Tuesday, July 15, 2025
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‘रैपिड’ हादसों की ‘स्लो’ जांच, आखिर माजरा क्या?

  • अब तक आधा दर्जन से अधिक हादसे, लेकिन कार्रवाई किसी में भी नहीं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनसीआरटीसी की आधुनिक टेक्नोलॉजी हो या फिर इनके इंजीनियर्स की कड़ी मेहनत का फल कि आज रैपिड मेरठ जैसे पुराने शहर में दौड़ने को तैयार है, लेकिन इन सबसे परे एक सवाल जो लोगों के दिमाग में कौंघ रहा है वो यह कि रैपिड कंस्ट्रक्शन साइट पर आए दिन होने वालों हादसों पर लगाम के लिए एनसीआरटीसी में क्या इच्छा शक्ति की कमी है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि ‘रैपिड’ की कन्स्ट्रक्शन साइट्स पर होने वालों हादसे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। इन पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है।

दरअसल, रैपिड कन्स्ट्रक्शन साइट्स पर अब तक जितने हादसे हुए हैं यदि उन पर एनसीआरटीसी संबधित कम्पनी के खिलाफ एक्शन लेता तो इन हादसों को रोका जा सकता था। कई हादसे हुए, लेकिन इनमें सिर्फ जांच की बात कहकर एनसीआरटीसी ने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया। जांच हुई भी या नहीं यह तो एनसीआरटीसी जानें लेकिन किसी भी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई।

इन हादसों से लिया होता सबक तो न बढ़ते हादसे

मेरठ में जब से रैपिड का काम शुरु हुआ है तब से कई हादसे हो चुके हैं लेकिन कार्रवाई एक में भी नहीं हुई। शुक्रवार को डौरली स्टेशन पर निर्माणाधीन स्ट्रक्चर खिसकने से बड़ा हादसा होने से टल गया। इस हादसे में रोडवेज बस चपेट में आई और उसके शीशे टूट गए। इससे पूर्व माधवपुरम के पास ट्रैक जोड़ने वाली मशीन पटल गई थी। गनीमत यह रही कि उस दिन बारिश एवं रविवार के चलते सड़क पर भीड़ बहुत कम थी। ट्रैक जोड़ने वाली मशीन को क्रेन के जरिए यार्ड में लाया जा रहा था कि तभी ओवरलोड के चलते क्रेन का बेंलेस बिगड़ गया और मशीन गिर गई।

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इसके अलावा एक बार परतापुर के पास कई टन वजनी सरिये का जाल सड़क पर आ गिरा था। अक्टूबर 2023 में डौरली में ही एक गर्डर कार के ऊपर गिर गया था जिसमें कार चालक घायल हुआ था। जुलाई 2023 में ही शॉप्रिक्स मॉल के सामने कन्स्ट्रक्शन साइट के पास निर्माणाधीन ढांचा ही गिर पड़ा था जिसमें आठ मजदूरों को चोटें आई थीं। फरवरी में मोदीपुरम (दुल्हैड़ा चुंगी) में रैपिड के एलिवेटेड स्टेशन पर काम करते वक्त अचानक आग लगने की घटना हो गई थी। इसके अलावा अप्रैल महीने में रुड़की रोड पर निर्माणाधीन पिलर रखी हुई मशीन झुकने हड़कम्प मच गया था।

भारी भरकम इस मशीन पर 100 टन से अधिक वजनी पत्थर रखे हुए थे। आप सोचिए कि यदि यह पत्थर नीचे गिरते तब क्या होता। कहने का मकसद यह है कि एनसीआरटीसी की तकनीक में भले ही कोई कमी न हो लेकिन इस प्रकार की घटनाएं लोगों के दिलों में दहशत पैदा करती हैं और यदि संबधित कंपनी के लिखाफ घटना होने पर कोई भी एक्शन लिया जाता तो इससे एनसीआरटीसी की क्रडिबिलिटी पर सवालिया निशान नहीं लगता।

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