- बसपा प्रत्याशी मनीष अरोड़ा और कांग्रेस की सुखविंदर ने रोचक बनाया मुकाबला
- पंजाबी समाज का वोट ज्यादा बंटा तो गुंबर के लिए खड़ी होंगी मुश्किलें
जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: सदर सीट पर चुनावी रण दिलचस्प मोड़ पर पहुंचता जा रहा है। इस सीट पर सपा ने संजय गर्ग तो भाजपा ने राजीव गुंबर को मैदान में उतारा है। उधर, बसपा ने नए नवेले प्रत्याशी मनीष अरोड़ा पर दांव लगाया है तो कांग्रेस ने सुखविंदर कौर को मैदान में उतारा है। सुखविंदर भी पहली बार चुनाव मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला सपा-भाजपा में बताया जा रहा है। लेकिन, इस जंग को और ज्यादा ज्यामितीय बना दिया है बसपा और कांग्रेस ने।
ऐसे मेें ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी से कुछ नहीं कहा जा सकता। बता दें कि सदर सीट सबसे पहले 1952 में अस्तित्व में आई थी। तब से अब तक 18 चुनाव हुए हैं। इसमें शुरुआती कुछ सालों में कांग्रेस और फिर भाजपा ने परचम लहराया है। मसलन, 2007, 2012, 2014 में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की। वर्ष-2014 में विधायक राघव लखनपाल शर्मा के सांसद चुने जाने के बाद जब यहां उप चुनाव हुआ तो राजीव गुंबर के सिर जीत का सेहरा बंधा।
भाजपा ने इस बार यहां से पिछला चुनाव हार चुके राजीव गुंबर पर दांव लगाया है। सपा ने वर्तमान सपा विधायक संजय गर्ग को मैदान में उतारा है। पिछला चुनाव संजय गर्ग ने राजीव गुंबर को हरा दिया है। दिलचस्प ये है कि कांग्रेस ने पार्षद चंद्रजीत सिंह निक्कू की धर्मपत्नी सुखविंदर कौर को प्रत्याशी बनाया है, वहीं बसपा ने मनीष अरोड़ा पर दांव चला है।
सियासी पंडितों का कहना है कि संजय गर्ग और राजीव गुंबर में ही मुख्य मुकाबला है। लेकिन, बसपा के मनीष अरोड़ा और कांग्रेसे की सुखविंदर कौर ने इस मुकाबले को बड़ा कंटीला बना दिया है। माना जा रहा है कि मनीष अरोड़ा और सुखविंदर जितना बढ़िया चुनाव लड़ेंगी, राजीव गुंबर को उतनी ही मुश्किलों से दो-चार होना पड़ेगा।
जहां तक मुस्लिम मतदाताओं की बात है तो वह बहुत असमंजस में इस बार नहीं लगते। कमसे कम सदर सीट पर सपा प्रत्याशी को वोट करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता। बसपा की बात करें तो सदर सीट पर उसका कभी भी कब्जा नहीं रहा है। लेकिन, समीकरण बनाने बिगाड़ने में बसपा प्रत्याशियों का बड़ा हाथ रहा है।
पिछले चुनाव की बात करें तो बसपा प्रत्याशी मुकेश दीक्षित ने इतने वोट काट दिए थे कि राजीव गुंबर को पराजय की पीड़ा सहनी पड़ गई। इस बार मनीष अरोड़ा बसपा से हैं और वह भी पंजाबी समाज से हैं। इसी तरह सिख समाज से सुखविंदर कौर भी भाजपा प्रत्याशी की पेशानी पर बल लाने के लिए काफी हैं।
हालांकि, भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है और इस सीट पर हिंदू मतों का लगभग ध्रुवीकरण देखा जा रहा है। जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो इस सीट पर सर्वाधिक करीब 1.50 लाख मुस्लिम मतदाता हैं, दूसरे नंबर पर करीब एक लाख पंजाबी, करीब 45 हजार अनुसूचित जाति, 45 हजार वैश्य-जैन मतदाता हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में इस सीट पर 3,93,556 मतदाता थे, इनमें महिला मतदाता की संख्या 1,83,024 व पुरुष मतदाता की संख्या 210,503 थी।
2022 में यहां कुल मतदाता 442001 है इनमें पुरुष मतदाता-231949 तथा महिला मतदाता- 209996 तथा अन्य 56 है। अब जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, यह तो वक्त बताएगा किंतु इस बार इस सीट पर सियासी जंग दिलचस्प हो चुकी है।