Friday, July 5, 2024
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तैनाती है नहीं, फिर कैसी निगरानी?

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  • रिटायर, ट्रांसफर पर जा चुके अफसर कर रहे हैं निगरानी
  • एनएफएसए पोर्टल पर नहीं हुई सतर्कता समितियां अपडेट

जनवाणी संवाददाता |

सरूरपुर: खाद रसद विभाग द्वारा राशन की निगरानी के लिए बनाई गई समितियों में भारी गड़बड़झाला है। जिला स्तर से लेकर कोटेदार स्तर तक की तमाम निगरानी समितियों में उन अधिकारियों के नाम सूची में शामिल हैं,जो या तो रिटायर होकर घर जा चुके हैं या फिर से कई साल पहले जिले को छोड़कर दूसरी जगह चार्ज पर हैं। लापरवाही की इंतेहा यह है कि कई साल से समितियों को अपडेट तक नहीं किया गया है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगरानी समिति कैसी निगरानी कर रही होगी?

खास बात यह कि मेरठ जिले में तो सालों से राशन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने और शिकायत करने, सुनने के लिए नोडल अधिकारी तक नियुक्त नहीं है। इसे लेकर जिले में एक तरह से राशन वितरण का धंधा ढर्रे पर चल रहा है और कोटेदार जमाखोरी, ब्लैक खोरी करके जमकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।

यूपी सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों यानि राशन वितरण आणि एनएफएसए के तहत पात्र लाभार्थियों तक समय पर उचित खाद्यान्न पहुंचाने और उसको सही ढंग से वितरण करने आदि को बेहतर बनाने के लिए राज्य स्तर से लेकर कोटेदार स्तर तक निगरानी समितियों का गठन किया गया था। वर्ष 2013 में इन समितियों का गठन किया गया था,लेकिन खाद्य वितरण प्रणाली को बेहतर और सुदूर्ढ बनाने के लिए गठित की गई निगरानी समितियां खुद सुदूर्ढ नही हैं। पूरी तरह से फ्लॉप शो साबित होकर रह गई हैं।

सालों से जिले में निगरानी समितियों को अपडेट तक नहीं किया गया है, जिसके चलते जिला स्तर से लेकर कोटेदार स्तर तक की समितियों में ऐसे तमाम उन अधिकारियों को नामित कर दिया गया हैं जो या तो रिटायर होकर घर जा चुके हैं या फिर ट्रांसफर पर जाकर दूसरे जिलों में पोस्टिंग हो चुकी है। मेरठ जिले की निगरानी समिति की बात करें तो एनएफएसए के पोर्टल पर अभी भी मेरठ का डीएम समीर वर्मा को बता कर निगरानी समिति का अध्यक्ष दर्शाया जा रहा है।

इसके अलावा डीपीआरओ अतुल मिश्र,एसएन द्विवेदी, बीएसए रहे इकबाल,जिला कार्यक्रम अधिकारी जीपी तिवारी,मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.वीरेंद्र पाल सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी राजेश कुमार,जिला खाद्य विपणन अधिकारी अर्चना तिवारी तमाम ऐसे नाम हैं, जिनमें अगर तत्कालीन डीएम समीर वर्मा की बात करें तो उनका 31 जनवरी 2018 को यानी 4 वर्ष पूर्व में ट्रांसफर हो चुका है, लेकिन वह आज भी निगरानी समिति में खाद्यान्न की निगरानी कर रहे हैं।

इसके अलावा भी ऐसे इकबाल अहमद रिटायर होकर 4 साल पहले घर जा चुके हैं, लेकिन वह अभी भी निगरानी समिति के सदस्य हैं और घर से निगरानी कर रहे हैं, जबकि इसके अलावा अन्य अधिकारियों में ज्यादातर के ट्रांसफर हो चुके हैं ।यह हाल जिले की निगरानी समिति का है,तो अंदाजा लगाई कि ब्लॉक और कोटेदार की निगरानी समिति का क्या हाल होगा। सरूरपुर की निगरानी समिति की बात करें तो इसमें उप जिलाधिकारी राकेश कुमार को आज भी अध्यक्ष हैं

जबकि ब्लॉक प्रमुख हरेंद्र चौधरी, खंड विकास अधिकारी अमित कुमार के अलावा क्षेत्रीय विपणन अधिकारी सुमन चौधरी,पूर्व ट्रांसफर जा चुकी एबीएसए सविता डबराल, रिटायर होकर घर जा चुकी सीडीपीओ शशिप्रभा,5 साल पहले ट्रांसफर पर जा चुके महेश चंद्रा प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के अलावा ट्रांसफार्मर जा चुके जितेंद्र कुमार क्षेत्रीय खाद्य पूर्ति निरीक्षक का भी नाम पोर्टल पर निगरानी समिति में आज भी मौजूद है।

सरधना की निगरानी समिति की बात करते यहां भी एसडीएम राकेश कुमार सिंह को दशार्या गया। जबकि ब्लॉक प्रमुख कुलदीप प्रजापति,खंड विकास अधिकारी चंदन देव पांडेय, क्षेत्र विपणण अधिकारी सुमन चौधरी, खंड शिक्षा अधिकारी उदित कुमार, सीडीपीओ शिमला चौधरी तमाम ऐसे नाम हैं। जिनमें से शिमला चौधरी रिटायर होकर घर जा चुकी हैं,तो अन्य अधिकारी कई साल पहले ट्रांसफर पर दूसरे जिलों में पोस्टिंग है।

यही हाल जिले के अन्य 12 ब्लॉक का भी है। जिनमें ज्यादातर ऐसे अधिकारियों का अध्यक्ष बनाया गया जो सालों पूर्व पोस्टिंग पर दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं या ज्यादातर नामित सदस्यों में रिटायर होकर घर जा चुके हैं, लेकिन बावजूद आज भी घर बैठे वह राशन की निगरानी कर रहे हैं। डिजिटल भारत के सपने के हिसाब से अगर देखा जाए तो एनएफएसए का पोर्टल मुंह चिढ़ा रहा है। आज तक भी निगरानी समिति पूरी तरह से अपडेट नहीं है। रिटायर और ट्रांसफर पर जा चुके अधिकारियों का नाम देखकर हंसी का पात्र बनता हैं।

तमाम निगरानी समिति में भारी गड़बड़झाला देखने को मिल रहा है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राशन की वितरण प्रणाली किस तरह से कार्य कर रही होगी और कैसे गरीबों तक सरकार की मंशा के अनुरूप राशन का वितरण किया जा रहा होगा। इसके अलावा ग्रामीण व नगरीय पर गठित की गई कोटेदार की निगरानी समितियों में तो परलोक जा चुके लोग भी राशन की निगरानी समिति में शामिल हैं, जो परलोक से ही राशन वितरण प्रणाली होते हुए देख कर निगरानी कर रहे हैं।

डिजिटल भारत के सपने को ठेंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा लगातार डिजिटल भारत के सपने देखे जा रहे हैं और डीजिटल भारत के तहत रोज नए प्रयोग कर सभी विभागों में डिजिटल लेनदेन, शिकायत, वितरण प्रणाली को बेहतर किया जा रहा है,तो वहीं दूसरी ओर उनके ही नुमाइंदे डिजिटल प्रणाली को ठेंगा दिखा रहे हैं। एनएफएसए पोर्टल को सालों से अपडेट करने के अधिकारियों के पास फुर्सत नहीं है।

समिति के कार्य

सदस्यों को पहले सूचना देकर हर महीने समिति की बैठक होती है।खाद्य सुरक्षा कानून में शामिल योजनाओं की नियमित निगरानी से यह पक्का करना कि पात्रों को लाभ मिले और कोई वंचित न रहे। अनियमितताओं कि लिखित सूचना जिला शिकायत निवारण अधिकारी को देना। योजनाओ के पर्यवेश्रण दौरान कानून के प्रावधानों के उल्लंघन या गबन की जानकारी सामने आने पर समितियों द्वारा निवारण अधिकारी को लिखित शिकायत करना।

कोटेदार स्तर पर समिति का चयन

उचित मूल्य दुकान के स्तर पर सतर्कता समिति खाध्य सुरक्षा कानून के प्रभाव पालन के लिए समिति के सदस्यों का चयन ग्राम सभा में उनके नामों के प्रस्ताव और अनुमोदन से होता है। सदस्यता पांच साल के लिए होती है। सदस्यों की सूची राशन की दुकान पर प्रदर्शित की जाती है।

मेरठ में हैं545676 कार्डधारक

मेरठ जिले में पात्र गृहस्थी के अंतर्गत 536447 राशन कार्ड, जबकि 2383482 लाभार्थी हैं, अंत्योदय के तहत जिले में 9229 राशन कार्ड व 30390 लाभार्थी हैं। कुल मिलाकर मेरठ जिले में 545676 राशन कार्ड धारक हैं। जबकि कुल 2413872 लाभार्थी सरकार की खाद्यान्न योजना का लाभ ले रहे हैं।

जिले में नहीं है नोडल अधिकारी

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत आंतरिक शिकायत निर्माण प्रणाली के अंतर्गत मेरठ जिले में नोडल अधिकारी का पद भी अरसे से खाली हुआ पड़ा है। जबकि जिला शिकायत निवारण अधिकारी के पद पर तैनात सुभाष चंद्र प्रजापति एडीएम वित्त एवं राजस्व को नामित हैं जबकि उनका यहां से ट्रांसफर हो चुका है। यही हाल जिला स्तरीय वह ब्लॉक स्तरीय नोडल अधिकारी की भी है।

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