Thursday, May 8, 2025
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बच्चों को भी सिखाएं मनी मैनेजमेंट

Balwadi


नीतू गुप्ता |

वैसे तो मनी मैनेजमेंट घर के बड़े ही करते हैं पर बच्चों को आल राउंडर बनाना हो तो उन्हें बचपन से भी मनी मैनेजमेंट सिखानी चाहिए ताकि बड़े होकर अपने धन का सही उपयोग कर सके। माता-पिता बचपन से ही उन्हें समझाएं कि क्या खर्चे जरूरी हैं और क्या बाद में करने वाले हैं और कुछ खर्चों को अवायड भी किया जा सकता है। उन्हें कुछ पैसे बचाने और खर्चने की ट्रेनिंग साथ साथ देते रहें तो भविष्य में अच्छा रहेगा।

बचपन से ही पिग्गी बैंक दें                                                           

बचपन से ही बच्चों को पिग्गी बैंक ला कर दें और उन्हें समझाएं कि संबंधियों से मिले पैसे त्योहार पर मिले पैसे, जन्मदिन पर मिले पैसे और पॉकेट मनी से बचे पैसों को इस पिग्गी बैंक में डालें। यह भी बताएं कि इन पैसों को वे कुछ अपनी पसंद की पुस्तकें खरीदने, गेम खरीदने या कोई म्यूजिककल इंस्ट्रूमेंट खरीदने में प्रयोग कर सकते हैं। बच्चों को यह भी बताएं कि सेव किए पैसों को अक्लमंदी से ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

बचपन से ही जेबखर्च दें                                                               

बच्चों की उम्र के अनुसार पाकेट मनी तय करें। जरूरत पड़ने पर थोड़ी एक्सट्रा पाकेट मनी दें पर आदत न बनाएं। बच्चों को बताएं कि यह पॉकेट मनी महीने भर के लिए है। उसमें थोड़ा कैंटीन में खर्च कर सकते हैं या शाम को अपनी पसंद का कुछ खरीद कर खा सकते हैं। उन्हें समझाएं कि माह भर इसे बांट कर खर्च करना है और प्रयास कर कुछ बचाना भी है। ऐसा बताने से उनकी फिजूलखर्ची की आदत नहीं बनेगी। बचे पैसों को इकठ्ठा कर उन्हें कब, कैसे और कितना खर्च करना है, उन पर छोड़ दें पर नजर अवश्य रखें ताकि पैसे का मिसयूज न कर सकें।

बच्चों से कराएं खरीदारी                                                                

जब बच्चे 10 वर्ष के हो जाएं तो उन्हें छोटी छोटी खरीदारी करने के लिए पैसे दें ताकि वे जान सकें कि पैसों का हिसाब किताब कैेसे रखा जाता है। उन्हें घर के लिए ब्रेड, अंडे, चाकलेट, बिस्कुट लाने के लिए पैसे दें। अपने लिए कापी, पैंसिल, पेन, स्टेशनरी की अन्य कोई वस्तु लाने हेतु पैसे दें। बच्चे जिम्मेदारी भी समझेंगे और उन्हें खरीदारी करना भी आ जाएगा।

बजट बनाना सिखाएं                                                                      

12 से 13 तक के बच्चों को डायरी देकर खर्चे लिखना सिखाएं। कितने पैसे उनके पास हैं, किस-किस सामान पर कब और खर्च कितना किया, लिखते जाएं। अंत में कुल कितना खर्च हुआ और उनकी कुल रकम कितनी थी, उसे कम कर बाकी बचे पैसे से ठीक हैं या नहीं। इस प्रकार आप उन्हें कहां फिजूलखर्ची की, उसके बारे में बता सकते हैं ताकि भविष्य में फिजूलखर्ची करने से बचें।



बैंक में खाता खुलवाएं                                                                  

14 से 15 साल के बच्चे का बैंक में खाता खुलवा कर बैंक अकाउंट कैसे मेंटेन रखा जाता है, उसकी शिक्षा भी साथ साथ देते जाएं। कुछ बैंक बच्चों के एटीएम कार्ड भी बनाते हैं। इससे बच्चे आवश्यकता पड़ने पर उसका प्रयोग कर सकते हैं।

बैंक में माता-पिता निर्देश दे सकते हैं कि बच्चे निर्धारित सीमा के अंदर ही पैसे निकाल सकते हैं। माता-पिता इस सुविधा का लाभ उठा कर बच्चों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। चैक कैसे काटा जाता है और कैश कैसे जमा कराया जाता है, बच्चे सीख सकते हैं।


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