- ये अजूबा निगम ही कर सकता है, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं
- दुर्घटनाओं का अंदेशा, अधिकारी बने हैं अंजान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के 90 ऐसे वाहन हैं, जिनका पंजीकरण ही आरटीओ में नहीं हैं। ये सभी वाहन शहर में कूड़ा ढोने के काम में प्रयोग लिये जा रहे हैं। इनको हर रोज डीजल भी दिया जा रहा हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बिना नंबर के कैसे डीजल दिया जा रहा हैं। लॉग बुक कैसे चल रही हैं बिना नंबर के। बिल भी बनते होंगे, वो भी बिना नंबर के कैसे पास हो रहे हैं? इसमें हो न हो घोटाला हो सकता हैं। ये अजूबा भी नगर निगम में ही हो सकता हैं।
गाड़ियां बिना नंबर प्लेट के सड़क पर दौड़ रही हैं, जब गाड़ी नंबर नहीं है तो फिर तेल का आंवटन कैसे किया जा रहा हैं? क्योंकि एक-दो वाहन नहीं, बल्कि 90 वाहन ऐसे हंै, जिनका आरटीओ में पंजीकरण नहीं हैं। शहर भर के नागरिकों की जान खतरे में है, वजह है नगर गिनम के अधिकारियों की दबंगई। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा बिना पंजीकरण की गाड़ियों को शहर भर में दौड़ाया जा रहा है। वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेटों की जगह सादी नंबर प्लेटें लगी हैं। दुर्घटना की स्थिति में बचाव की कोई सूरत नहीं है।
नगर निगम की कूड़ा उठान करने वाली छोटी-बड़ी गाड़ियां पिछले कई सालों से बिना पेपर के चल रही हैं। यह निगम के ट्रांसपोर्ट विभाग की लापरवाही ही है कि अब तक इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए संभागीय परिवहन कार्यालय में जरूरी प्रक्रिया तक नहीं शुरू की है। बिना नम्बर की ये गाड़ियां शहर में धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। रोज इन वाहनों से सैकड़ों टन कूड़े का उठान भी किया जा रहा है,
लेकिन इनकी जांच नहीं हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर नगर निगम के कूड़ा उठाने वाले वाहन दौड़ रहे हैं। ये वाहन बिना नंबर प्लेट के ही शहर भर में दौड़ रहे हैं। वहीं स्मार्ट शहर की स्मार्ट पुलिस के अलावा परिवहन विभाग के अधिकारियों की नजर भी इन वाहनों पर नहीं है। जबकि नगर निगम मेरठ के अधिकारी इस मामले में सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं। यही वजह है कि धड़ल्ले से इन वाहनों का संचालन हो रहा है।
बिना नंबर प्लेट के दौड़ रही गाड़ियां
शहर में यह वाहन कई सालों से बिना नंबर प्लेट से ही चल रहे हैं। प्रशासन और पुलिस के साथ-साथ परिवहन विभाग भी इस मामले में गंभीर नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होना शुरू हो गए हैं। नगर निगम द्वारा चुनाव से पहले शहर में डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन के लिए पांच वाहन खरीदे गए। इसके बाद से इन वाहनों का प्रयोग डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन की योजना के तहत किया जा रहा है।
इन गाड़ियों को चलते तीन साल से अधिक का समय हो गया है। इसके बावजूद इन पर नंबर प्लेट नहीं लग पाई है। आलम यह है कि यह वाहन रोजाना शहर के सभी वार्डों और सड़कों पर चलते हैं, लेकिन इनकी नंबर प्लेट पर किसी नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का ध्यान आज तक नहीं गया है। ऐसे में अगर इन वाहनों से अगर कोई हादसा हो जाता है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा यह भी एक बड़ा सवाल है?
निगम वाहनों को मिलती है टैक्स में छूट
नगर निगम की कूड़ा ढोने वाली गाड़ियों को परिवहन विभाग की तरफ से टैक्स में छूट मिली हुई है. इन पर किसी तरह का टैक्स नहीं वसूला जाता है, लेकिन कूड़ा गाड़ी के अलावा अन्य किसी भी श्रेणी की जो भी गाड़ियां संचालित हो रही हैं, उन पर टैक्स वसूलने का प्रावधान है, लेकिन नगर निगम में सैकड़ों ऐसी गाड़ियां हैं जिनका टैक्स भी जमा नहीं है। नगर निगम की तरफ से वाहनों का टैक्स जमा करने से परिवहन विभाग को बड़े राजस्व का नुकसान हो रहा है। अब परिवहन विभाग की तरफ से नगर निगम से टैक्स वसूली की तैयारी की जा रही है।
परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन ही नहीं
शहरभर में दौड़ रहे नगर निगम के वाहनों की पड़ताल की तो सामने आया कि तमाम वाहन आरटीओ में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। नगर निगम में अनफिट वाहनों की भरमार है. एचएसआरपी तो किसी में देखने को ही नहीं मिल रही है.नगर निगम के कूड़ा ढोने वाले और साफ-सफाई करने वाले सैकड़ों वाहन बिना फिटनेस और रजिस्ट्रेशन के ही सड़कों पर चल रहे हैं. इन वाहनों की फिटनेस के लिए परिवहन विभाग की तरफ से दिखावे के लिए नोटिस जारी होते हैं, लेकिन नगर निगम पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है।
दूसरों के लिए नियम, अपने लिए सब ताक पर
नगर निगम की ओर से सफाई, हाउस टैक्स, लाइसेंस देने के के तमाम नियम-कायदे बनाये जाते हैं, लेकिन खुद निगम के अफसर ही तमाम कायदे-कानूनों का पालन नहीं करते हैं। नगर निगम को चार वर्ष पूर्व स्वच्छ भारत मिशन के तहत 90 टाटा ऐस ट्रक मिले थे। जबकि 45 बड़े वाहन मिले थे। तब से इन वाहनों से शहर से कूड़े का उठान शुरू हो गया, लेकिन इनका रजिस्ट्रेशन कराने की जहमत नहीं उठाई गई।
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक बार भी इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने का प्रयास नहीं किया है। बिना रोकटोक इन वाहनों को सड़कों पर दौड़ाते रहे। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ के जांच अभियान में सरकारी वाहन होने से कभी भी इनकी जांच नहीं हुई।
सड़क दुर्घटना का बनते हैं बड़ा कारण
नगर निगम के ऐसे वाहन जो बिना रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर चल रहे हैं। यह अनफिट वाहन दुर्घटना का भी बड़ा कारण बन सकते हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर आंखे मूंदे हुए हैं। चार पहिया कूड़ा ढोने वाले छोटे वाहन हों, ट्रैक्टर हों, जेसीबी हों या फिर बुलडोजर नगर निगम के ज्यादातर वाहन अनफिट ही हैं. इनमें अधिकतर वाहनों पर नंबर हैं ही नहीं. हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगवाने के बारे में तो नगर निगम सोच भी नहीं रहा है।
नगर निगम के ही अधिकारी मानते हैं कि तकरीबन चार सौ वाहन ऐसे हैं जिनका अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, लेकिन वह संचालित किए जा रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि बिना रजिस्ट्रेशन के ही ऐसे वाहन सड़क पर कैसे चल सकते हैं? नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे ऐसे वाहनों पर परिवहन विभाग के इंफोर्समेंट आॅफिसर और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी कब कार्रवाई करेंगे।
आम जनता के वाहन का तुरंत होता है चालान
पुलिस की तरफ से नंबर प्लेट न होने पर आमजन का तुरंत चालान काट दिया जाता है, लेकिन यातायात पुलिस की पैनी नजर भी इन वाहनों पर नहीं अभी तक नहीं पड़ी है। सरकार और प्रशासन की तरफ से समय-समय पर यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इन अभियान को सही मायने में सरकारी विभाग की अनदेखा कर रहे हैं।
सरकार की तरफ से ऐसे वाहन जिनमें हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अब तक नहीं लगी है, उन पर चालान की कार्रवाई करने के निर्देश है। वाहन में एचएसआरपी न लगे होने पर पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अगर परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस नगर निगम के वाहनों का एचएसआरपी न लगे होने पर ही चालान करने लगे तो ज्यादातर वाहन चालान के दायरे में आएंगे। इससे नगर निगम को तो काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। -अब्दुल गफ्फार, नगर निगम पूर्व पार्षद
नगर निगम जनता की सेवा करने के लिए बना है। यह बहुत ही गंभीर विषय है। उनके संज्ञान में इससे पूर्व कभी यह मामला नहीं आया है। वाहनों का पंजीकरण और फिटनेस होना अति आवश्यक है। यह खुद निगम के चालकों के लिए भी सुरक्षित है। इस मामले में नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी से जवाब तलब करेंगे। -हरिकांत अहलूवालिया, महापौर, नगर निगम