- सर्वदलीय पार्षद दल, भाजपा पार्षदों में खूब हुई हाथापाई और हंगामा, चलीं बोतलें
- बोर्ड बैठक स्थगन के बाद नारेबाजी करते हुए सदन में घुसे सफाईकर्मी
- नगर आयुक्त और अधिकारियों को एसपी सिटी कार्यालय में लेनी पड़ी शरण
- पुलिस फोर्स ने नगर आयुक्त का पीछा कर रहे सफाई मजदूरों को टाउन हाल तक खदेड़ा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: टाउन हाल के तिलक हाल में आयोजित नगर निगम बोर्ड की बैठक में सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। आउटसोर्सिंग सफाई मित्रों के वेतन में वृद्धि की मांग को लेकर पार्षदों के हंगामे और बहिष्कार से हुए बैठक के आगाज के बीच पार्षदों के दो गुटों में हाथापाई से लेकर बोतलें चलने तक की नौबत आ गई।
जैसे-तैसे करके बैठक दुबारा शुरू हुई, तो सर्वदलीय पार्षद दल ने अपनी मांगों को लेकर बोर्ड बैठक का फिर से बहिष्कार करके प्रवेश द्वार पर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे की स्थिति के बीच महापौर सुनीता वर्मा बैठक स्थगित करने की घोषणा करके जैसे ही बाहर निकलीं, सफाईकर्मियों की भीड़ नारेबाजी करते हुए सभागार में घुस आई। जिनके तेवर देखकर नगर आयुक्त और वहां मौजूद सभी अधिकारी लगभग दौड़ते हुए एसपी सिटी कार्यालय में घुस गए।
जिनका सफाई कर्मियों ने पीछा करते हुए बोतलें तक फेंकीं। एसपी सिटी ने पुलिस बल के जरिये सफाईकर्मियों को वापस टाउन हाल तक खदेड़ते हुए मामले को शांत करने का प्रयास किया। घंटों तक चले हंगामे के बीच नगर आयुक्त अपनी गाड़ी से बिना मीडिया से बात किए निकल गए।
वहीं टाउन हाल में एकत्र सफाई मजदूरों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर गुरुवार से हड़ताल करने की घोषणा कर दी। हालांकि एसपी सिटी की मध्यस्ता के बाद गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे नगर निगम अधिकारियों की ओर से सफाई मजदूर नेताओं को वार्ता के लिए निमंत्रण दिया गया है।
नगर निकाय चुनाव की आहट के बीच यह पहले ही माना जा रहा था कि पार्षदों की ओर से विकास कार्यों की अनदेखी को लेकर हंगामा किया जा सकता है। वहीं दीपावली से पूर्व होने वाली बोर्ड बैठक की खबर मिलते ही नगर निगम में सेवारत सफाई कर्मियों की तीनों यूनियन की ओर से एक संयुक्त मोर्चा बनाकर आउटसोर्सिंग सफाई मित्रों का वेतन 16500 रुपये किए जाने की मांग रख दी गई।
जिसको लेकर मंगलवार को धरना देने के बाद बुधवार को बैठक से पूर्व 11 बजे से ही टाउन हाल गेट पर एकत्र होकर जबरदस्त प्रदर्शन शुरू कर दिया गया। इस बीच एक-एक करके अधिकारी, महापौर और पार्षद सफाई कर्मियों के हंगामे और नारेबाजी के बीच से गुजरते हुए सभागार में पहुंचते रहे। सभागार में महापौर सुनीता वर्मा ने सपा के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक प्रस्ताव के साथ बैठक शुरू करने को कहा।
इस दौरान सर्वदलीय पार्षद दल और भाजपा के पार्षदों ने बाहर नारेबाजी कर रहे सफाई मजदूरों कीवेतन वृद्धि संबंधी मांगों को मान लिए जाने का महापौर सुनीता वर्मा और नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा से अनुरोध किया। इसके जवाब में महापौर ने कहा कि वे सदन की बात समर्थन करती हैं। उन्होंने नगर आयुक्त से इस बारे में जवाब देने के लिए कहा, लेकिन नगर आयुक्त ने इस बारे में शासन स्तर से बजट बढ़कर आने के बाद वेतन बढ़ाने की बात कही।
इस पर भाजपा समेत अधिकतर पार्षदों ने ‘सफाईकर्मियों के सम्मान में पार्षद मैदान में, हल्ला बोल-हल्ला बोल, दीवाली का बोनस दो, 16500 पास करो-पास करो, ध्यान दो-ध्यान दो’ जैसे नारे लगाते हुए हंगामा कर दिया। समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच एक दूसरे पर टीका टिप्पणी को लेकर पार्षदों के दो गुट आमने सामने आ गए। जिनके बीच वाकयुद्ध से लेकर हाथापाई और एक-दूसरे पर बोतलें तक फेंकने की नौबत आ गई।
नगर आयुक्त के आदेश पर बैठक में पुलिस को बुला लिया गया, जिसने दोनों गुटों के पार्षदों को अलग करके स्थिति को शांत करने का प्रयास किया। हालांकि इसके चलते उन्हें भाजपा पार्षदों ने यह कहकर खरी-खोटी भी सुनाई कि सदन में पुलिस को ऐसे घुसने का अधिकार नहीं है। इसके बाद हंगामे और पार्षदों के बहिष्कार की घोषणा को देखते हुए बोर्ड बैठक कुछ देर के लिए स्थगित करते हुए मेयर और नगर आयुक्त बाहर चले गए।
बाद में किसी तरह बैठक दोबारा शुरू हुई, जिसमें अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर बैठक के आरंभ से सदन में धरना दे रहे पार्षद अहसान अंसारी से माफी मांगने के लिए नगर आयुक्त से कहा गया। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए नगर आयुक्त ने खेद प्रकट करते हुए उनकी मांगों को पूरा कराने के लिए अधिकारियों की टीम को दुबारा मौके पर भेजने की बात कही।
इसके बाद बैठक शुरू हुई, तो पुन: रीक्षित बजट पर चर्चा के प्रावधान को लेकर फिर हंगामा शुरू हो गया। इस बीच भाजपा पार्षदों ने एक बैनर दिखाते हुए घंटाघर से किशनपुरी नाला निर्माण को नगर निगम का ऐतिहासिक घोटाला बताते हुए नगर आयुक्त से इसकी जांच लखनऊ स्तर से कराने की मांग की। जियोमैपिंग से भजन कर निर्धारण के नोटिस भेजे जाने के मामले पर भाजपा पार्षदों की ओर से जबरदस्त आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा गया कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
इसमें भवन किसी के हैं, और नोटिस किसी को भेजने के मामले सामने आ रहे हैं। उनका कहना था कि कर बढ़ाने की कोई नीति होनी चाहिए। ऐसे कई-कई गुना कर बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं धर्मवीर सिंह ने निर्माण और विकास कार्यों का विभाजन वार्डवार करने की मांग रखी, लेकिन इसका भी कोई संतोषजनक जवाब नगर आयुक्त की ओर से नहीं दिया गया।
जिसके बाद सर्वदलीय पार्षद दल के नेता रंजन शर्मा, धर्मवीर सिंह, गफ्फार अंंसारी, कय्यूम अंसारी समेत सभी पार्षदों ने अनदेखी का आरोप लगाकर बहिष्कार का ऐलान कर दिया। जिसके बाद उन्होंने बाहर आकर गेट पर धरना प्रदर्शन करते हुए नगर आयुक्त के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस हंगामे की स्थिति के बीच मेयर सुनीता वर्मा ने बोर्ड बैठक स्थगित करने की विधिवत घोषणा कर दी, और बाहर निकल गर्इं।
हालांकि उस समय भी नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा अधिकारियों के साथ सभागार में मौजूद रहे, इस दौरान भाजपा के विभिन्न पार्षद भी सभागार में मौजूद रहे। इसके बाद अप्रत्याशित रूप से सफाईकर्मियों की भीड़ नारेबाजी करते हुए सभागार में घुस आई, जिनको देखकर नगर आयुक्त और अधिकारी सभागार से निकलकर लगभग भागते हुए घंटाघर स्थित एसपी सिटी कार्यालय में घुस गए।
सफाईकर्मी भी उनका पीछा करके बोतलें फेकते हुए एसपी सिटी कार्यालय में घुसने का प्रयास करने लगे, लेकिन एसपी सिटी कार्यालय पर मौजूद पुलिस बल ने उन्हें खदेड़कर टाउन हाल भेज दिया। जिसके बाद सफाई कर्मियों की ओर से ऐलान किया गया कि गुरुवार से नगर में हड़ताल की जाएगी। वहीं अपनी गाड़ी मंगाकर नगर आयुक्त एसपी सिटी कार्यालय से निकल गए। इस दौरान मीडिया ने उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।
इस संबंध में कोई रिपोर्ट दर्ज कराने के सवाल को भी उन्होंने टाल दिया। इस दौरान एसपी सिटी ने सफाई मजदूर यूनियनों से पदाधिकारियों को अपने कार्यालय बुलाकर मध्यस्तता की। और गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे नगर निगम अधिकारियों के साथ अपनी मांगों को लेकर वार्ता का निमंत्रण दिया है।