Home Uttar Pradesh News Meerut जंग-ए-आजादी का दीवाना ही बन बैठा मेरठ का पहला सांसद

जंग-ए-आजादी का दीवाना ही बन बैठा मेरठ का पहला सांसद

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  • सांसदी के चार सफल कार्यकाल गवाह हैं इस नायक के

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: देश को आजादी दिलाने में जिस महारथी का नाम अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं में शुमार होता है वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं और उनकी सेना में जिस योद्धा का नाम सर-ए-फहरिस्त था वो जनरल शाहनवाज खान थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि जनरल शाहनवाज ने अपनी दिलेरी और हुनरमंदी के चलते इस मुल्क की आजादी में महत्वूपर्ण भूमिका अदा की।
जनरल शाहनवाज की तकदीर देखिए कि जिस क्रांति के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर नेता जी सुभाष चंद बोस का साथ दिया फिर उसी क्रांतिधरा ने भी उन्हें सर आंखोें पर बैठाया

और अपना पहला सांसद बनाकर इज्जत बख्शी। सांसदी का यह सिलसिला फिर कार्यकाल दर कार्यकाल चलता रहा। वो एक बार नहीं बल्कि चार बार मेरठ के सांसद बने। उनके सर पर चार बार सजा सांसदी का यह ताज इस बात का गवाह है कि क्रांतिधरा के लोगों ने अपने जनरल को पूरी हौंसला अफ जाई की। पहली बार 1952 में उन्हें सांसद चुना गया। उसके बाद 1957, 1962 और फिर 1972 में यहां के लोगों ने उन्हें अपनी सर आंखों पर बैठाया।

थे पाकिस्तानी, बन गए हिन्दुस्तानी

जनरल शाहनवाज खान की पैदाइश 24 जनवरी 1914 में रावलपिंडी (पाकिस्तान) के मटौर कस्बे में हुई थी। 9 दिसम्बर 1983 को जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा तब तक वो न जाने कितने ही हिन्दुस्तानियों के दिलों दिमाग में बस चुके थे। रावलपिंडी से दिल्ली आकर उन्होंने अपनी स्कूलिंग भी यहीं की। पंडित जवाहर लाल नेहरु के कहने पर वो पॉलिटिक्स में शामिल हुए और फिर उन्हीं के कहने पर वो मेरठ सीट पर कांगे्रस के प्रत्याशी बनाए गए।

रिहा होते ही सबसे पहले फहराया तिरंगा

1946 में जब वो रिहा किए गए तो प्रेम सिंह सहगल और गुरु बख्श सिंह ढिल्लन के साथ मिलकर सबसे पहले लालकिले पर तिरंगा फहराने का गौरव भी जनरल ने हासिल किया।

नेताजी के सम्बोधन से प्रभावित हुए

बताया जाता है कि जिस समय नेताजी सुभाष चंद्र बोस रंगून में 25 हजार सेनानियों के समक्ष अपना सम्बोधन दे रहे थे तभी से वो नेताजी के समीप आते चले गए और फिर उनकी फौज में शामिल होकर वो सब कुछ कर दिया जिसकी उम्मीद भी न थी।

शहर वासियों ने सिर आंखों पर बैठाया

दरअसल जब देश आजाद हुआ तब खुद पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उन्हें मेरठ से चुनाव लड़ने के लिए कहा। जनरल शाहनवाज पंडित नेहरु की भी खास पसंद थे। जनरल शाहनवाज खान ने पंडित नेहरु के निमंत्रण को स्वीकार किया और मेरठ की जनता ने भी जनरल शाहनवाज को पूरी इज्जत बख्शी और उन्हें चार बार अपना सांसद बनाया।

जनरल शाहनवाज साहब की सोच का हर स्वतंत्रता सेनानी पूरी तरह से कायल था। वो देश को आजादी दिलाने वाले महानायकों में से एक थे। -यूसुफ कुरैशी (वरिष्ठ कांग्रेस नेता)

जनरल शाहनवाज अजीम शख्सियत थे। ऐसी शख्सियत जो जंग ए आजादी की धुरी थे। आजादी का तानाबाना बुनने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। -डा. प्रदीप अरोड़ा (वरिष्ठ कांग्रेस नेता)

जनरल साहब के दिल में हिन्दुस्तान बसता था। भले वो जन्म से पाकिस्तानी थे, लेकिन उनकी सांसे हिन्दुस्तान में बसती थीं, तभी उन्होंने जंग ए आजादी में अहम रोल अदा किया। -अदनान खान (जनरल शाहनवाज के पोते)

काश! हमें भी जनरल साहब के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होता। उनकी वीरगाथा अब हम सिर्फ किताबों में ही पढ़ते हैं। वो भारत मां के एक महान सपूत थे। -अवनीश काजला (जिलाध्यक्ष कांग्रेस मेरठ)

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