- भाजपा नेता के समर्थकों ने दूसरे पक्ष को दी गोदाम खाली कराने की धमकी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लालकुर्ती स्थित गोविंद प्लाजा एक बार फिर चर्चा में हैं। गोविंद प्लाजा से सटकर दो सौ मीटर का प्लाट (गोदाम) हैं, जिस पर कब्जे को लेकर गुरुवार को बवाल हो गया। दो घंटे तक भाजपा नेता और उसके समर्थक दूसरे ग्रुप के आमने आ गए। टकराव बढ़ा। बार-बार पुलिस को फोन किया गया, लेकिन पुलिस भी देर से पहुंची। भाजपा नेता रमेश ढीगरा के बाउंसरों ने खूब अभ्रदता की, जिसके बाद दूसरे पक्ष ने थोड़ी नरमी दिखाई, जिसके चलते बड़ी अनहोने से टल गई। बाद में पुलिस ने हस्ताक्षेप किया, तब जाकर भीड़ थाने पहुंच गई।
इस तरह से गोविंद प्लाजा पर जमीन कब्जाने को लेकर घंटों तक बवाल होता रहा हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हडियां मोहल्ला निवासी कुछ लोग दुकान करते हैं। उनका ही इस जमीन पर कब्जा था। उनसे ये कब्जा हटवाया जा रहा था, जिसको लेकर बवाल हो रहा था। पप्पू नामक व्यक्ति इस जगह को गोदाम के रूप में प्रयोग करता हैं। इस गोदाम को खाली कराने को लेकर टकराव बन गया था। हंगामा करीब घंटे भर चला। पुलिस ने बाद में थाने में दोनों पक्षों से बात कर दो दिन का टाइम दिलाया तथा खाली करने के लिए कहा गया हैं।
इस मामले में भाजपा नेता ने कहा कि गोदाम (प्लाट) खाली नहीं किया तो जेल भिजवा देंगे। हम सत्ता में हैं, ये धमकी थाने में ही पप्पू व उसके परिजनों को दे दी। जिस समय बवाल हुआ, तब तो भाजपा नेता रमेश ढीगरा मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके राइट हैंड चन्द्र बाउंसरों के साथ मौजूद थे। हथियार भी लिये हए थे। हालांकि हथियरों का कोई प्रयोग नहीं हुआ, लेकिन जिस समय बवाल चल रहा था,तब भाजपा नेता रमेश ढीगरा लालकुती थाने में बैठे हुए थे। इस तरह से पुलिस पर भाजपा नेता ने दबाव बनाये रखा।
खाली जमीन की कैंट बोर्ड ने कैसे काट दी नियम विरुद्ध रशीद ?
मेरठ: कैंट बोर्ड की सर्कुलर रोड पर सरकारी जमीन की नियम विरुद्ध बोर्ड के अफसरों ने रशीद काट दी। खाली पड़ी जमीन पर एक व्यक्ति को रशीद काटकर कैसे मालिक बना दिया गया। रशीद खाली जमीन की काटी गई, लेकिन मौके पर अस्थाई तरीके से जमीन को कब्जा लिया गया हैं। शर्ते ये है कि जमीन खाली रहेगी। इस पर ठेला लगाया जा सकता हैं, लेकिन अस्थाई निर्माण कर जमीन को नहीं कब्जाया जा सकता। इन तमाम नियमों को दरकिनार कर कैंट बोर्ड के अफसरों ने कैसे जमीन पर अस्थाई निर्माण होने दिया।
सीबीआई का भी खौफ कैंट बोर्ड के अफसरों को नहीं हैं। पांच हजार फाइलों का मामला पहले ही सीबीआई के पास चल रहा हैं। सीबीआई की पैनी निगाहें कैंट बोर्ड के अफसरों पर लगी हैं, लेकिन इसके बावजूद कैसे नियम विरुद्ध सरकारी जमीन पर कब्जा देने के लिए एक विशेष व्यक्ति को रशीद काटकर दे दी गई। हालांकि रशीद में प्लेन जमीन रखने की शर्ते बतायी गयी हैं, लेकिन अब मौके पर तो अस्थाई निर्माण कर दिया गया हैं। कैंट बोर्ड के इंजीनियरों की टीम मौके पर भी पहुंची, जिसके बाद टीम ने पैमाइश की,
लेकिन फिर कोलड्रिंक का सेवन कर टीम वापस लौट गई, इसमें अस्थाई निर्माण को यह कहकर हटाने से मना कर दिया कि इसकी तो रशीद कटी हुई हैं। रशीद खाली जगह की कटी हैं, लेकिन उसका स्वरूप ही बदल दिया गया हैं। वर्तमान में कैंट बोर्ड के सीईओ ने भी आंखें मूंद ली हैं। इसमें भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे हैं। इसी वजह से ये मामला भी सीबीआई के सामने पहुंच सकता हैं।