जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: सहारनपुर की राजनीति इस समय दो नेताओं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और देहात से समाजवादी पार्टी के विधायक आशु मलिक के बीच वाकयुद्ध में उलझी हुई है। यह विवाद सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसने विपक्षी गठबंधन की एकता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विवाद तब शुरू हुआ जब इमरान मसूद ने दावा किया कि “कांग्रेस सहारनपुर की सभी सातों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी” और कहा कि “80-17 का फॉर्मूला अब काम नहीं करेगा।” उनके इस बयान को सपा के लिए खतरे की घंटी माना गया, जिस पर आशु मलिक ने प्रतिक्रिया देते हुए मसूद को ‘मानसिक रूप से असंतुलित’ और अहसान को भूलने वाला’ तक कह दिया।
आशु मलिक ने आरोप लगाया कि जब इमरान मसूद राजनीतिक रूप से निष्क्रिय थे, तब सपा ने ही उनका समर्थन किया था। उन्होंने याद दिलाया कि जब मसूद ने कांग्रेस छोड़ी थी तो वे उसे ‘खूनी पंजा’ कहते थे और आज उसी पार्टी की नैतिकता की बात कर रहे हैं। आशु मलिक ने तो यहां तक सवाल उठा दिया कि क्या इमरान मसूद के बयानों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है या फिर ये उनके निजी विचार हैं?
आशु मलिक ने और भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सांसद समाजवादी पार्टी के एमएलसी को टिकट देने की बात कर रहे हैं, जो एकता की भावना के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस नेतृत्व यह स्पष्ट करे कि वह गठबंधन के साथ है या अपना अलग रास्ता अपनाना चाहता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस संघर्ष का 2027 के विधानसभा चुनावों पर गहरा असर पड़ सकता है। एक तरफ सपा पिछड़े और वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के रूप में उभर रही है, वहीं दूसरी तरफ इमरान मसूद के आक्रामक बयान गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। अब यह देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस इस विवाद को सुलझाने का रास्ता अपनाएगी या इसे और लंबा खींचेगी। फिलहाल सहारनपुर में राजनीतिक माहौल अपने चरम पर है और जनता यह जानने के लिए इंतजार कर रही है कि क्या यह विपक्षी गठबंधन मिलकर 2027 की राजनीतिक मंजिल तक पहुंच पाएगा या बीच रास्ते में ही बिखर जाएगा।