- सदर तहसील में आम आदमी की उम्मीदों को लग रहा पलीता
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तहसील प्रशासनिक सेवा से जुड़ी हैं। यहां उम्मीद की जाती हैं कि आम आदमी को तहसील स्तर से उन्हें शुलभ और सस्ता न्याय मिलेगा, लेकिन ऐसा है नहीं। तहसील में जाने के बाद भ्रष्टाचार के ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ पाना मुश्किल होता हैं। दरअसल, तहसील में प्राइवेट लोगों के हाथों में तहसील की गोपनीय फाइल होती हैं। ये फाइल आगे तब तक नहीं खिसकती हैं, जब तक कुछ चढ़ावा नहीं मिल जाता हैं।
‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने मंगलवार को तहसील में प्राइवेट लोगों के हाथों में तहसील की गोपनीय फाइलों की तस्वीर कैमरे में कैद कर ली। जब कैमरा चला तो हड़कंप मच गया। एक-दो नहीं, बल्कि प्रत्येक कक्ष में तीन से चार प्राइवेट कर्मचारी तहसील में रखे गए हैं, वहीं तहसील को संचालित कर रहे हैं। उनके बिना नहीं तो आय प्रमाण पत्र बन पाता और नहीं जाति प्रमाण पत्र।
15(ए)कक्ष में आय प्रमाण पत्र बनवाने वालों की लाइन लगी हुई थी। इस कक्ष में चार कर्मचारी जुटे थे, लेकिन ये सभी प्राइवेट थे। इसमें से एक भी सरकारी कर्मचारी नहीं था। तमाम प्राइवेट लोग ही गोपनीय काम कर रहे थे। जिस व्यक्ति की आय पांच लाख रुपये सालाना थी, उसको चालीस हजार रुपये की आय का प्रमाण पत्र बनाकर दिया जा रहा था। इसमें लेखपाल की रिपोर्ट भी लगी थी।
इस तरह के एक दो मामले नहीं, बल्कि कई मामले हर रोज सामने आ रहे हैं। ठीक है, प्राइवेट लोगों से काम लिया जा रहा हैं, लेकिन एक तो सरकारी कर्मचारी वहां पर तैनात होना चाहिए। कक्ष संख्या-4 में भी यही हाल हैं। यहां भी चार प्राइवेट व्यक्ति कंप्यूटर पर काम कर रहे थे। इन्हें कैमरे में कैद किया तो भगदड़ मच गयी। शमशाद उर्फ भूरा तहसील की गोपनीय फाइल लिये घूम रहे थे।
गोपनीय दस्तावेज प्राइवेट व्यक्ति को कैसे दे दिये जाते हैं, यह बड़ा सवाल हैं। इस तरह तो तहसील की गोपनीयता भी भंग हो रही हैं। प्राइवेट लोगों पर कैसे भरोसा किया जा सकता हैं? प्राइवेट लोग फाइल लिये घूमते हैं तथा इसमें तहसीलदार कुछ नहीं कर पाते हैं। प्रत्येक अनुभाग पर प्राइवेट लोगों का कब्जा हो गया हैं।
प्राइवेट ही सरकारी काम काज देख रहे हैं, जिससे गोपनीयता भंग हो रही हैं। शासन से जो भी आदेश-निर्देश आते हैं, उनकी गोपनीयता ये प्राइवेट व्यक्ति भंग कर देते हैं, जिसके बाद ही प्राइवेट लोगों का तहसील में हस्ताक्षेप बंद नहीं किया जा रहा हैं। आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? इसमें प्राइवेट लोगों पर क्या तहसील स्तर से कार्रवाई की जा सकेगी या फिर रोजमर्रा की तरह से प्राइवेट लोग गोपनीय फाइलों को लिये घूमते रहेंगे।
25 फाइलों पर एसडीएम ने कराये हस्ताक्षर
तहसीलदार के व्यवहार को लेकर तहसील के तमाम सरकारी कर्मचारी परेशान हैं। एक क्लर्क फाइल लेकर तहसीलदार के पास गए तो तहसीलदार ने फाइल उसके मुंंह पर फेंक दी। तहसीलदार रामेश्वर के इस व्यवहार से आहत क्लर्कों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दे दी। इसके बाद पूरा मामला एसडीएम के दरबार में पहुंचा। बताया गया कि 25 ऐसी फाइलें थी, जिन पर तहसीलदार ने हस्ताक्षर नहीं किये थे।
एक-एक सप्ताह तक फाइलों को अपने पास रखकर बैठे रहते हैं। इन फाइलों के बारे में एसडीएम ने बुलाया और तहसीलदार से पूछा। उधर, संबंधित क्लर्क से भी बातचीत की। यही नहीं, एसडीएम के कहने के बाद इन फाइलों पर हस्ताक्षर किये गए। इसके बाद ही कहा गया कि फाइलों को तहसील स्तर से नहीं रोका जाएगा। फाइल रोकी गई तो इसमें कार्रवाई की जाएगी।