Friday, July 5, 2024
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हिंदी की निरंतर बढ़ती ताकत

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YOGESH KUMAR GOYALआधुनिकता की ओर तेजी से अग्रसर कुछ भारतीय ही भले ही अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझते हों किंतु सच यही है कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी ऐसी भाषा है, जो प्रत्येक भारतवासी को वैश्विक स्तर पर मान-सम्मान दिलाती है। सही मायनों में विश्व की प्राचीन, समृद्ध एवं सरल भाषा है भारत की राजभाषा हिंदी, जो न केवल भारत में बल्कि अब दुनिया के अनेक देशों में भी बोली और पढ़ी जाती है। वैश्विक स्तर पर हिंदी की बढ़ती ताकत का सबसे बड़ा सकारात्मक पक्ष यही है कि आज विश्वभर में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं और दुनियाभर के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनियाभर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करने तथा हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से पिछले कई वर्षों से 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ भी मनाया जाता है।

यह दिवस वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की महानता के प्रचार-प्रसार का एक सशक्त माध्यम है। पहली बार नागपुर में 10 जनवरी 1975 को विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। तत्पश्चात भारत के बाहर मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम, त्रिनिदाद, अमेरिका इत्यादि देशों में भी विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया।

विश्वभर की भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था ‘एथ्नोलॉग’ के द्वारा जब हिंदी को दुनियाभर में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा बताया जाता है तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में प्रथम स्थान पर अंग्रेजी, दूसरे स्थान पर चीनी भाषा मंदारिन और तीसरे स्थान पर हमारी हिंदी आती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी 22 जून 2022 को संयुक्त राष्ट्र की सूचनाएं हिंदी में दिया जाना स्वीकार किया गया और अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकारिक भाषा का भी र्जा मिलेगा। यदि दुनियाभर हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या की बात की जाए तो 80 करोड़ से भी ज्यादा लोग अब हिंदी बोलते हैं।

इंटरनेट पर भी हिंदी का चलन दिनों-दिन तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल द्वारा कुछ वर्षों पूर्व तक जहां अंग्रेजी सामग्री को ही महत्व दिया जाता था, वहीं अब गूगल द्वारा भारत में हिंदी तथा कुछ क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि देश में हिंदी में इंटरनेट उपयोग करने वाले की संख्या अब अंग्रेजी में इसका उपयोग करने वालों से ज्यादा हो जाएगी।

कुछ वर्ष पूर्व डिजिटल माध्यम में हिंदी समाचार पढ़ने वालों की संख्या करीब साढ़े पांच करोड़ थी, जो अब बढ़कर चौदह करोड़ से ज्यादा हो जाने का अनुमान है। इंटरनेट पर हिंदी का जो दायरा कुछ समय पहले तक कुछ ब्लॉगों और हिंदी की चंद वेबसाइटों तक ही सीमित था, अब हिंदी अखबारों की वेबसाइटों ने करोड़ों नए हिंदी पाठकों को अपने साथ जोड़कर हिंदी को और समृद्ध तथा जन-जन की भाषा बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

तकनीकी रूप से हिंदी को और ज्यादा उन्नत, समृद्ध तथा आसान बनाने के लिए अब कई सॉफ्टवेयर भी हिंदी के लिए बन रहे हैं। यह हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी की ताकत ही कही जाएगी कि इसके इतने ज्यादा उपयोगकतार्ओं के कारण ही अब भारत में बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हिंदी का भी उपयोग करने लगी हैं। हिंदी की बढ़ती ताकत को महसूस करते हुए भारत में ई-कॉमर्स साइटें भी ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए हिंदी में ही अपनी ‘एप’ लेकर आ रही हैं।

हिंदी इस समय देश की सबसे तेजी से बढ़ती भाषा है। यदि 2011 की जनगणना के आंकड़े देखें तो 2001 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वालों की संख्या में हमारे देश में करीब 10 करोड़ लोगों की बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2001 में जहां 41.03 फीसदी लोगों ने हिंदी को अपनी मातृभाषा बताया था, वहीं 2011 में ऐसे लोगों की संख्या करीब 42 करोड़ के साथ 43.63 फीसदी दर्ज की गई और जिस प्रकार हिंदी का चलन लगातार बढ़ रहा है, माना जाना चाहिए कि उसके बाद के करीब एक दशक में हिंदी बोलने वालों की संख्या में कई करोड़ लोगों की बढ़ोतरी हुई है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को ‘जनमानस की भाषा’ बताते हुए वर्ष 1918 में आयोजित ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ में इसे भारत की राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। सही मायने में तभी से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के प्रयास शुरू हो गए थे। यदि भारतीय परिवेश में हिंदी के प्रचलन को लेकर बात की जाए तो यह चिंता की बात है कि भारतीय समाज में बहुत से लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि हिंदी बोलने वालों को वे पिछड़ा और अंग्रेजी में अपनी बात कहने वालों को आधुनिक का दर्जा देते हैं।

हिंदी का लगभग 1.2 लाख शब्दों का समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद अधिकांश लोग हिंदी लिखते और बोलते समय अंग्रेजी भाषा के शब्दों का दिल खोलकर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर लोगों को हिंदी भाषा के विकास, हिंदी के उपयोग के लाभ तथा उपयोग न करने पर हानि के बारे में समझाया जाना बेहद जरूरी है।

लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किए जाने की आवश्यकता है कि हिंदी उनकी राजभाषा है, जिसका सम्मान और प्रचार-प्रसार करना उनका कर्त्तव्य है और जब तक सभी लोग इसका उपयोग नहीं करेंगे, इस भाषा का विकास नहीं होगा। उन्हें यह अहसास कराए जाने का भी प्रयास किए जाने की सख्त दरकार है कि भले ही दुनिया में अंग्रेजी भाषा का सिक्का चलता हो लेकिन हिंदी अब अंग्रेजी भाषा से ज्यादा पीछे नहीं है।


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