Sunday, January 12, 2025
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20 अप्रैल को लगने जा रहा सूर्य ग्रहण

  • ग्रहण के दौरान राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता
  • ग्रहण के दौरान नहीं किया जाता कोई शुभ कार्य, मंदिरों के कपाट नहीं होंगे बंद

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वैशाख अमावस्या के दिन 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। विज्ञान की भाषा में इसे खगोलीय घटना कहा जाता हैं, लेकिन अध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसके अलग ही मायने हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक व ग्रहण काल के दौरान खान-पान व पूजा-पाठ की मनाही होती है। हालांकि गुरुवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा,

लेकिन ज्योतिषाचार्यो द्वारा लोगों को कई तरह की सावधानियां बरतने की हिदायत दी गई है। ज्यतिषाचार्य विष्णु दत्त बताते हैं कि साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग रहा है। ग्रहण काल सुबह 7 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहने वाला है, लेकिन ग्रहण का सूरत काल 12 घंटे पहले शुरु हो जाता है। हालांकि भारत में ग्रहण का असर नहीं दिखेगा फिर भी लोगों को इस दौरान पूजा-पाठ से बचना चाहिए।

मेष राशि में लगेगा ग्रहण

सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्वनी नक्षत्र में लगेगा। इस सूर्य ग्रहण का मूल प्रभाव कुछ राशियों पर नकारात्मक पड़ेगा और कुछ राशियों पर अच्छा पड़ेगा। जिससे उनके बरसों से अटके हुए कार्य पूरे हो जाएंगे। मेष राशि में सूर्य ग्रहण लगने के कारण वृषभ राशि पर इस ग्रहण की द्वितीय भाव की दृष्टि पड़ रही है।

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6, 8, 12 के अलावा ज्योतिष में दूसरे भाव को भी मारक माना जाता है। द्वितीय भाव में होने के कारण वृषभ राशि वाले लोगों के लिए ये ग्रहण बेहद कष्टकारी या पीड़ादायक साबित होगा। वृषभ राशि के लोग स्वभाव से मृदुल और अच्छे होते हैं। लोग उनके व्यक्तित्व के कारण आकर्षित होने लगते हैं। सूर्य ग्रहण मेष राशि में पड़ने के कारण वृषभ राशि वालों को सूर्य से शारीरिक रोग पैदा होंगे। इस समय उन्हें चोट लग सकती है।

क्या न करें

  • ज्योतिषियों की मानें तो गर्भवती महिलाओं को सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कैंची, सुई, ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ग्रहण के दौरान काटने की मनाही है। ऐसा करने से बच्चे में शारीरिक या मानसिक विकृति हो सकती है।
  • शास्त्र की मानें तो गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान फल, फूल, पत्ते या लकड़ी नहीं तोड़नी चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण दोष लगता है।
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक या शुभ काम नहीं करना चाहिए। शास्त्र में ग्रहण के समय शुभ काम करने की मनाही है।
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय राहु-केतु का नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ती है। साथ ही ग्रहण से भोजन दूषित हो जाता है। ग्रहण के समय भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
  • ग्रहण के दौरान खाना न पकाएं। भूख लगने पर तुलसी दल युक्त चीजें ही खाएं। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी दल से राहु और केतु का प्रभाव क्षीण हो जाता है। वहीं ग्रहण के समय घर में रहना चाहिए।

क्या करें

  • ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को अपने पास नारियल रखना चाहिए। इससे ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद नारियल को बहते हुए जलधारा में प्रवाहित कर दें।
  • गर्भवती महिलाएं ग्रहण के समय पेट पर गेरू लगाकर रखें। इस उपाय को करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • ग्रहण के समय मन ही मन ईश्वर का नाम लें। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना अधिक फायदेमंद होते है।
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