- विभिन्न थानों में दर्ज आपराधिक मामलों को छुपाने पर बढ़ी मुश्किलें
- हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई, दो दिन से प्रयागराज में डेरा डाले हैं सपा विधायक अतुल प्रधान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चुनाव आयोग से विभिन्न थानों में दर्ज आपराधिक मामलों को छुपाने पर सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनकी विधायकी छिन सकती हैं। ऐसी चर्चाएं चल रही हैं। उनकी गर्दन पर अयोग्यता की तलवार लटक गई हैं। इसको लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। पिछले दो दिन से अतुल प्रधान प्रयागराज में डेरा डाले हुए हैं।
चुनाव आयोग ने इस बार प्रावधान किया था कि जो भी प्रत्याशी विधायक पद का चुनाव लड़ रहा है, वह समाचार पत्रों में दर्ज मुकदमों के विवरण का खुलासा करेगा। बकायदा इसका विज्ञापन देकर स्वीकार किया जाएगा कि उनके खिलाफ इतने मुकदमें दर्ज हैं। इस घोषणा पत्र में भी सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने दर्ज मुकदमों को छुपाया गया।
करीब तीन दर्जन आपराधिक मुकदमें अतुल प्रधान के खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज हैं, जबकि अतुल प्रधान ने अपने घोषणा पत्र में आठ मुकदमें दर्ज होने का ही उल्लेख किया हैं। इस तरह से दर्ज आपराधिक मामलों को छुपा लिया गया। इसी मामले को भाजपा के पूर्व विधायक संगीत सोम ने अपना हथियार बना लिया तथा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अतुल प्रधान की विधायकी को चुनौती दे दी।
संगीत सोम ने दायर याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग को जो शपथ पत्र दिया गया है, उसमें अतुल प्रधान ने दर्ज कराये गए मुकदमों को छुपाया गया। इस तरह से चुनाव आयोग और जनता को गुमराह किया। संगीत सोम की याचिका हाईकोर्ट में स्वीकृत कर ली गई तथा इसके बाद ही सुनवाई हुई। चर्चा यह है कि सुनवाई हो चुकी हैं,
अब इसमें हाईकोर्ट से निर्णय आना बाकी हैं। यही वजह है कि अब सपा विधायक अतुल प्रधान ने इलाहाबाद में दो दिन से डेरा डाल रखा हैं। सीनियर अधिवक्ताओं से सलाह ली जा रही हैं कि किस तरह से विधायकी बचाई जा सके। दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बार यह नया नियम निकाला था कि प्रत्याशी समाचार पत्रों में घोषणा पत्र देंगे कि उनके खिलाफ कितने मुकदमें दर्ज हैं या फिर नहीं।
इसमें भी विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुछ प्रत्याशियों ने वास्तविकता को छुपाया। उसमें अतुल प्रधान भी शामिल हैं, जिसके चलते अतुल प्रधान की गर्दन पर अयोग्यता की तलवार लटक गई हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि अतुल प्रधान की विधायकी छिन सकती हैं, जो उनके राजनीतिक कॅरियर के लिहाज से बड़ा झटका लग सकता हैं।