- निर्वाचन आयोग का प्रयास, मतदाता बूथों तक पहुंचकर लोकतंत्र के महापर्व में करें भागीदारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हर चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग का प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक मतदाता बूथों तक पहुंचकर लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी करें। इसके लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। स्वयंसेवी संगठनों की ओर से भी मतदान के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसके बावजूद मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा मतदान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। आने वाली 26 अप्रैल को चुनाव के दौरान मतदाताओं की रुचि कितने प्रतिशत तक का आंकड़ा छू पाती है, यह देखने वाली बात होगी।
लोकसभा चुनाव में मेरठ जिले ने अब तक सर्वाधिक 67.08 प्रतिशत मतदान आपातकाल के बाद 1977 में किया है। जबकि इससे पहले 1971 में 65.61 प्रतिशत मतदान किया जा चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में किया 65.21 प्रतिशत मतदान तीसरे स्थान पर आता है। आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान जनपद के मतदाता सर्वाधिक मतदान के इन तीन आंकड़ों को तोड़ पाते हैं या नहीं, यह 26 अप्रैल को होने वाले चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा।
1952 से 2019 तक के चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि 1952 में 52.99 प्रतिशत, 1957 में 61.34 प्रतिशत, 1962 में 60.48 प्रतिशत, 1967 में 53.43 प्रतिशत, 1971 में 65.61 प्रतिशत, 1977 में 67.08 प्रतिशत, 1980 में 61.23 प्रतिशत, 1984 में 63.57 प्रतिशत, 1989 में 55.08 प्रतिशत, 1996 में 51.19 प्रतिशत, 1998 में 59.85 प्रतिशत, 1999 में 58.61 प्रतिशत, 2004 में 52.44 प्रतिशत, 2009 में 48.23 प्रतिशत, 2014 में 63.11 प्रतिशत और 2019 में 65.21 प्रतिशत मतदान किया है।
1971 में 65.61 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इमरजेंसी के बाद 1977 में मतदान का प्रतिशत 67.08 पहुंच गया। 1977 के बाद से मेरठ में 64 प्रतिशत मतदान का आंकड़ा नहीं पहुंचा। जबकि 2019 में हुए चुनाव में मतदान का प्रतिशत 65.21 पहुंच गया। 2019 में विधानसभा वार मतदान प्रतिशत की अगर बात की जाए तो सिवालखास-68.45 प्रतिशत, सरधना-67.64 प्रतिशत, हस्तिनापुर, 66.13 प्रतिशत, किठौर, 69.9 प्रतिशत, मेरठ कैंट- 59.47 प्रतिशत, मेरठ शहर-64.11 प्रतिशत, मेरठ दक्षिण-62.72 प्रतिशत तक मतदान कर चुका है।