- दीपावली पर स्ट्रीट लाइटें ठीक करने को वर्कशाप खोलेगा नगर निगम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में अंधेर नगरी चौपट राज हो रहा है। लखनऊ में बैठे अधिकारियों के आदेश पर नई स्ट्रीट लाइटें लगाने और खराब लाइटों को ठीक करने का ठेका लेने वाली ईईएसएल के ढाई करोड़ का भुगतान लेकर महानगर को अंधेरे में छोड़ गई। अब पार्षद जनता को लेकर हंगामा कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी महानगर में अंधेरे को दूर करने को कुछ नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि अब नगर निगम के अधिकारियों ने 1.80 करोड़ रुपये से नई स्ट्रीट लाइटें खरीदने और 30 लाख रुपये से खराब स्ट्रीट लाइटें ठीक कराने की योजना बनाई है। इसके लिए नगर निगम अपनी वर्कशाप भी खोलेगा, लेकिन यह सब दीपावली से पूर्व होना असंभव नजर आ रहा है।
वर्ष 2017 में नगर निगम ने ईईएसएल कंपनी को महानगर में लगीं 42 हजार सोडियम स्ट्रीट लाइटों को बदलकर उनके स्थान पर एलईडी लाइटें लगाने और सात वर्ष तक उनकी मेंटीनेंस करने के लिए ठेका छोड़ा था। यह ठेका 25 अक्टूबर-2025 को खत्म हो रहा है। उक्त कंपनी ने शुरू में तो कार्य किया, लेकिन धीरे-धीरे उसने स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने से मुंह मोड़ लिया। स्ट्रीट लाइटें खराब होती गर्इं, तो लोगों ने नगर निगम में शिकायतें शुरू कीं। पार्षदों ने भी स्ट्रीट लाइटों को ठीक न किए जाने और नई स्ट्रीट लाइटें न लगाए जाने को लेकर नगर निगम में और कार्यकारिणी व बोर्ड की बैठक तक में हंगामा किया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
हद तो यह है कि महापौर तक ने कई बार अधिकारियों के सामने ईईएसएल की कार्य प्रणाली को लेकर नाराजगी जताई। आखिरकार नगर निगम और बोर्ड की बैठक उक्त कंपनी का भुगतान रोकने का निर्णय लिया गया। जुलाई में ईईएसएल ने नगर निगम को दो बिल दिए। इसमें एक बिल 30 करोड़ रुपये का और दूसरा सात करोड़ रुपये का। अगस्त में लखनऊ के अधिकारियों ने तत्कालीन नगरायुक्त अमित पाल शर्मा को ईईएसएल का भुगतान करने के आदेश दिए। इस मुद्दे को लेकर नौ सितंबर को नगर निगम बोर्ड की बैठक में स्ट्रीट लाइटों को लेकर भाजपा व विपक्ष के पार्षदों ने मिलकर खूब हंगामा किया था। उन्होेंने ईईएसएल को दिए ठेके की जानकारी मांगी, तो अपर नगरायुक्त पंकज यादव ने बताया कि 2017 में ईईएसएल से सात वर्ष के लिए पहला अनुबंध किया था।
इसमें 42 हजार स्ट्रीट लाइटों को बदलकर एलईडी लाइटें लगाई जानी थी व मेंटीनेंस करना था। छह माह बाद 26000 नई स्ट्रीट लाइटों लगाने का अनुबंध किया गया। पार्षद अनुज वशिष्ठ ने पूछा था कि किस अधिकारी ने स्ट्रीट लाइटें लगने का भौतिक सत्यापन किस अधिकारी ने किया। आज 17 हजार स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। कंपनी ने लाइटें नहीं लगार्इं। पार्षदों ने दीपावली से पहले लाइटें ठीक कराने की मांग की थी, जिसपर मेयर ने दीपावली से पहले हर वार्ड में सौ-सौ स्ट्रीट लाइटें लगाने के आदेश अधिकारियों को दिए थे। बैठक में अधिकारियों के आग्रह पर ईईएसएल को ढाई करोड़ रुपये भुगतान करने का निर्णय लिया गया था।
उक्त कंपनी को अधिकारियों ने ढाई करोड़ का भुगतान कर दिया, लेकिन उक्त कंपनी ने न तो नई स्ट्रीट लाइटें लगार्इं और न ही खराब स्ट्रीट लाइटें ठीक कीं। अधिकांश महानगर में अंधेरा छाया है। अब पार्षद नगर निगम में हंगामा कर रहे हैं। मंगलवार की शाम पार्षदों ने धरना दिया और दीपावली से पहले नई स्ट्रीट लाइटें लगाने और खराब स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने की मांग की। अपर नगरायुक्त पंकज यादव ने पार्षदों को भरोसा दिया कि दो टेंडर रिलीज किए गए। इनमें एक टेंडर 1.80 करोड़ का नई स्ट्रीट लाइटें खरीदने का है और दूसरी तीस लाख रुपये का टेंडर खराब स्ट्रीट लाइटों को ठीक कराने का है।
निगम स्वयं स्ट्रीट लाइटें ठीक कराएगा: पंकज
अपर नगरायुक्त पंकज यादव का कहना है कि ईईएसएल का ठेका 25 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद हम उक्त कंपनी के बंधन में नहीं रहेंगे। नगर निगम अब स्वयं नई स्ट्रीट लाइटें लगाएगा और मरम्मत भी स्वयं कराएगा। इसके लिए नगर निगम में स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने के लिए वर्कशॉप भी चालू की जाएगी। 25-30 टीमें लगाकर स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी।