआईएमआईएम के सुप्रीमों भी इस मैदान में दो दो हाथ करने के लिए कूद पड़े हैं। कुछ भी हो मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आइए जानते हैं पूरी स्क्रिप्ट है क्या, आखिर इतनी भयंकर राजनितिक आग लगी कैसे…
बात जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की है। आज बुधवार को सीबीआई ने पूर्व राज्यपाल के कई सहायकों के ठिकानों के अलावा दिल्ली व जम्मू-कश्मीर में भी छापेमारी की है। इस मामले पर सत्यपाल मलिक के करीबियों का कहना है कि यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है।
सत्यपाल मलिक के करीबियों का बड़ा दावा
हमें कोई डर नहीं लगता है। हम कहीं नहीं भाग रहे। जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दे रहे हैं। —कंवर सिंह राणा
इस लड़ाई में मलिक साहब पीछे नहीं हटेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले सत्यपाल मलिक विभिन्न राज्यों का दौरा करेंगे और लोगों के सामने सरकार की पोल खोलेंगे। —सुनक बाली, वीरेंद्र राणा और विशाल
सत्यपाल मलिक के आरोप
जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों के लिए सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने और पनबिजली परियोजना के लिए उन्हें तीन सौ करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी।
सीबीआई ने सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने और पनबिजली परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों से जुड़े मामले में दो एफआईआर दर्ज की थी।
मलिक ने खुद अपने एक साक्षात्कार में सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना की फाइल रोक देने की बात बताई थी।
मलिक ने दावा किया था कि सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना को पारित कराने के लिए कथित तौर पर आरएसएस-भाजपा से जुड़े राम माधव ने सिफारिश की थी।
इस कारण सत्यपाल मलिक से केंद्र सरकार हो गई थी परेशान
किसान आंदोलन में केंद्र सरकार के विपरित जाकर बयान दिए थे।
जम्मू-कश्मीर में दो योजनाओं के कथित घोटाले उजागर किए।
भाजपा नेता के दबाव के बावजूद फाइल को पास नहीं किया।
सार्वजनिक तौर पर पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले को लेकर पीएम मोदी पर बड़ा आरोप लगाए।
जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों के बीच जाकर अपना समर्थन दिया।
सत्यपाल मलिक से असदुद्दीन ओवैसी के सवाल
जब पुलवामा घटना हुई तब क्यों चुपचाप बैठे रहे पूर्व राज्यपाल?
घोटाले में भी तत्काल एक्शन क्यों नहीं लिए जबकि वह पॉवर में थे?
इतने महीने बाद अब क्यों उठा रहे सवाल?
सत्ता की मलाई खाने के बाद ही क्यों जागी आत्मा?
शायद कहीं और किसी पद पर सरकार भेज देती तब नहीं जागती आत्मा?