Friday, April 19, 2024
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महामारी को भुनाते मानवता के दुश्मन

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DR RAJENDRA SHARMAएक और देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर बढ़ता जा रहा है तो दूसरी आ्रैर जीवन रक्षक दवाओं, मेडिकल उपकरणों और साधनों की जमाखोरी और कालाबाजारी जम कर होने लगी है। लगता है इस महामारी के दौर में भी कुछ लोग मानवीय संवेदनाओं को खो चुके हैं। आज सारी दुनिया कोरोना की दूसरी लहर से त्रस्त है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के चलते हो रहे हालात को देखते हुए दुनिया के देश सहायता के लिए आगे आ रहे हैं वहीं देश में ही कुछ लोग मानवता को शर्मसार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। देश के कोने कोने से यह समाचार आम हैं कि आॅक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं तो आॅक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी यहां तक कि समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों की माने तो सिलेंडर 50 से 60 हजार रुपये तक में ब्लैक करने के समाचार आम हो गए हैं। जयपुर में ही पुलिस द्वारा जमाखोरों द्वारा आॅक्सीजन सिलेंडर जब्त करने और फिर सरकार से अनुमति लेकर इन सिलेंडरों का उपयोग जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध कराकर कई जिंदगियां बचाने के समाचार आम हैं।

आज समूचा देश आॅक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देनी पड़ रही है। बात केवल आॅक्सीजन सिलेंडर तक ही सीमित नहीं है, अपितु कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति में उपयोग में आना वाला रेमडिसेवर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। सरकार द्वारा निर्धारित दर से कई गुणा अधिक पैसे लेकर जरूरतमंद लोगों को उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए रेमडिसेवर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। बात यहां तक ही नहीं है, कोविड के इस दौर में जरूरत का खास उपकरण आॅक्सीमीटर जो दो सौ ढाई सौ से दो ढाई हजार की रेंज में आसानी से उपलब्ध था, बाजार से गायब हो गया है।

यही हाल स्पेरोमीटर व अन्य उपकरणों और दवाओं का हो गया है। साधारण चाइनीज मेड आॅक्सीमीटर डे़ढ हजार से तीन हजार तक जो जंचे उस राशि में चोरी छिपे बेचा जा रहा है। रेमडिसेवर तो दूर की बात कोरोना में उपयोग में आने वाली दूसरी दवाएं भी बाजार से गायब हैं या उनकी मुंहमांगे दाम वसूले जा रहे हैं। मजे की बात तो यहां तक है कि रेमडिसेवर जैसे इंजेक्शनों के मनमाने दाम निजी अस्पतालों द्वारा लिए जाने की शिकायतें आम हैं। ऐसे में सरकार को दोष दिया जाना किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तीन लाख को पार कर गई है। रविवार को ही 3 लाख 70 हजार कोरोना पोजीटिव आए हैं। हालांकि संतोष इस बात पर किया जा सकता है कि कोरोना संक्रमितों में से ठीक होने वालों का आंकड़ा भी थोड़ा सुधरने लगा है। रविवार को देश में 3 लाख से अधिक संक्रमित ठीक हुए हैं। रिकवरी रेट जो कभी 90 प्रतिशत से अधिक रहती थी, वह 81 प्रतिशत से कुछ अधिक रह गई है, गंभीर चिंता का विषय है। सारा देश सन्नाटे में है और इसका कारण कोरोना संक्रमितों के लगातार मामलों में बढ़ोतरी और मृत्युदर में बढ़ोतरी है। सरकारी तो सरकारी अब तो हालात यह हो गए हैं कि प्राइवेट अस्पतालों में भी जगह नहीं मिल रही है। वेंटीलेटर तो दूर की बात आॅक्सीजन बेड मिलना ही मुश्किल भरा होता जा रहा है। आॅक्सीजन की कमी के कारण मौत से संघर्ष करते लोगों को देखकर दिल दहल जाता है।

ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारें अपने स्तर पर बेहतर प्रबंधन कर रही हैं, क्योंकि कोई सरकार नहीं चाहती कि उनके राज्य में हालात बिगड़े। पर इस सबके बावजूद आॅक्सीजन की कमी और दवाओं की कालाबाजारी आम होती जा रही है। यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं। सरकार अपने स्तर पर छापे मार कर कालाबाजारी व जमाखोरी करने वालों को पकड़ भी रही है पर यह सब एक सीमा तक ही संभव है। कोरोना की इस महामारी में एक और दानदाता और यहां तक कि अन्य देशों की सरकारें भी सहायता के लिए आगे आ रही हैं वहीं देश में ही जो कुछ लोग जमाखोरी और कालाबाजारी कर रहे हैं, यह मानवता को शर्मसार करने वाली स्थिति है। जमाखोरी और कालाबाजारी करके ठीक है कोई दो पैसा अधिक बना लेगा पर उसका यह कृत्य किसी भी हालत में क्षम्य नहीं हो सकता। आखिर ऐसे समय में हमें सब कुछ भुलाकर पीड़ित मानवता के लिए आगे आना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों से पीड़ित संक्रमितों को बचाना चाहिए।

हमारे दो कदम पीड़ित संक्रमित के जीवन बचाने में सहायक हो सकते हैं, यह हमें सोचकर चलना होगा। होना यह चाहिए कि जो वस्तु या साधन हमारे पास है, वह खुले दिल से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएं। आज हम जिस महामारी के दौर से गुजर रहे हैं, उसमें सबका दायित्व एक-दूसरे की सहायता करने का हो जाता है। सरकार को भी इस संकट के दौर में जो लोग मानवता को शर्मसार कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। इस समय वे कालाबाजारी कर किसी की जान से खेल कर दो पैसा अधिक कमा लेंगे पर आने वाली पीढ़ी और यदि उनमें जमीर नामकी कोई चीज होगी तो वह कभी माफ नहीं करेगी और कचोटती रहेगी।


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