- 45 दिन सफाई के लिए बंद की जा रही है गंगनहर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सफाई कार्यों के लिए गंगनहर को 45 दिन के लिए बंद किये जाने को लेकर नगर निगम के अधिकारियों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ वार्ता की। इसमें पानी के वैकल्पिक इंतजामों पर भी चर्चा की गई। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने संकेत दिये हैं कि डेढ़ माह का समय अहतियात के लिए लिया गया है तथा वह एक माह के भीतर इसकी सफाई कराने के लिए प्रयासरत हैं।
मालूम हो कि टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स पर कार्य के चलते 45 दिनों के लिए गंगनहर बंद की जा रही है। ऐसे में गंगनहर से मेरठ शहर को पेयजल आपूर्ति बंद होने से बड़ी समस्या खड़ी होने वाली हैं। ये आदेश जल संसाधन मुख्य अभियंता ने जारी किए हैं। सफाई के लिए यह ब्रेकडाउन इसी माह 15 मई से 30 जून तक की अवधि के लिए लिया जा रहा है। इस दौरान टिहरी संयंत्र पूरी तरह से बंद रहेगा। मंगलवार को नगर निगम के अवर अभियंता पंकज कुमार सिंचाई विभाग पहुंचे तथा अधिकारियों से मंत्रणा की।
अवर अभियंता पंकज कुमार ने बताया कि भोला झाल पर नगर निगम की ओर से गंगाजल को फिल्टर करने का प्लांट लगाया गया है। यहां से पूरे शहर में गंगाजल की आपूर्ति होती है। शहर में हमने चार भूमिगत जलाशय बना रखे हैं। यह भूमिगत जलाशय गोला कुआं, विकास पुरी कालोनी, साकेत तथा शर्मा स्मारक में हैं। इन भूमिगत जलाशयों में पानी का स्टोरेज किया जा रहा है तथा भोला झाल से आने वाला गंगाजल आधा इन भूमिगत जलाशयों में पहुंचाया जायेगा तथा बाकी गंगाजल शहर में आपूर्ति होगा। उन्होंने बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए शासन स्तर पर बात की जा रही है।
ग्लेशियर पिघलेंगे तो मिल सकेगा नहरों में पानी !
मेरठ: खरीफ की फसलों को इस समय पानी की सबसे अधिक जरूरत होने के बावजूद टिहरी से डेढ़ महीने के लिए जलापूर्ति बंद होने वाली है। ऐसे समय में किसानों के सामने सिंचाई के लिए जल का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। पानी की सप्लाई सुचारू करने के लिए सिंचाई विभाग की निगाहें पहाड़ों पर जमा बर्फ पिघलने पर टिकी हुई हैं।
भोपा से मुरादनगर तक मेरठ खंड गंगनहर के लिए खरीफ के मौसम में करीब 13 हजार क्यूसेक पानी की जरूरत है। इसके विपरीत अभी तक केवल छह हजार क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है। इसमें तीन हजार क्यूसेक पानी 14 मई के बाद टिहरी से मिलना बंद हो जाएगा। इस संबंध में सिंचाई विभाग के पास आधिकारिक रूप से सूचना आ चुकी है। अगर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकी, तो अभी तक कुल छोटी-बड़ी 72 नहरों में से एक चौथाई को रोस्टर से पानी दे पाना भी मुश्किल हो जाएगा।
गौरतलब है कि खरीफ की फसलों के लिए यह समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसमें वर्ष भर में सबसे अधिक पानी की जरूरत होती है। इसी अवधि में टिहरी में प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए 45 दिनों तक पानी बंद रखने के कारण पानी के संकट को दूर करने की अभी तक विभाग ने कोई कार्ययोजना नहीं बनाई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पानी की कमी दूर होने के लिए सारी उम्मीद ग्लेशियर के पिघलने पर टिकी हुई है।
आम तौर पर 15 मई से पहाड़ों पर जमा बर्फ तेज गर्मी के कारण पिघलकर पानी में तब्दील होकर बहने लगती है। आशा यही की जा रही है कि इस वर्ष भी निश्चित तिथि तक बर्फ पिघलेगी, और पानी का संकट दूर हो जाएगा। इसी प्रकार अनूपशहर खंड के लिए 600 क्यूसेक पानी की जरूरत है, जिसके लिए सिंचाई विभाग ऊपर से वैकल्पिक व्यवस्था और ग्लेशियर पिघलने का इंतजार कर रहा है।