- निगम को शायद किसी बडेÞ हादसे का है इंतजार
- गुजरी बाजार जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो उसे रोकने के लिए निगम के पास नहीं ठोस योजना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा में गुजरी बाजार में गुरुवार को जर्जर भवन के छज्जा गिरने की घटना के बाद लोग पुराने भवन को लेकर खासे चिंतित हैं। कहीं उनके आसपास पुराने भवन जोकि जर्जर हालत में खडेÞ हैं। वह बरसात या भूकंप के दौरान हल्के से झटकों को सहन न कर पायें और जमींदोज न हो जायें, इतना ही नहीं कहीं उनके मकान भी जर्जर भवन की जद में न आ जायें।
बरसात व भूकंप के दौरान जिन लोगों के मकान जर्जर भवनों की जद में बने हैं। उनकी सांसे अटक जाती है। नगर निगम का क्षेत्र महानगर ही नहीं बल्कि देहात क्षेत्र के 48 गांव भी शामिल हैं। जिसमें सरकारी संपत्ति का ब्योरा एवं जर्जर भवन आदि का रिकॉर्ड नगर निगम के पास होना चाहिए और समय-समय पर जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण का अभियान चलवाना चाहिए, लेकिन निगम के पास इस तरह की कोई ठोस योजना अमल में लाई जाती दिखाई नहीं दी।
कुछ वर्षों में जिस तरह से लगातार मौसम का बदलता मिजाज, तेज हवा के साथ भारी बरसात का होना, जगह-जगह जलभराव की समस्या के चलते नवनिर्मित भवन भी जर्जर हालत में होकर गिरने के कगार पर पहुंच जाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ कुछ मकान काफी उम्रदराज हो चुके हैं,
जोकि किसी भी समय बिन बरसात एवं बिना भूकंप के भी भरभराकर गिर सकते हैं। पुराने जर्जर मकानों की संख्या सैकड़ा पार है, यदि नये जर्जर भवनों को जोड़ दिया जाये तो वह संख्या काफी अधिक हो सकती है। निगम को चाहिए की भवन नये हों या पुराने जोकि जर्जर हालत में है।
भूकंप का एक झटका भी नहीं झेल पाएगी जर्जर बिल्डिंग
भूकंप आदि से उनके ढहने से यदि कोई बड़ा हादसा हो उससे पहले उसकी रोकथाम के लिये इस संबंध में कोई ठोस अभियान चलाये, ताकि कोई बड़ा हादसा होने से पहले ही रोका जा सके। उसके लिये जो निजी भवन जर्जर हालत में है। उनकी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजे और उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई मकान मालिक से मिलकर कराये।
कैंट में भी कई इमारत जर्जर
जबकि कैंट क्षेत्र में भी कई इमारत जर्जर हालत में है। जो कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं। जिसमें सरकारी भूमि से लेकर काफी डाटा नगर निगम को अपने पास रखना होता है, लेकिन नगर निगम के पास देखा जाये तो देहात क्षेत्र के उन गांवों का डाटा क्या उपलब्ध होगा
जोकि कुछ वर्ष पहले ही नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जुडेÞ हैं, लेकिन निगम के पास खुद का भी डाटा नहीं है कि उसके क्षेत्र में कितने निजी एवं कितने सरकारी भवन जर्जर हालत में है, जोकि किसी भी समय बडेÞ हादसे का सबब बन सकते हैं।
आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी?
महानगर में भी पूर्व में जर्जर मकान की छत एवं छज्जा गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें मेरठ के गुजरी बाजार में हुई इस घटना के बाद लोगों के जहन में पुराने जर्जर भवन एवं नये भवन जोकि मकान की नींव आदि में पानी के जलभराव के रूप में जमा होने या अन्य कारण से जर्जर हो चुके हैं।
वह गिरने के कगार पर हैं। उनके निकट जिन लोगों के मकान बने हैं, उनकी सांसें अटक जाती हैं। फिलहाल यदि कोई जर्जर भवनों से बड़ा हादसा हो जाये तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी यह एक बड़ा सवाल है।
नगर निगम क्षेत्र में कितने जर्जर भवन हैं या पुराने भवन जोकि किसी भी कारण से जर्जर हालत में पहुंच गये हैं। मुझे उसकी सटीक जानकारी नहीं है। नगर निगम में इस संबंध में किसे जानकारी होगी, मुझे जानकारी नहीं है। उधर, नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा से संपर्क करने का प्रयास किया, उनके मोबाइल पर संपर्क नहीं हो सका।
-डा. पुष्पराज गौतम मुख्य अतिक्रमण अधिकारी नगर निगम मेरठ।