- शासन को भेजे जाने वाले आंकड़ों में आएगी पारर्दिशता, छात्रों की शिक्षा पर सीधे पड़ेगा प्रभाव
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित परिषदीय स्कूल के प्रधानाध्यापकों को एक-एक टेबलेट बांटने के लिए हरी झंडी दे दी है। जिसकी कवायद क्रांतिधरा से शुरू होगी। परिषदीय शिक्षक हर रोज स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की उपस्थिति फेंसिंग अटेंडेंस के माध्यम से करेंगे।
साथ ही शिक्षक, शिक्षिकाएं को भी लाइव उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य होगा। इससे शिक्षकों की हार्टबीट बढ़ेगी और शासन को भेजे जाने वाले आंकड़ों में पारर्दिशता आएगी। हालांकि, इससे शासन की अच्छी पहल माना जा रहा है। लेकिन, कहां ना कहीं इस अभियान से शैक्षणिक संस्थानों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की प्रतिक्रिया से सामने आया है कि कहीं ना कहीं सरकार की मंशा सही नहीं है, लेकिन कुछ शिक्षकों ने इस पहल को सही ठहराया है। वहीं विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों से बीतचीत से सामने आया है कि पूरे जिले में करीब सात हजार शिक्षिकाएं एवं शिक्षक है और जिले के परिषदीय स्कूलों में करीब दो लाख छात्र अध्ययनरत है।
लेकिन, सरकारी का स्कूलों में खाली पदों की अगर बात करें तो इस ओर कोई ध्यान नहीं है और ना ही परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की मूलसुविधाओं की ओर कोई ध्यान दिया है जा रहा है। जहां आज भी परिषदीय स्कूलों में छात्रों को दरे पर बैठक कर मिडे-डे-मिल का खाना खाना पड़ता है।
लेकिन, आज भी स्थानीय अफसरों से लेकर शासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। शासन द्वारा परिषदीय स्कूलों में डीबीटी के माध्यम से 12 सौ रुपये की धनराशि गरीब बच्चों के अभिभावकों को दी जाती है। सर्दी शुरू हो गई है। वहीं 20 प्रतिशत छात्रों के खाते में आज तक डीबीटी की रकम नहीं पहुंची है। जहां गरीब बच्चे आज भी बिना युनिफॉम व जर्सी और जूते के बीना स्कूल पहुंंचते है। यह हाल तब है
जब शासन प्रशासन कल्याणकारी योजनाओं के ढोल पीतकर गरीब परिवार की मदद करने के नाम पर वाहावाही लूटते हैं। लेकिन, ग्राउंड लेबल की अगर बात करे तो क्या शिक्षकों को सभी बच्चों की लाइव उपस्थिति दर्ज करना संभव होगा। जहां शिक्षकों को स्कूल में सौ बच्चों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए कई घंटे लेंगे। लेकिन, इस बीच छात्रों की शिक्षा पर सीधे प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है। छात्रों के साथ साथ इसका असर शिक्षकों पर भी पड़ेगा।
डीबीटी मिली नहीं, अभिभावकों को सता रहा सर्दी का डर
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में करीब दो लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत है। गरीब व असहाय बच्चों अभिभावकों को यूनिफार्म, जूते व जर्सी खरीदने के लिए करीब 1200 रुपये डीबीटी के माध्यम से भेजे जाते है। लेकिन, जनपद में ऐेसे हजारों बच्चों के प्रतिवर्ष डीबीटी से वंचित रह जाते है। लेकिन, जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जिसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ता है।
शासन प्रशासन की मंशा रहती है कि गरीब व असहाय बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा दी जा सके। इस पर हर वर्ष छात्रों की मूल सुविधाओं के लिए करोड़ों खर्च किया जाता है। वहीं, सर्दी परवाना चढ़ रही है। विभागीय कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार सत्र के कई माह बीत जाने के बाद भी ऐसे हजारों की संख्या में बच्चों है जिनके खाते में अभी भी डीबीटी की रकम नहीं पहुंची है। इससे उनकी इस सर्दी में राह आसान होने वाली नहीं है। जहां दिन प्रतिदिन कड़ाके की ठंड अपना प्रकोप दिखा रही हैै।
बावजूद, इसके स्थानीय अधिकारियों को इस ओर कोई ध्यान नहीं है। बात दें कि शासन ने परिषदीय स्कूल के शिक्षकों द्वारा जिन छात्रों को डीबीटी मिलती है उनका डाटा मोबाइल पर फीड करके शासन को भेजा जाता है। लेकिन, स्कूलस्तर पर छात्रों के अभिभावकों को डीबीटी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी जाती है और न ही अभिभावकों को इसकी जानकारी होती है। जिसका खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ता है।
शासन द्वारा हर वर्ष प्रतिएक छात्र को 1200 रुपये डीबीटी के माध्यम से भेजे जाते है। ताकि, बच्चे के अभिभावक इस पैसे से बच्चों की यूनिफॉम, जूते व जर्सी खरीदकर ला सके। आंकड़ों के अनुसार ऐसे हजारों की संख्या में बच्चे हैं। जिनके खाते में अभी तक डीबीटी की रकम नहीं पहुंची है।