Saturday, May 24, 2025
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गंगा के रौद्र रूप से नजर आने लगा बर्बादी का मंजर

  • गंगा के जलस्तर में एक बार फिर से होने लगी भारी वृद्धि
  • संक्रमण फैलने से बीमार होने लगे खादर के ग्रामीण

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: गंगा नदी में तीन सप्ताह से भी अधिक से बाढ़ का दंश झेले रहे खादर के लोगों को धीरे-धीरे राहत मिलती नजर आ रही है, लेकिन बाढ़ का पानी उतरते ही गांवों के सम्पर्क मार्गों की जो तस्वीर देखने को मिली वह काफी विचलित करने वाली थी। हालांकि गुरुवार को गंगा के जलस्तर में फिर से वृद्धि हुई तो बाढ़ प्रभावित लोगों की चिंताएं बढ़ती नजर आने लगी। गुरुवार को हरिद्वार से गंगा नदी में चल रहा डिस्चार्ज बढ़कर 1 लाख 88 हजार क्यूसेक हो गया था।

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बीते कई दिनों से गंगा जलस्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। यहां बाढ़ की चपेट में आकर दो हजार हेक्टेयर खरीफ की फसल बर्बाद हो गई है। जिसने किसानों को तोड़कर रख दिया है। उनकी महीनों की मेहनत, हरे-भरे खेत, बाढ़ की वजह से खेतों में ही सड़ गए हैं।

लाखों की फसल चौपट हो गई है। कई दिनों से गंगा के जलस्तर में लगातार कमी हो रही थी, लेकिन गुरुवार सुबह से ही एक बार फिर से गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसान चिंता में डूब गए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि फिर से गंगा के जलस्तर में वृद्धि होती है तो वे बर्बाद हो जायेंगे।

हरिद्वार से डिस्चार्ज बढ़कर हुआ 1 लाख 88 हजार क्यूसेक

बिजनौर बैराज पर तैनात जेई पीयूष कुमार ने बताया कि गुरुवार को हरिद्वार बैराज से गंगा नदी में डिस्चार्ज बढ़कर 1 लाख 88 हजार क्यूसेक हो गया था।

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लेकिन शाम तक हरिद्वार से डिस्चार्ज में कमी होने के चलते 1 लाख 3 हजार क्यूसेक ही रहा गया। बिजनौर बैराज से डिस्चार्ज में लगातार कमी के चलते गुरुवार को गंगा का डिस्चार्ज 1 लाख 33 हजार क्यूसेक रह गया। जो बरसात के दिनों में सामान्य बात है।

बीमार हो रहे खादरवासी

बाढ़ प्रभावित लोगों को बाढ़ से भी अधिक दर्द इस बात का है कि बाढ़ के बाद गंगा ने जो अवशेष छोड़े हैं, उनसे संक्रमण फैल रहा है। घर-घर में बुखार, जुकाम और खांसी से पीड़ित लोगों की चारपाई बिछी हुई हैं। इस संक्रमण की क्या गति होगी? इस बात की सभी को चिंता है। गुरुवार को लतीफपुर स्थित पीएचसी पर आने वाले अधिकांश मरीजों को आंखों की दिक्कत के साथ संक्रमण के रोगी नजर आये।

बाजरा और चारे की फसलें बर्बाद

खादर क्षेत्र में अधिकांश धान की फसल से साथ चारे की बुवाई की जाती है। वर्तमान में हजारों हेक्टेयर में बोई गई धान, गन्ना, बाजरा और ज्वार की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गईं हैं।

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बाजरा की फसल बर्बाद होने से सर्दी के मौसम में खाने की दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। कीचड़ और जलभराव के कारण ग्रामीणों को आवागमन की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।

बाढ़ में तहस-नहस हो गई अधिकांश सड़कें

जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी कम हुआ, उन क्षेत्रों में अधिकांश सड़कें तहस-नहस हो गई है। लोगों बमुश्किल आवागमन कर पा रहे हैं। कई सड़कें तो बाढ़ के चलते ऐसी हो गई कि ग्रामीण सड़कों पर चलने की जगह गिरते नजर आते हैं।

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