बीती 25 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे। इस दौरान गृह मंत्री ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी की बैठक ली। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब ड्रग ट्रैफिकिंग का ट्रेंड बदल रहा। स्मगलर नेचुरल ड्रग से सिंथेटिक ड्रग की ओर बढ़ रहे हैं। यह ड्रग्स कम मात्रा में आती है और इसकी कीमत सबसे ज्यादा होती है। शाह ने कहा, जिस तरह से नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है, उसे देखते हुए देश में फैल रहे ड्रग नेटवर्क का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। दिल्ली में दो हजार करोड़ रुपए मूल्य के नशीले पदार्थों की बरामदगी वाकई चौंकाने वाली है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 560 किलोग्राम से ज्यादा कोकीन जब्त की है। इस तस्करी से अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर गिरोह जुड़ा हुआ है। पुलिस ने इस गिरोह के 4 लोगों को गिरफ्तार करने में भी कामयाबी हासिल की है। देश की राजधानी में इतनी बड़ी खेप का पकड़ा जाना चैंकाने से अधिक चिंता की बात है। दिल्ली ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में हर साल हजारों करोड़ रुपए मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए जाते हैं। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में इन पदार्थों की खपत होती है और युवाओं का भविष्य चैपट हो रहा है। पाकिस्तान के रास्ते होने वाली इस तस्करी के जरिए समाजकंटक खूब पैसा कमा रहे हैं। इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक मिलीभगत का खेल भी चल रहा है।
अहम सवाल यह है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद नशे का यह जाल दिन दूनी, रात चैगुनी प्रगति कैसे कर रहा है? क्या पुलिस और सरकारी एजेंसियों की मिलीभगत भी है? एक दशक पहले तक पंजाब को नशीले पदार्थों का केंद्र माना जाता था। वर्तमान में लगभग पूरा देश इसकी गिरफ्त में नजर आ रहा है। तमाम सरकारी प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं। क्या नशीले पदार्थों की तस्करी का नेटवर्क इतना मजबूत है कि सरकार उसके सामने कमजोर नजर आ रही है? या फिर हमारे कानून में कमी है जिससे अपराधियों को सजा ही नहीं मिल पाती? कई देशों में नशीले पदार्थों को लेकर सरकारें कड़े कानून बना रही हैं। भारत मादक पदार्थों के दुरुपयोग और तस्करी संबंधी गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है, जो लाखों लोगों, विशेषकर युवाओं के स्वास्थ्य, कल्याण और सुरक्षा को प्रभावित करता है। वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में 2020 में जब्त की गई अफीम की चैथी सबसे बड़ी मात्रा 5.2 टन है और उसी वर्ष जब्त की गई मॉर्फिन की तीसरी सबसे बड़ी मात्रा 0.7 टन थी। ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, भारत ने 2019 में विश्व भर में 7 फीसदी अफीम तथा 2 फीसदी हेरोइन को जब्त की। भारत दो प्रमुख ड्रग उत्पादक क्षेत्रों-गोल्डन क्रिसेंट (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) और गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड-लाओस-म्यांमार) के बीच स्थित है, जो इसे अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के लिए संवेदनशील बनाता है। भारत में व्यापक रूप से उत्पादित और उपयोग किए जाने वाले दो ड्रग्स अफीम और भांग हैं। पोस्ता के पौधे से अफीम और भांग के पौधे से भांग प्राप्त होती है। दोनों को साइकोएक्टिव ड्रग्स कहा जाता है, जिनके प्रयोग से लत और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सरकार ने अवैध फसलों को नष्ट करने, ड्रग्स को जब्त करने, तस्करों को गिरफ्तार करने और जागरूकता उत्पन्न करने जैसे विभिन्न उपायों के साथ ड्रग्स पर कार्रवाई तीव्र कर दी है।
खबरों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की दो बड़ी जेलों में बंद 50 फीसदी कैदी नशा तस्करी के हैं। इसमें युवा और महिलाएं भी शामिल हैं। चिट्टा और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस ने मिशन क्लीन चला रखा है। इसके तहत नशा तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। यही वजह है कि वर्तमान में जिले की दो जेल चिट्टा समेत अन्य नशों की तस्करी के मामले में पकड़े कैदियों से भर गई हैं। इसमें प्रदेश के साथ बाहरी राज्यों के तस्कर शामिल हैं। कैथू जेल में वर्तमान में करीब 280 विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदी हैं। इसमें चिट्टा समेत अन्य मादक पदार्थों की तस्करी में पकड़े कैदियों की संख्या 133 है, यानि करीब 50 फीसदी हैं। इसमें 8 महिलाएं भी शामिल हैं। केंद्रीय कारागार कंडा में सजायाफ्ता और विचाराधीन दोनों तरह के कैदियों को रखा जाता है। इसमें करीब 500 कैदी हैं। पुलिस के मुताबिक इसमें से स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) एक्ट के मामलों में गिरफ्तार कैदियों की संख्या 165 है। इसमें 120 कैदी सजायाफ्ता हैं जबकि 45 विचाराधीन हैं। केंद्रीय कारागार में भी सबसे अधिक कैदी नशा तस्करी से जुड़े मामलों के हैं। नशा तस्करों की इस संख्या को लेकर हर कोई हैरान हैं।
युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले ऐसे कृत्य से जुड़े लोगों को सजा दिलाने के लिए भारत में भी कड़े कानून बनाने की जरूरत है। अलग-अलग राज्यों की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय की भी जरूरत है। साथ ही आम जनता का सहयोग भी लिया जाना चाहिए, ताकि नशे के नेटवर्क का समय रहते पता चल सके और उसे तोड़ा जा सके। कठोर और सख्त कानूनों के उपरांत भी नशीले पदार्थों का व्यापार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह है भ्रष्ट प्रशासन। पुलिस विभाग की निष्क्रियता, अपराधियों को शह और भ्रष्ट सिस्टम की वजह से नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है। पुलिस विभाग में इच्छाशक्ति हो तो महज कुछ दिनों मे नशे की तस्करी बंद हो सकती है। तस्करों से सांठगांठ के चक्रव्यूह को तोड़ने में आ रही अड़चनों को दूर किए बिना अपेक्षित परिणाम की उम्मीद करना बेमानी होगा।