Thursday, January 30, 2025
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सड़क से सदन तक सियासत गरमाएगी सपा, यूपी में अब दिखेगा विपक्ष का दम

जनवाणी ब्यूरो |

लखनऊ: इधर योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के छह महीने पूरे हो रहे हैं, उधर समाजवादी पार्टी का जनता से जुड़े मुददों को लेकर सड़क से सदन तक विरोध प्रदर्शन शुरू हो उठा। सत्ताधारी दल भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अभी से गोटियां बिछा रही है। उसके पहले सपा विधायकों का धरना प्रदर्शन यह समझने के लिए पर्याप्त है कि अब यूपी में चुनावों के पहले सड़क से लेकर सदन तक विपक्ष का दम दिखेगा।

पार्टी समर्थकों का कहना है कि वैसे भी विपक्षी दल के तौर पर सपा अपने आक्रामक अंदाज के लिए जानी जाती है। 2022 विधानसभा चुनाव के समय कोरोना संक्रमण की वजह से विपक्षी दल के तौर पर पार्टी का सड़क पर दम नहीं दिखा। पर अब कोरोना संक्रमण का आततायी काल गुजर चुका है। योगी सरकार के छह महीने भी पूरे हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव भी आने वाले हैं। अखिलेश ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भी हाथ मिलाया है। यह सब सिर्फ संयोग नहीं है। चुनावों के पहले राज्य का सियासी पारा तेजी से बदल रहा है। पार्टी की जनता के मुददों को लेकर सड़क से सदन तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी है।

 

प्रदेश सम्मेलन इसी महीने के अंत तक

सपा का सदस्यता अभियान समाप्त होने के कगार पर है। सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में पार्टी का प्रदेश सम्मेलन प्रस्तावित है। पार्टी नेताओं का कहना है कि ऐसे में सपा मुखिया संगठन को मजबूत करने के लिए कुछ बड़े निर्णय ले सकते हैं। पार्टी में सगठन स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है।

हंगामेदार होगा विधानसभा सत्र

आगामी विधानसभा सत्र भी हंगामेदार होने के आसार है। बुधवार के धरना प्रदर्शन के बाद सपा ने यह ऐलान भी किया है कि 19 सितम्बर को अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा विधायक विधानभवन तक पैदल मार्च करेंगे। सदन में महंगाई, बेरोजेगारी, किसानों और कर्मचारियों के मुददे पर सपा सरकार को घेरेगी।

यूं ही मुख्य धारा में नहीं दिख रहे मनोज पांडेय

सपा के धरना प्रदर्शन की अगुवाई मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने की। इसके बाद ही सियासी गलियारों में यह सुगबुगाहट शुरू हो गयी है कि पांडेय के रूप में ब्राहमण चेहरे को पार्टी सियासत की मुख्य धारा में आगे लेकर आयी है। सियासी रणनीतिकारों का कहना है कि यह तभी साफ हो गया था, जब युवा विधायक पांडेय को विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय समेत अन्य ब्राहमण चेहरे की जगह युव ब्राहमण चेहरे को तरजीह दी गयी है।

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