जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पंजाब में प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की सुनवाई पूरी होने तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गठित समितियां मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं करेंगे। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान उनके यात्रा रिकॉर्ड को सुरक्षित व संरक्षित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब सोमवार को सुनवाई करेगा।
PM Modi's Security Lapse | Supreme Court directs the Registrar General of Punjab and Haryana High Court to secure and preserve the travel records of Prime Minister Narendra Modi during his visit to Punjab forthwith. pic.twitter.com/bKPn1U3c5l
— ANI (@ANI) January 7, 2022
दरअसल सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि पीएम की सुरक्षा का मामला दुर्लभ से दुर्लभ है। इसने हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरे के रूप में सामने आया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ का एक वीडियो बुधवार को इसी तरह की कार्रवाई का आह्वान करते हुए सामने आया था। पंजाब सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी पर केंद्र ने कहा कि राज्य के गृह सचिव भी इस मामले में जांच के दायरे में हैं। इसलिए वह जांच पैनल का हिस्सा नहीं हो सकते।
Supreme Court directs Punjab and police authorities, SPG, and other Central and State agencies to cooperate and provide necessary assistance to seal the entire record.
— ANI (@ANI) January 7, 2022
बता दें, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह मामला सीमा पार आतंकवाद का मामला है इसलिए एनआईए अधिकारी जांच में सहायता कर सकते हैं। वहीं मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने एक जांच समिति बनाई है। यहां तक कि केंद्र द्वारा भी जांच समिति बनाई गई है। समिति पूरी तरह से खुली हुई है। किसी को भी जांच के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
केंद्र द्वारा राज्य की समिति पर उठाए गए सवाल पर पंजाब सरकार ने कहा कि हमें भी केंद्र द्वारा गठित समिति पर भरोसा नहीं है। अगर पंजाब का पैनल जांच नहीं कर सकता तो केंद्र का पैनल भी नहीं कर सकता। बेहतर होगा अदालत समिति का गठन करे। पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि अदालत जांच के लिए किसी अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या अन्य अधिकारियों को नियुक्त कर सकती है।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, स्थानीय पुलिस वहां थी और स्थानीय लोगों के साथ चाय का आनंद ले रही थी, लेकिन उन्होंने आगे प्रदर्शनकारियों के बारे में एसपीजी को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई। एक गंभीर दुर्घटना हो सकती थी और एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी हो सकती थी।
दरअसल मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि राज्य को विशेष रूप से जांच करने का अधिकार नहीं है। यह राज्य की कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि एसपीजी के प्रोटोकॉल में मदद करना राज्य व केंद्र शासित प्रदेश का कर्त्तव्य है। एसपीजी अधिनियम के महत, यह राज्य के विषय या कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। आगे कहा कि पीएम की सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और यह संसदीय दायरे में आता है। घटना की पेशेवर जांच की जरूरत है।