Thursday, April 17, 2025
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आफत बनी बारिश, किसानों के चेहरे से छीनी खुशी

  • खेतों में लहरा रही पकी धान की फसल नष्ट, सरकार से मुआवजे की मांग

जनवाणी संवाददाता |

मवाना: बारिश से धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है। जो धान खेतों में काटकर रखा गया था उसका दाना काला पड़ने और कुटाई के दौरान चावल अधिक मात्रा में टूटने के आसार पैदा हो गये हैं। पिछले दो दिनों से हो रही मुसलाधार बारिश सितंबर में रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रविवार को भी मौसम खराब होने से खेतों में खड़ी धान की फसल हवाओं के चलने से नीचे गिर गयी है।

जिसके चलते धान के किसानों को भारी नुकसान झेलना पड रहा है। डीएम ने सभी एसडीएम को बारिश रुकने के बाद नुकसान हुई धान की फसल का आंकलन कराने के निर्देश दिए है। बारिश से धान की तैयार फसल एवं ताजा बोई गई मटर की खेती को भारी नुकसान पहुंचा है।

जलभराव होने के बाद हवा से गिरी धान की फसल को काफी नुकसान है। तहसील मवाना क्षेत्र में किसानों के खेतों में लहरा रही पकी धान की फसल पर पानी फेर दिया है जबकि वही अगेती के रूप में बुआई की गई धान की फसल को बारिश का लाभ मिला है।

भरपाई कराएं सरकार, कागजों में सिमटा फसल बीमा

मवाना तहसील क्षेत्र के गांव मुबारिकपुर निवासी किसान सोहित चौधरी ने बताया कि बारिश से किसानों की खेतों में खड़ी पकी धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गयी है, जोकि प्राकृतिक आपदा अंतर्गत है। सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए। सरकार को किसानों की बारिश से हुई धान की फसल नष्ट का मुआवजा दिलाए। किसानों को मिलने वाला फसल बीमा योजना कागजों में सिमट कर रह गया है।

किसान शो सिंह प्रधान ने बताया कि बारिश किसानों के लिए आफत बनकर आई है। गावों में उगी धान की फसल पर पानी फेर दिया है। किसानों को अन्नदाता भले ही कहा जाता हो, लेकिन किसान भुखमरी के कगार पर आ चुका है। सरकार को किसानों की सुध लेनी चाहिए कि बारिश से किसानों की फसल को हुए नुकसान का आकलन कर भरपाई कराएं।

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प्रतिवर्ष धान की खेती करने वाले किसान संसार सिंह ने बातचीत करते हुए कि वह प्रतिवर्ष करीब 20 बीघा धान की फसल की बुवाई करते है। पहले की भांति इस बार प्राकृतिक आपदा से उनके खेत में पकी धान की फसल को बारिश ने बर्बाद कर दिया है। उनकी आधे से अधिक धान की फसल नष्ट हो गयी है। काफी नुकसान हो गया है।

किसान धर्मेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि लगातार हो रही बारिश ने धान की फसलों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। जिसके चलते किसानों के चेहरे पर गम का माहौल छा गया है। किसानों की नष्ट हुई धान की फसलों का आकलन कर उचित मुआवजा दिलाए जाए। जिससे किसान खुशहाल हो सके। किसानों के लिए सरकार भले ही कदम उठा रही है, लेकिन धरातल पर दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

किसान विलियम सिंह उर्फ अमरपाल ने बताया कि किसानों से सरकार के साथ भगवान इंद्रदेव भी रूठ गये हैं। लगातार हो रही दो दिन से बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। जिसके चलते किसानों की धान की फसल के साथ-साथ अन्य फसल भी बर्बाद हो चुकी है। मवाना तहसील के किसानों की माने तो धान की फसल में करीब 40 फीसदी नुकसान हुआ है। जोकि खराब होने पर मंडी में भी नहीं बिक सकता है।

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