सर्किल रेट में बेतहाशा वृद्धि पर अधिवक्ताओं की राय
प्रस्तावित दरों को लेकर जनहित में गहन समीक्षा करने की जरूरत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: करीब छह साल बाद मेरठ जनपद में सर्किल रेट के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया शुरू हुई है। जिसमें सामन्य तौर पर 20 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव संबंधित अधिकारियों की ओर से दिया गया है। जिस पर अंतिम मुहर लगाने से पहले डीएम दीपक मीणा ने एक सप्ताह का समय आपत्ति और सुझाव के लिए दिया है। इस बीच भूमि की रजिस्ट्री कराने के काम में लम्बा अनुभव रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मत है कि सर्किल रेट के लिए तैयार की गई प्रस्तावित सूची की गहन समीक्षा करके उसमें आम जनता के हितों का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के बारे में गहन जानकारी रखने वाले लीगल एडवायजर एडवोकेट देवेश चन्द्रवंशी का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से अधिकांश लोगों के कामकाज ठप हैं। रुपया अभी बाजार में सामान्य रूप से प्रचलन और प्रवाह में नहीं आ सका है। लोगों के बिजनेस नहीं चल पा रहे हैं।
बैंकों की ब्याज दरों में हाल ही में दो बार वृद्धि हो चुकी है। र्इंटों की स्थिति को लेकर भट्ठा व्यवसायी लंबे आंदोलन की घोषणा कर चुके हैं। लोहे और सीमेंट समेत मकान बनाने की सामग्री में हो रही वृद्धि लोगों की चिंता का कारण बन रही है। वैसे भी विभिन्न सामानों पर जिस तरह रेट बढ़े हैं, उस अनुपात में विकास नहीं हो पाया है। ऐसे में सर्किल रेट में 20 से 40 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव लोगों के मकान खरीदने या बनाने के सपने को चकनाचूर कर देगा।
एडवोकेट राजीव शर्मा का कहना है कि प्रथम दृष्टि देखने से ऐसा लगता है कि दिल्ली के नजदीकी महानगरों में मेरठ सस्ता है। यहां मेट्रो और रैपिड ट्रेन की सुविधा आने वाले दिनों में मिलने वाली है। सामान्य तौर पर मेरठ जनपद में सर्किल रेट में वृद्धि का प्रस्ताव स्वाभाविक है, लेकिन ऐसा प्रस्ताव देने वाले अधिकारियों को यह भी देखना चाहिए कि मेट्रो, रैपिड, हाइवे और दूसरे विकसित हो रहे क्षेत्रों के निकट की उपयोगी भूमि और पुराने शहर-गांव की भूमि के दामों में वृद्धि का अनुपात कितना है।
देखा जाए तो पुराने शहर और गांवों में संपत्ति की खरीद-फरोख्त वैसे ही न के बराबर होती है। ऐसे में इन स्थानों पर सर्किल रेट बढ़ाने से कोई लाभ होने वाला नहीं है। नई विकसित हो रही कालानियों में अपना आशियाना बनाने का सपना देखने वालों के लिए एक साथ भूमि की दरों में इतनी वृद्धि किसी सदमे से कम नहीं है।
एडवोकेट रोबिन शर्मा का कहना है कि समय के साथ सर्किल रेट में बढ़ोत्तरी होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस प्रक्रिया के अंतर्गत रुड़की रोड जैसे क्षेत्रों में मूल्यांकन करके सर्किट रेट के निर्धारण में डेढ़ से करीब दोगुनी तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है। अगर ऐसा है, तो यही कहा जा सकता है कि अधिकारियों ने केवल राजस्व बढ़ाने के लिए एक आंकड़ा बनाकर शासन तक भेजने की रणनीति अपनाई है। जिस पर मेरठ के जागरूक नागरिकों की ओर से आपत्तियों का ढेर स्वाभाविक रूप से लगने वाला है।
रोबिन शर्मा का मत है कि अम्हेटा अलीपुर और इटायरा आदि क्षेत्रों में पहले से ही सर्किल रेट बहुत ज्यादा होने के कारण वहां संपत्ति की बिक्री न के बाराबर रह गई है। इसी तरह गांव और शहर के भीतरी हिस्सों में संपत्ति के सर्किल रेट बढ़ाना न्याय संगत नहीं है। उनका कहना है कि सर्किल रेट में 20 से 40 प्रतिशत तक की सामान्य वृद्धि का प्रस्ताव आनन-फानन में लिया गया फैसला है। जिसमें जनता के पक्ष को दÞष्टिगत रखते हुए इसकी समीक्षा करते हुए 10-15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी किया जाना उचित है।
एडवोकेट नरेश राजवंशी का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान मेरठ में कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। इनमें मैट्रो, रैपिड ट्रेन और एक्सप्रेस वे प्रमुख हैं। जाहिर है कि इन सुविधाओं के चलते मेरठ में संपत्तियों के बाजार भाव में उछाल आया है। यह भी सच है कि पिछले छह साल से मेरठ में सर्किल रेट की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं।
लेकिन इन विकास कार्यों की तुलना में मेरठ के बाजार की रौनक में वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में सर्किल रेट में एक साथ 20 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अखरना जनता के लिए स्वाभाविक है। नरेश राजवंशी का कहना है कि थोड़ी बहुत वृद्धि आने वाले समय के लिए छोड़ते हुए प्रस्तावित दरों की समीक्षा की जानी चाहिए।