बात 1999 के अंत की है। चौधरी बंसीलाल हरियाणा के अपने तीसरे अर्थात अंतिम कार्यकाल के आखिरी समय में राज्य सरकार द्वारा किए गए अनेक कार्यों का उद्घाटन कर रहे थे। क्योंकि कुछ ही समय बाद राज्य की दसवीं विधान सभा के चुनाव होने थे। इस दौरान उन्होंने कई ऐसी योजनाओं का भी उद्घाटन कर डाला जो संपूर्ण नहीं हुई थीं। अंबाला छावनी के नवनिर्मित बस स्टैंड का उद्घाटन किया जाना भी इन लोकार्पण करने वाली योजनाओं में एक था। इत्तेफाक से इस लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का उद्घाटन भाषण चल ही रहा था कि ठीक उसी समय तेज बारिश शुरू हो गई। और नवनिर्मित बस स्टैंड की छत से कई जगह से एक साथ तेज पानी टपकना शुरू हो गया। तभी आम लोग यह सवाल उठाने लगे थे कि जब बस स्टैंड भवन पूरी तरह मुकम्मल नहीं था तो उद्घाटन की क्या जल्दी थी? इसी प्रकार इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को जालौन के कथेरी गांव में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया था। यह उद्घाटन समारोह भी मीडिया के लिए जितना चर्चित रहा उतना ही चर्चित यही बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे तब भी हुआ जब उद्घाटन के मात्र पांच दिनों के भीतर ही मानसून की पहली ही बारिश में इस हाईवे पर जगह-जगह गड्ढे होने लगे, सड़क पर दरारें पड़ने लगीं और कई जगह तो सड़क के बड़े-बड़े भाग जमीन में धंसने के चित्र सामने आने लगे।
उद्घाटन से पूर्व सरकार के अफसरों ने इस परियोजना का कसीदा पढ़ते हुए यह दावा किया था कि-पूरी गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में पूरा कर एक्सप्रेस-वे को जनता के लिए खोला जा रहा है। परंतु सड़कों के छतिग्रस्त होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को भी अपनी सफाई में यह कहना पड़ा था कि इस एक्सप्रेसवे पर जो भी दिक़्कतें हैं वे मामूली हैं और उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा।
सरकार के लिए भले ही ऐसी अनियमितायें मामूली हों परंतु इन गड्ढों में फंसकर जिन लोगों की जान-माल का नुकसान हो उनके व उनके परिजनों के लिए यह लापरवाहियां या अनियमिताएं गैर मामूली हैं। उद्घाटन करने और श्रेय लेने की हवस किसी एक दल या एक नेता अथवा राज्य की विशेषता नहीं है। यदि रिकॉर्ड उठा कर देखा जाए तो केवल जल्दबाजी में देश में ऐसी सैकड़ों योजनाओं का उद्घाटन कर डाला गया जो मुकम्मल नहीं थीं या जनता को समर्पित करने की स्थिति में नहीं थीं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में 24 जून 2022 को जेपी गंगा पथ के प्रथम फेज का उद्घाटन किया था। प्रचारित किया गया था कि यह मुंबई के मरीन ड्राइव की तर्ज पर निर्मित किया गया है। परंतु बारिश होने पर उद्घाटन के केवल पांच दिन बाद ही सड़क के किनारे बना फुटपाथ कई जगह से धंस गया। इसी तरह गत अक्टूबर माह में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने श्रीपेरंबदूर में राज्य उद्योग संवर्धन निगम के एक ऐसे कार्यालय के नव निर्मित भवन का उद्घाटन कर डाला, जिसमें एक ही बाथरूम में दो दो कामोड लगे नजर आ रहे थे।
सोशल मीडिया पर इसका चित्र वायरल होने के बाद लोगों ने इस ‘विचित्र’ शौचालय व इस भवन का बहुत मजाक उड़ाया। कहा जा रहा है कि राजनैतिक दबाव के चलते अधिकारियों द्वारा जल्दबाजी में काम पूरा करवाने की वजह से ऐसा गैर जिम्मेदाराना काम किया गया। जबकि शौचालय का काम अभी पूरा नहीं हुआ था और अभी दो कमोड के बीच में दीवार खड़ी करना शेष था।
गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बने झूला पुल के टूटने व लगभग 150 लोगों के जान गंवाने का मुख्य कारण भी यही मानसिकता रही। इस झूला पुल को मोरबी की पहचान के रूप में देखा जाता है। पिछले छह महीने से ये पुल मरम्मत के लिए बंद था। इस बार करीब दो करोड़ रुपये की लागत से इसकी पूरी तरह मरम्मत की गई थी। परंतु पुल के फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना ही इसे जनता के आवागमन हेतु समय पूर्व खोला गया? जबकि पुल की मरम्मत में आठ से 12 महीने का समय लगने वाले था लेकिन हादसे से चार दिन पहले 26 अक्टूबर को ही इसके रखरखाव के काम को पूरा हुआ बताकर पुल को जनता के लिए खोल दिया गया।
यह भी बताया जा रहा है कि पुल की मरम्मत करने वाली ओरेवा कंपनी का मालिक सत्ता का करीबी होने के साथ साथ तानाशाही प्रवृति का भी व्यक्ति है। उसे धन कमाने के लिए सत्ता को खुश रखने का हुनर तो बखूबी आता है परंतु आम जनता की जिंदगी-मौत के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी महसूस नहीं करता। यही वजह थी कि सत्ता के इशारे पर उसने अपनी पोती से ही अपूर्ण पुल का उद्घाटन करा दिया और सैकड़ों लोगों की जान ले बैठा।
पिछले दिनों इसी तरह अंबाला शहर रेलवे स्टेशन के पास ही एक रेलवे अंडरपास का उद्घाटन स्थानीय भाजपा विधायक द्वारा जल्दबाजी में इसलिए कर दिया गया, क्योंकि उस दिन विधायक का जन्मदिन था। लगभग 6 वर्षों की लंबी समयावधि में कछुआ चाल से निर्मित यह अंडर पास अभी भी पूरी तरह लोकार्पित करने की स्थिति में नहीं है। इसके बीच में कीचड़ व पानी जमा है। कई लोग फिसल कर गिर चुके हैं। जमीन के नीचे से निरंतर पानी निकल रहा है। उस लीकेज को बंद करने के लिए अभी से जगह-जगह सीमेंट थोपा जा रहा है।
इसकी वजह से कई जगह सीमेंट जमकर ब्रेकर का रूप ले चुकी है। इससे अचानक स्कूटर बाइक उछलकर गिर जाती है। यही स्थिति रही तो बरसात में इसे बंद भी करना पड़ सकता है। परंतु विधायक जी ने इसका रंग रोगन करवा, इसका उद्घाटन कर अपना जन्म दिन जरूर मना लिया। इसी तरह 15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के मंत्री राकेश सचान ने कानपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की महती योजना के अंतर्गत शहर का सौंदर्यीकरण करने के उद्देश्य से शहर के ऐतिहासिक नाना राव पार्क पार्क के सौंदर्यीकरण की योजना का लोकार्पण किया।
सौंदर्यीकरण की इस योजना पर लगभग 9 करोड़ 65 लाख रुपये की लागत बताई जा रही है। परंतु भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली योगी सरकार की इस योजना की पोल उद्घाटन के दो दिन बाद ही खुल गई। इसमें इतनी घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल की गई थी कि उद्घाटन के कुछ ही समय बाद ही पार्क की सड़क धंस गई और यहां की लाइटें भी टूट गर्इं। व्यायाम के लिए बनाया गया जिम खस्ता हालत में है। उसमें लगे लाखों रुपये के उपकरण टूटे उखड़े हुए हैं। देश में आए दिन अपूर्ण योजनाओं के होने वाले ऐसे ‘लोकार्पण’ को देखकर तो यही लगता है कि आधे अधूरे कामों का उद्घाटन करना भी अब परंपरा बनता जा रहा है।