- दिन प्रतिदिन हो रहा शिक्षा का ग्राफ प्रभावित, प्रधानाचार्या, प्रवक्ता और सहायक शिक्षक के हजारों पद लंबे समय से रिक्त
- डीआइआओ कार्यालय द्वारा पूर्व मेें एडेड और राजकीय कॉलेजों से मांगी जा चुकी रिपोर्ट
- जिले में 132 एडेड और 47 राजकीय कॉलेज संचालित, आज तक नहीं हुई कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिले मेें करीब पौने 200 से अधिक माध्यमिक एडेड व राजकीय कॉलेज है। उक्त कॉलेजों में कई साल से प्रधानाचार्या, प्रवक्ता व सहायक शिक्षकों के हजारों की संख्या में पद खाली पड़े हुए है। इस पर न तो शासन को कोई ध्यान है और न ही स्थानीय प्रशासन का। शिक्षकों की कमी के कारण लाखों की संख्या में छात्र गुणवत्तापरक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
उधर, शासन का शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की हरसंभव मंशा रहती है और तो और करोड़ों रुपये भी खर्च किए जाते हैं या फिर छात्रों को फेल होकर उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है या फिर छात्र आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। जिसके कारण अभिभावकों व छात्रों को मानसिक व आर्थिक रूप से परेशानी उठानी पड़ती है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में करीब 132 एडेड कॉलेज है। और 47 ऐसे कॉलेज हो जो राजकीय है। इन कॉलेजों में काफी लंबे समय से हजारों पद रिक्त चले आ रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए कभी कॉलेज मांग करता है तो कभी शासन विभाग से आंकड़ों की मांग करता रहता है, लेकिन कई सालों से यही चला आ रहा है। जिसके खामियाजा आमजन व छात्रों को भुगतना पड़ता है।
कहीं कहीं तो कुछ स्कूलों में शासन की गाइड लाइन का जमकर अनुपालन होता है। और प्रबंध समिति अभिभावकों से फीस के नाम पर अधिक वसूली करते हैं। चाहे कुछ भी हो लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता के कारण परेशानी गरीब व वंचित समाज के लोगों को उठानी पड़ती है। जब इन सवालों का जवाब जाने के लिए संबंधित अधिकारियों से बातचीत की जाती है
तो वे यह कहकर हंसी में टाल देते है कि उनका वेतन समय पर आ रहा है और वे मजे में है। हमें तो शासन व प्रशासिनक अधिकारियों के आदेशों का पालन करना पड़ता है। लेकिन, इसी रवैये के कारण गरीब व वंचित शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है तो कुछ आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ देते है। लेकिन, शासन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है। वहीं, भोली भाली जनता को इनकी राजनीति का शिकार हो जाती है।
माध्यमिक विभाग में नौकरशाही का दबदबा
जब डीआइआएस राजेश कुमार से रिक्त पदों की जानकारी जुटाने का प्रयास किया तो पहले तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। फिर बाद में मीटिंग चल रही है कि बात कहकर फोट रख दिया। अफसरों के इस रवैये के कारण शिक्षा विभाग पर कई सवाल खड़े होते नजर आ रहे है। इस साफ नजर हो गया है कि कहीं ना कहीं अफसर की मंशा सही नहीं है।
विभाग में गुपचुप होते हुए प्रबंध समिति के चुनाव
शिक्षा विभाग के अफसरों की मिलीभगत से शासन के आदेशों को घता बताकर प्रबंध समिति के चुनाव करवाने का मामला सामने आया है। जहां एक प्रबंध समिति के कुछ पदाधिकारी कार्यालय पहुंचे और चुनाव को गुपचुप तरीके से विभागी लिपिकों से सांठगांठ करते नजर आए। जब इस बारे में लिपिक से जानकारी जुटाने का प्रयास किया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जिसके कारण भ्रष्ट व्यक्ति प्रबंध समिति में शामिल होकर जमकर जनता के पैसे पर खुलकर ऐस करते है।
एडेड, राजकीय कॉलेजों में नहीं हिंदी, विज्ञान, अंग्रेजी के शिक्षक
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के ज्यादातार स्कूलों में हिंदी, विज्ञान व अंग्रेजी शिक्षकों की कमी है। यहां तक की मवाना रोड स्थित सैनी गांव में प्रदेश सरकारी की योजना के तहत एक साल पहले महिला सशक्तिकरण को लेकर गर्ल्स इंटर कॉलेज का निर्माण कराया गया था।
जहां कक्षा आठ से लेकर 12वीं तक की कक्षाएं चलना प्रस्तावित है। और 71 बालिकाएं पढ़ती है। लेकिन, शासन व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अभी कोई नियुक्त नहीं की गई। इसके अलावा कई ऐसे और भी कॉलेज भी है, जहां अभी तक नियुक्त नहीं हुई है। बच्चों को पढ़ाने के लिए बाहर से शिक्षकों को लगाया गया है।