Sunday, April 6, 2025
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किसी भी अस्पताल में नहीं आग से बचाव का पुख्ता इंतजाम

  • आग हादसों को लेकर मेडिकल, जिला अस्पताल व डफरिन भी सुरक्षित नहीं
  • कहीं अग्निशमन उपकरण नहीं तो कहीं रखरखाव के अभाव में पूरी तरह बदहाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेडिकल, जिला अस्पताल व डफरिन समेत महानगर के तमाम हॉस्पिटल जिनमें कुछ हाईप्रोफाइल भी हैं, आग हादसों को परले दर्ज की हद तक लापरवाह बने हुए हैं। कुछ हॉस्पिटलों में या तो आग बुझाने के यंत्र ही नहीं है या फिर कुछ में अग्निशमन यंत्र तो हैं, लेकिन यदि आग लग जाए तो वो आग पर काबू पाने में कोई मदद नहीं करेंगे। क्योंकि मेंटीनेंस व माकूल रखरखाव न होने के चलते ये बेकार पडेÞ हैं। झांसी की घटना के बाद यह उम्मीद की गयी थी कि यहां भी प्रशासन की नींद टूटेगी और अस्पतालों पर एक्शन होगा। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

एलएलआरएम मेडिकल की स्थिति तो बद से बदतर है। करीब पांच साल पहले आग जैसे हादसों से निपटने के लिए अपना सिस्टम तैयार कराने के नाम पर अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाना था। उसकी खुदाई तो करायी गयी, लेकिन उसमें पानी कभी नहीं भरा गया। मेडिकल के सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक जिसको लाल बिल्डिंग भी कहा जाता है। उसमें फायर फाइटर सिस्टम तो बनाया गया है, लेकिन अस्पताल चलाने वाले मेंटेनेंस करना भूले बैठे हैं। यहां जीरो मेंटीनेंस है। कमोवेश डफरिन का भी ऐसा ही हाल है। वहां फायर फाइटिंग सिस्टम रखरखाव के आभाव में पूरी तरह से डेमेज हो चुका है। यदि आग सरीखा हादसा हो जाए तो यहां मौजूद सिस्टम के बूते उस पर काबू नहीं पाया जा सकेगा। यही स्थिति प्यारेलाल शर्मा जिला अस्पताल की भी है।

ये है स्थिति

शहर में 500 से ज्यादा हॉस्पिटल हैं। इनमें से करीब 350 आईएमए में रजिस्टर्ड हैं। अग्निशमन में 306 की लिखा-पढ़ी है। इनमें से भी महज 243 ने फायर एनओसी ली है। 63 हॉस्पिटल संचालकों ने फायर एनओसी की जरूरत नहीं समझी। हालांकि चीफ फायर आॅफिसर कार्यालय से लगातार नोटिस जारी किए जाते हैं, ये बात अलग है कि 63 अस्पताल उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

कंपनी को एस्टीमेंट बनाकर भेजा

एलएलआरएम मेडिकल के प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बताया कि यह काम पूर्व में यूपी सिड को सौंपा गया था। बीच में वह कंपनी किसी कारण से चली गयी। उसके बाद यूपीपीसीएल को कार्य सौंपा गया। उसने एस्टीमेंट बनाकर दिया। उसको शासन ने अधिक बताया। दोबारा से कंपनी को एस्टीमेंट बनाकर दिया है।

फायर सेफ्टी को लेकर किया जा रहा गंभीरता से काम

सीएफओ संतोष राय ने बताया कि फायर सेफ्टी को लेकर गंभीरता से काम किया जा रहा है। 63 नर्सिंग होम संचालकों को नोटिस भेजा गया है। आईएमए के पदाधिकारियों से भी चर्चा की गयी है।

आईएमए बिल्डिंग फायर सेफ्टी का करती है पालन

आईएमए अध्यक्ष डा. सुमित उपाध्याय ने बताया कि झांसी की घटना के बाद सुरक्षा उपायों पर चर्चा के लिए सोमवार को सीएमओ के साथ मीटिंग की गयी है। सभी नर्सिंग होम संचालकों से अग्नि शमन यंत्र अपडेट रखने को पत्र भेजा गया है। आईएमए बिल्डिंग पूरी तरह से फायर सेफ्टी का पालन करती है।

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