Friday, July 5, 2024
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हैरत: जिला अस्पताल में सर्जन ही नहीं

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  • खराब स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल, मेडिकल की इमरजेंसी में रात में नहीं किया जाता मरीजों को भर्ती

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना काल के दौरान मेडिकल की स्वास्थ्य सेवाओं पर अंगूली उठी थी। भाजपा सांसद व विधायकों ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को कठघरे में खड़ा कर दिया था। अब फिर से मेडिकल की इमरजेंसी में देर रात में मरीज को भर्ती नहीं किया जाता। मरीज को वापस प्राइवेट अस्पताल में भेज दिया जाता हैं। कुछ इसी तरह का खेल यहां चल रहा हैं। डॉक्टरों का यह ‘महाखेल’ मंगलवार को विधानसभा में गूंज उठा। स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला मेडिकल का सरकारी सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया गया।

विधानसभा में मेडिकल की खराब स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा पांच मिनट तक गूंजता रहा। इस खराब सिस्टम के लिए जिम्मेदारों पर क्या अब कार्रवाई हो पाएगी? मेरठ मेडिकल कॉलेज में पूरे पश्चिमी यूपी से मरीज को लेकर लोग पहुंचते हैं, लेकिन मरीज को एमरजेंसी में भर्ती करने से इनकार कर दिया जाता हैं। रात-भर मरीज को परेशान किया जाता हैं। मरीज और उसके तीमारदारों के सामने ऐसे हालात पैदा कर दिये जाते हैं, जिसके बाद मरीज को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता हैं।

इसके उदाहरण भी विधानसभा में दिये गए। खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं? क्या स्वास्थ्य सेवाओं में अब सुधार संभव हो पाएगा? या फिर इसी तरह से स्वास्थ्य सेवाएं चलती रहेगी। आला अधिकारी क्या इस पर अपना फोकस करेंगे? यह देखना अभी बाकी हैं। कोरोना काल में जो दुर्गति मरीजों की मेडिकल में हुई थी, उसकी शिकायत भाजपा विधायकों ने सीएम से कर दी थी। सीएम ने नोडल अधिकारी की तैनाती तब की थी,जिसके बाद ही कुछ सुधार संभव हुआ था। यह भी हैरान कर देने वाली बात है कि जिला अस्पताल में आॅपरेशन करने वाले सर्जन ही नहीं हैं। स्टाफ की भी कमी हैं।

डॉक्टर पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, जिसके चलते आम आदमी को चिकित्सा सुविधा मुहैय्या नहीं हो पाती हैं। सर्जन ही नहीं, बल्कि कई ऐसे डिपार्टमेंट हैं, जिसमें डॉक्टरों की तैनाती होना बेहद आवश्यक हैं। अल्ट्रा साउंड की मशीन तो लगी हैं, लेकिन इसकी जांच सिर्फ दो घंटे की जाती हैं। 10 बजे से 12 बजे तक। मरीजों को कह दिया जाता निर्धारित समय के बीच ही आना। इस दौरान जो भी मरीज आते हैं, उनका अल्ट्रासाउंड कर दिया जाता हैं, बाकी का नहीं। इस तरह से लोग जांच भी जिला अस्पताल से बाहर करा रहे हैं।

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