जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में दहशत फैलाने के लिए पीओके के मुजफ्फराबाद से आतंकी संगठनों को निर्देश मिले रहे हैं। ये निर्देश घाटी के चार अलग-अलग संगठनों को माहौल खराब करने के लिए दिए जा रहे हैं। नए साल के पहले दिन हुए (Rajouri Terror Attack) टारगेटेड आतंकी किलिंग और टारगेटेड अटैक के लिए लश्कर-ए-तैयबा के द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने घटना की जिम्मेदारी ली है। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में तीन अन्य संगठनों को निशाने पर ले लिया है। जानकारों के मुताबिक घाटी में टीआरएफ ही सबसे ज्यादा माहौल को खराब कर रही है।
कश्मीर के राजौरी जिले के डांगरी गांव में जिस तरह से नए साल पर चार लोगों की हत्या की गई। फिर अगले दिन आईडी ब्लास्ट करके हमला किया गया और एक बच्चे की मौत हो गई। इस तरह का माहौल पैदा कर आतंकी घाटी में अमन शांति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दहशत फैलाने के लिए ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ ने नए साल का पहला दिन चुना।
उसके बाद अगले दिन विरोध-प्रदर्शन कर रहे इलाके में फिर से दहशत फैलाने के लिए आतंकी संगठनों ने उसी इलाके को दोबारा चुना। रक्षा मामलों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि वैसे तो जिस इलाके में घटना हुई है, वहां पर लगातार न सिर्फ चेकिंग होती रहती है, बल्कि ऐसे आतंकी संगठनों जुड़े आतंकियों को पकड़ा भी जा रहा है। घाटी में सुरक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल हुए डीजी जेल की हत्या के बाद में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ के आतंकियों को ने सिर्फ पकड़ा गया, बल्कि भाइयों को तो मुठभेड़ में मार भी गिराया गया गया।
आईएसआई के इशारे पर कर रहे काम
खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों ने घाटी में माहौल खराब करने के लिए चार संगठनों को जिम्मेदारी दी है। सूत्रों के मुताबिक यह चारों संगठन पीओके के मुजफ्फराबाद से कंट्रोल किए जा रहे हैं। घाटी में माहौल खराब करने के लिए मुजफ्फराबाद में बैठे आतंकी आकाओं ने द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), द पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी) और कश्मीर जांबाज़ फोर्स (केजेबी) जैसे कुछ और छोटे-मोटे स्थानीय लड़कों के आतंकी संगठन तैयार किए गए हैं। खुफिया और रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह सभी संगठन पाकिस्तान के आईएसआई के इशारे पर ही काम कर रहे हैं। ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से ही जुड़े आतंकी संगठन है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे जिस शख्स के इशारे पर इस वक्त घाटी में थोड़ी बहुत हलचल हो रही है, वह उसके निशाने पर है।
सरकार की योजनाओं से बेचैनी
खुफिया मामलों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि दरअसल केंद्र सरकार की जो योजनाएं घाटी में अमन शांति के लिए चलाई जा रहीं हैं, उससे घाटी के चरमपंथी और आतंकी संगठन परेशान हैं। और अलग-अलग तरह की वारदातें करके घाटी में माहौल खराब कर रहे हैं। घाटी में इन दिनों रेवेन्यू कोर्ट की जो विशेष अदालतें तैयार की गई हैं, जिसमें कश्मीरी पंडित और दूसरे अल्पसंख्यक लोग अपने दस्तावेजों को जमा करके जमीनों को वापस पाने का दावा पेश कर रहे हैं वह घाटी के चरमपंथियों को पसंद नहीं आ रहा है। न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से हड़पी गई इन जमीनों को कश्मीरी पंडित और अल्पसंख्यकों को वापस मिलने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। कश्मीर मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि घाटी में अमन बहाली की दिशा में किए जा रहे कामों से ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंक फैलाने वाले लोग बौखलाए हुए हैं।
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर एसके डार कहते हैं कि अलगाववादी नेता और आतंकियों के साथ-साथ चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है। क्योंकि इससे कश्मीर में पूरे देश से लोग आकर अपना आशियाना भी बना सकते हैं और वहां बस भी सकते हैं। धारा 370 के हटने के बाद वैसे भी कश्मीर में रोजगार से लेकर वहां बसने और उद्योगों को लगाने से लेकर तमाम तरह से जीवन स्तर को ऊपर उठाने के रास्ते आसान हो गए हैं। यह बात भी चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है। यही वजह है कि घाटी में माहौल खराब करने के लिए द रजिस्टेंस फ्रंट जैसे आतंकी संगठन टारगेट किलिंग और टारगेट अटैक कर रहे हैं।
बाहर से आए लोग हैं सॉफ्ट टारगेट
रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्लीपर सेल के चरमपंथी आतंकवादी जानबूझकर स्थानीय हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को न सिर्फ मार रहे हैं, बल्कि दूर-दराज के राज्यों से अपना पेट भरने के लिए आए लोगों और व्यापारियों को भी सॉफ्ट टारगेट करके दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बीते कुछ दिनों में जो हत्याएं हुई हैं, वह लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादी मिलकर कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक टीआरएफ के साथ जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के स्लीपर सेल सक्रिय हो गए हैं। हालांकि घाटी में सक्रिय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक आतंकियों के स्लीपर सेल और आतंकी संगठनों के टॉप कमांडर सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं। इनमें से कुछ टॉप कमांडरों को मार गिराया गया है। बहुत जल्द ही कुछ अन्य आतंकवादियों को भी मार गिराया जाएगा।