
दांत, मसूड़े एवं मुंह की भीतरी बीमारी का दिल एवं शरीर के साथ गहरा नाता है। यदि दांत, मसूड़े एवं मुंह स्वस्थ रहेंगे तो आपका दिल एवं शरीर स्वस्थ रहेगा। दांत एवं मसूड़े मात्र भोजन को चबाने या सुंदर मुस्कान के ही काम नहीं आते। सभी बड़े बुजुर्ग, बच्चों को नियमित दांतों की सफाई करने की सलाह एवं उपदेश देते हैं। यह हमारे खानपान एवं जीवनचर्या का अभिन्न अंग हैं। हमारे यहां यह नित्यकर्म में शामिल है। इसके लिए प्राकृतिक साधन दातुन मिलता है। इस हेतु विभिन्न वृक्षों की नर्म टहनियों का उपयोग किया जाता है। दातुन एवं ब्रश मसूड़ों की सफाई के काम आते हैं। इन्हें मजबूत एवं निरोग रखते हैं। खानपान एवं जीवनचर्या स्वस्थ शरीर के लिए जितना महत्त्व रखते हैं, उतना ही महत्त्व शरीर के इस भाग की सफाई एवं उसके स्वस्थ रहने का है।
डॉ. सीतेश कुमार द्विवेदी
दांतों के बीमार रहने पर इनमें मौजूद बैक्टीरिया दिल तक पहुंच जाते हैं और व्यक्ति के दिल एवं शरीर को बीमार बनाते हैं। इनके खराब रहने से दिल का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ता है। इसके अलावा यदि व्यक्ति को दांत, मसूड़े एवं मुंह की बीमारी लगातार होती है तब उसे हृदय रोग, मधुमेह एवं निमोनिया होगा या है, यह माना जाता है।
कारण क्या है
हम दैनिक जो भी वस्तु खाते या पीते हैं उसका कुछ अंश दांतों एवं मसूड़ों के आसपास तथा मुंह के भीतर जमा रहता है जो सफाई के अभाव में सड़ता रहता है जिससे गंदगी की परत में कीटाणु एवं बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिल जाता है। ये दांतों व मस्ूाड़ों को संक्र मित कर अस्वस्थ करते हैं। और कमजोर करते रहते हैं। इससे दांत सड़ने, गलने एवं खोखले होने लगते हैं। दांतों में दर्द एवं मसूड़ों में सूजन होने लगती है। मुंह से लगातार दुर्गंध आने लगती है। पायरिया हो जाता है। मीठी वस्तुएं स्वादिष्ट जरूर होती हैं किन्तु सफाई के अभाव में यही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं। मीठी वस्तुओं से ही दांत, मसूड़े एवं मुंह की अधिकतर बीमारियां होती हैं जो सफाई के अभाव में तेजी के साथ नुकसान पहुंचाते हैं। कैविटी, पायरिया, मसूड़ों में सूजन, बैक्टीरिया एवं संक्र ामक कीटाणु रक्त के माध्यम से हृदय एवं रक्त वाहिकाओं में पहुंच जाते हैं जो रक्त वाहिकाओं को कड़ा कर देते हैं। रक्त का थक्का बनाते हैं। हृदय रोग एवं हृदयघात के कारण बनते हैं। मधुमेहियों को मुंह की बीमारी अधिक होती है। यह मधुमेह का जोखिम बढ़ाता है। इससे निमोनिया की बीमारी होती है।
बचाव के उपाय
दातुन एवं ब्रश से दांतों की सफाई की जाती है। इनमें दातुन श्रेष्ठ होता है। बबूल एवं नीम आदि के दतुवन (दातुन) से दांत एवं मसूड़ें मजबूत होते हैं एवं निरोग रहते हैं। ब्रश कैसा हो एवं मंजन या टूथपेस्ट कौन सा हो, यह मायने नहीं रखता अपितु दांतों की सफाई किस तरह करते हैं, यह मायने रखता है। टूथपेस्ट एवं मंजन में खतरनाक रसायन मिले होते हैं। ये नुकसान पहुंचाते एवं कई दवाओं को निष्प्रभाव बना देते हैं। दांतों की नियमित एवं दैनिक दो बार भली प्रकार से सफाई करें। ब्रश के दांतें नरम हों। ब्रश अपना व्यक्तिगत हो। ब्रश को हर दो माह बाद बदल दें। दूसरे का ब्रश उपयोग न करें। कुछ भी खाने या पीने के बाद कुल्ला कर मुंह की सफाई करें। उंगली से मसूड़ों की दैनिक मालिश करें। दांतों से अधिक कठोर वस्तु न चबाएं। दांतों के बीच कुछ वस्तु या कचड़ा फंसा हो, उसे साफ कर निकाल दें।
कैल्शियम एवं खनिज तत्व से दांत मजबूत होते हैं। फल, सब्जी एवं सलाद दांतों के लिए श्रेष्ठ हैं। इससे मसूड़ों का व्यायाम होता है जिससे दांत मजबूत होते हैं। मिठाई, चाकलेट, शक्कर, गुड़ अधिक खट्टी चीजें दांतों के दुश्मन हैं। ये दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये बैक्टीरिया को पनपाते हैं, दांतों पर कैविटी बनाते हैं, अतएव इससे बचने के लिए खाने के बाद कुल्ला कर मुंह साफ करें।
फलों के जूस के स्थान पर फल चबाकर खाएं। सेब, अमरूद, गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी, चुकंदर आदि का सेवन करें। दही का उपयोग करें। हर हाल में दांतों को मजबूत एवं निरोग रखने के उपाय करें। ये जीवन भर साथ देते हैं। हृदय, मधुमेह रोगी एवं गर्भवती महिला विशेषकर इसका ध्यान रखें। दांतों, मसूड़ों व मुंह के स्वस्थ रहने से खाने का स्वाद आएगा, आनंद मिलेगा और व्यक्ति अपनी पूर्ण आयु तक जीवित रहेगा।
