एक बार एक राजा ने एक कैदी को मौत की सजा सुनाई। सजा सुनकर कैदी आप खो बैठा। वह राजा को भद्दी-भद्दी गालियां देने लगा। उसे इतना क्रोध आया कि कैदी जहां से गालियां दे रहा था, वहां से राजा ज्यादा दूर नहीं था। वह दरबार के आखिरी कोने में खड़ा था। वह यह भूल गया कि उसकी गालियां राजा सुन सकता है और अधिक क्रोधित होकर कुछ भी कर सकता है। राजा के कुछ साफ समझ में नहीं आया।
साप्ताहिक राशिफल | Weekly Horoscope | 22 May To 28 May 2022 | आपके सितारे क्या कहते है
बस इतना पता चला कि कैदी कुछ कह रहा है। संभवत: मुझे गालियां दे रहा है। राजा ने अपने मंत्री से पूछा कि कैदी क्या कह रहा है? इस पर मंत्री ने बताया, महाराज, कैदी कह रहा है कि वे लोग कितने अच्छे होते हैं, जो अपने क्रोध को पी जाते हैं और दूसरों को क्षमा कर देते हैं। यह सुनकर राजा को दया आ गई और उसने कैदी को माफ कर दिया। लेकिन दरबारियों में एक व्यक्ति था जो मंत्री से जलता था। उसने कहा, महाराज, मंत्री ने आपको गलत बताया है।
यह व्यक्ति आपको गंदी गंदी गालियां दे रहा है। आप इसको माफ मत करिए। उसकी बात सुनकर राजा गुस्सा हो गया और दरबारी से बोला-मुझे वजीर की बात ही सही लगी। क्योंकि इसने झूठ भी बोला है, तो किसी की भलाई के लिए। इसके अंदर भलाई का जज्बा तो है।
जो दूसरों की भलाई का सोचते हैं, वही अच्छे लोग होते हैं। जबकि तुम दरबार में रहने के योग्य नहीं हो। तुम दूसरों से ईर्ष्या रखते हो। इसलिए तुम्हें तुरंत बेदखल किया जाता है। हमे हमेशा अपने व्यवहार और वाणी से दूसरों की भलाई के बारे में ही सोचना चाहिए।
-सतप्रकाश सनोठिया