Monday, July 14, 2025
- Advertisement -

Mangalwar Ke Upay: बजरंगबली को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, मंगलवार को जरूर करें ये काम

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान श्रीराम के परम भक्त और महाशक्तिशाली देवता हनुमान जी को समर्पित माना गया है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से साधक को बल, बुद्धि, साहस और ऊर्जा प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी कलयुग के जीवित देवता हैं, जो आज भी अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। मंगलवार के दिन व्रत रखने, सुंदरकांड का पाठ करने, बजरंगबाण या हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही, ज्योतिष शास्त्र में भी हनुमान जी का संबंध मंगल ग्रह से बताया गया है, जो भक्ति, शक्ति, ऊर्जा और साहस के कारक है।

कुंडली में मंगल की स्थिति का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। स्थिति मजबूत होने पर साधक करियर, नौकरी व घर-परिवार में खुशियां पाता है। लेकिन कमजोर होने पर व्यक्ति के स्वास्थ्य और निजी जीवन में समस्याएं बनी रहती हैं। हालांकि मंगलवार के दिन हनुमान जी को बूंदी का भोग लगाने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती हैं। साथ ही बंदर को गुड़, चना, केला या मूंगफली खिलाने से आय के स्रोत बढ़ते हैं। इस दौरान केवल हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी प्रभु का आशीर्वाद पाया जा सकता है। इससे मानसिक शांति, रोग से मुक्ति और जीवन में समृद्धि बनी रहती हैं। ऐसे में चलिए आइए जानते हैं इसके बारे में…

हनुमान चालीसा

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Automobiles: Bajaj ने बंद की Pulsar N150 बाइक, Launch के एक साल के अंदर ही लिया बड़ा फैसला

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here