- शेड को खुद शेड की दरकार, बारिश में टपकती है छत
- ईंटों पर टिकी शेड की बैंच, सामान हो गया चोरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा को स्मार्ट सिटी बनाने का दम भरने और दावा करने वाले अफसरों व पब्लिक के मुनाइंदों को लगता है कि जमीनी हकीकत से कोई सरोकार नहीं रह गया है। स्मार्ट सिटी के नाम पर किए जा रहे दावों की हकीकत जाननी है तो शहर भर के यात्री शेडों को महज नजर भर देखने भर की जरूरत है। यदि पूरे शहर में घूमने की फुर्सत नहीं तो महज कमिश्नर आवास चौराहे से लेकर ग्रास फार्म से आगे मवाना रोड पर लगाए गए यात्री शेडों की दुर्दशा देखी जा सकती है।
ये यात्री शेड यात्रियों को धूप, बारिश व सर्दी में सहारा देने के लिए बनाए गए थे। बस का इंतजार करने वाले यात्री यहां आसरा ले सकें, लेकिन यात्रियों को सहारा देने के लिए बनाए गए इन यात्री शेडों की यदि हालात देखोगे तो लगेगा फिलहाल तो यात्री शेडों को यही शेड या कहें सहारे की दरकार है। कमिश्नर आवास चौराहे से कुछ आगे यदि मवाना रोड साइड जाओगे तो बदहाल यात्री शेड नजर आने लगेंगे।
एक यात्री शेड तो ऐसा है कि यात्री शेड के नाम पर बनाए गए इस शेड की छत तक उड़ गयी है। कुर्सियां कोई उठाकर ले गया है। गरमी सर्दी की बारिश तो छोड़िये जनाव यह यात्री शेड जिसका जिक्र किया जा रहा है आपको तेज हवाओं तक से नहीं बचा पाएगा। तेज हवा में इसकी छत का टीन आवाजें करना शुरू कर देगा। इतनी बुरी दशा इस वाले शेड की है। मवाना रोड पर और थोड़ा आगे चलोगे तो यात्री शेड के बाकी हिस्से की जो हालात है
वो तो है ही, लेकिन सबसे बड़ी बात जिस सीट या कहें बैंच पर बसों का इंतजार करने वाले बैठते हैं, उस बैंच के नीचे से उसके पाए या कहें पैर कोई चोर निकाल कर ले गया है। यह बैंच अब ईट पत्थरों के सहारे पर टिकी है। इस बैंच पर बैठने के दौरान बेहद सावधानी बरती जानी जरूरी है, वर्ना जरा सी असावधानी हुई और आप गिरे। कमोवेश आसपास के जितने भी यात्री शेड हैं मवाना रोड पर सभी का कुछ ऐसा ही हाल है।
शायद यही कारण है कि इन यात्री शेडों पर बजाय रुकने के आमतौर पर चालक आगे बढ़ जाते हैं। यहां बसें कभी रूकती हों ऐसा ध्यान तो नहीं आता। वहीं, दूसरी ओर यात्री शेडों की बदहाली को देखते हुए अब लोगों ने इन शेडों के नीचे ठहरा भी करीब-करीब बंद कर दिया है। इन यात्री शेडों की बदहाली देखकर स्वयं ही अंदाजा लगा लीजिए कि मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने के दम भरने वाले अफसरों के दावों में कितनी सच्चाई है और जमीनी स्तर पर स्मार्ट सिटी के नाम पर कितना काम हो रहा है इसको आसानी से समझने के लिए मवाना रोड के इन यात्री शेडों को देखना भर काफी है।