Friday, April 18, 2025
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युद्ध के हालातों से खेल इंडस्ट्री को 150 करोड़ का नुकसान

  • इजरायल, ईरान, लेबनान जैसे देशों में युद्ध का कारोबार पर पड़ रहा बुरा असर
  • देश भर से सप्लाई होने वाले खेल सामान में 60 फीसदी की मेरठ की भागेदारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: महानगर की खेल इंडस्ट्री की दुनिया में अलग पहचान है। यहां बने सामान को तमाम देश अति विश्वसनीय मानते हैं। यही कारण है कि पूरे देश से निर्यात होने वाले खेल सामानों में 60 फीसदी की हिस्सेदारी मेरठ की रहती है। सबसे ज्यादा यूरोप में यहां के खेल सामान की खपत होती है। पर यहां का खेल उद्योग इस वक्त मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध से बुरी तरह प्रभावित है। 150 करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हो चुका है। ऐसे ही हालात कुछ माह और रहे तो खेल कारोबारियों को काफी क्षति उठानी पड़ सकती है। युद्ध के चलते खेल का सामान यहां वहां फंसा पड़ा है।

मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का माल पूरी दुनिया को पसंद आता है। क्रिकेट भले ही दुनिया के सिर्फ तेरह देशों में खेला जाता हो और वहीं पर क्रिकेट के सामान का निर्यात होता हो, लेकिन बाकी सामान की पूरी दुनिया दीवानी है। टेबिल टेनिस, कैरम बोर्ड, जिम का सामान, फुटबाल का सामान बहुतायत में निर्यात होता है। कुछ साल पहले तक यहां की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री काफी दिक्कतों से जूझ रही थी, लेकिन सभी कारोबारियों ने अपनी मेहनत और लगन से फिर से कारोबार को खड़ा किया और आज फिर से दुनिया में मुकाम हासिल कराया है,

लेकिन इधर पिछले डेढ़ दो सालों से दुनिया में जो कुछ चल रहा है, उससे इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है। रुख और यूक्रेन युद्ध ने पहले दिक्कतें खड़ी कीं लेकिन कुछ महीनों से मध्य पूर्व देशों के बीच बढ़े तनाव और जंग ने कारोबार पर बुरी तरह चोट की है। सबसे ज्यादा इजरायल, हमास के बीच युद्ध और फिर दूसरे कई देश ईरान, लेबनान के भी उसमें शामिल हो जाने से भारी नुकसान का अंदेशा बन गया है। स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल बताते हैं, स्पोर्ट्स सामग्री के निर्यात का काम बढ़िया चल रहा था कि एकाएक इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ गई। जंग का बड़ा असर स्वेज नहर से जाने वाले सामान पर पड़ा।

स्वेज नहर से सामान भेजने से डर ही रहता है कि पता नहीं कब अटैक हो जाये। इसलिए यहां से जहाजों की आवाजाही बंद हो गई। दरअसल, यूरोपीय देशों को मेरठ से काफी खेल का सामान जाता है। सामान्यत: इसके लिए स्वेज नहर का ही इस्तेमाल होता है। इसके जरिये जहाज से कंटेनर 20-25 दिन में पहुंच जाते थे, लेकिन युद्ध की वजह से रास्ता बदलना पड़ा और माल लाल सागर के जरिये भेजा जाने लगा। इसके चलते कंटनर को पहुंचने में डेढ़ माह से ज्यादा लग रहा है। वेस्टइंडीज तक कंटेनर दो माह में पहुंच जाता था पर अब तीन माह से ज्यादा लग रहे हैं। ऐसे में समय तो ज्यादा लग ही रहा है, पैसा भी ज्यादा खर्च हो रहा है और बचत कम हो गई है।

घट गया स्पोर्ट्स के सामान का निर्यात

स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से मिले आंकड़ों की बात करें तो इजरायल के साथ युद्ध के चलते स्पोर्ट्स सामान की आपूर्ति घट गई है। पिछले साल जहां साढेÞ सोलह करोड़ का माल भेजा गया, वहीं इस बार यह आठ करोड़ से भी कम का रह गया। बात दीगर है कि जब देशों में युद्ध छिड़ा हो तो कौन खेल की बात करेगा। इजरायल में फिटनेस और बॉक्सिंग का काफी सामान निर्यात होता है और इसमें मेरठ की बड़ी भागेदारी है। यूनाइटेड अरब अमीरात में करीब 28 करोड़ 44 लाख का खेल का सामान सप्लाई हुआ।

सउदी अरब के लिए करीब 14 करोड़, तुर्की में करीब 6 करोड़ 86 लाख, कतर में तीन करोड़ 80 लाख, ओमान में तीन करोड़ 16 लाख, कुवैत में करीब दो करोड़ 2 लाख, लेबनान में करीब 68 लाख, बहरीन में करीब 42 लाख का खेल का सामान पिछली बार निर्यात हुआ था। स्पोर्ट्स कारोबारियों का कहना है कि जंग मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की सेहत के लिए ठीक नहीं। अगर यह लंबी चली तो आर्डर तो कम हो ही जाएंगे, पेमेंट भी फंसेगा। इससे इंडस्ट्री का हर काम प्रभावित होगा। यही नहीं, कंटेनर का किराया भी युद्ध के हालातों के चलते बढ़ गया है। यह किराया अब चार हजार डालर तक हो गया है।

मेरठ की हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा

यूं तो खेल का सामान पूरे देश में ही जगह जगह से भेजा जाता है। इसमें कैरमबोर्ड, फुटबाल, टेबिल टेनिस, जिम का सामान ज्यादा होता है। कुल निर्यात किये जाने वाले स्पोर्ट्स के सामान में 60 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी मेरठ की होती है। अब युद्ध की वजह से बहुत समस्याएं बढ़ गयी हैं। 150 करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है।

खेल सामान की 25 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां

मेरठ का स्पोर्ट्स का कारोबार काफी बड़ा है। यहां छोटी बड़ी 25 हजार फैक्ट्रियां हैं, जो 25 किमी के क्षेत्र में फैली हैं। यहां दो लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। अब अगर युद्ध के हालातों से डिलीवरी प्रभावित होंगी या फिर आर्डर रद्द होंगे तो निश्चित तौर पर कारोबार और उसमें काम करने वाले लोग प्रभावित होंगे। पेमेंट में दिक्कतें आएंगी।

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