
बच्चों का रात को सोते समय बिस्तर गीला करना बहुत आम बात है लेकिन अगर आपके बार-बार समझाने या जरूरी कदम उठाने पर भी बच्चे की ये आदत नहीं जा रही है तो आपको इस विषय में डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।
बहुत से बच्चे सोते समय बिस्तर गीला कर देते हैं। इस दिक्कत को मेडिकल टर्म में नॉक्टरनल एन्यूरेसिस कहा जाता है जिसका अर्थ है सोते समय पेशाब कर देना। बच्चे का 4 साल की उम्र तक बिस्तर गीला करना नॉर्मल माना जाता है। लेकिन इसके बाद बच्चे ब्लैडर कंट्रोल करना सीख लेते हैं. ऐसे में बढ़ती उम्र के बच्चों में भी सोते समय बिस्तर गीला करने की दिक्कत होने लगे तो इससे छुटकारा पाने की जरूरत होती है. ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बच्चे बिस्तर गीला करने पर शंर्मिंदगी महसूस करते हैं और उनकी यह शर्मिंदगी गुस्से और चिड़चिड़ेपन का कारण भी बनने लगती है।
बच्चे रात को सोते समय अक्सर बिस्तर गीला कर देते हैं। रात को सोने के बाद बच्चे का अपने आप पेशाब निकल जाता है। इसे बैड वैटिंग इसे लेकर आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग ठीक से न मिलने पर ऐसा हो सकता है। बच्चे के विकास का यह एक सामान्य हिस्सा है। 7 साल की उम्र तक बैड वैटिंग चिंता की बात नहीं है। हो सकता है कि इस उम्र तक आपका बच्चा रात को पेशाब रोकना सीख रहा हो। यदि इस उम्र के बाद भी रात को बिस्तर गीला करने की परेशानी हो रही है तो आपको इस समस्या को समझकर इसका इलाज करना चाहिए।
-हो सकता है कि रात को पेशाब रोकने के लिए आपके बच्चे का मूत्राशय पर्याप्त विकसित न हुआ हो।
-अगर मूत्राशय को कंट्रोल करने वाली नसें धीरे मैच्योर हो रही हैं तो पेशाब आने पर बच्चे की नींद नहीं खुलती है। ऐसा खासतौर पर गहरी नींद में होता है।
-बचनप में रात के समय पेशाब कम आने के लिए कुछ बच्चों के शरीर में पर्याप्त मूत्र-रोधी हार्मोन नहीं बन पाते हैं।
-मूत्रमार्ग में संक्रमण के कारण पेशाब रोकने में बच्चे को दिक्कत आ सकती है।
-स्लीप एप्निया में नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत होती है जिसमें कभी-कभी सोते समय पेशाब निकल सकता है।
-इसके अलावा डायबिटीज, लंबे समय से कब्ज, मूत्र मार्ग या तंत्रिका तंत्र की संरचना में दिककत की वजह से बच्चा रात में बिस्तर गीला कर सकता है।
अगर आपके बच्चे की रात को सोते समय बिस्तर गीला करने की आदत है तो आप नीचे बताए गए तरीकों से इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।
-कमरे से बाथरूम ज्यादा दूर नहीं होना चाहिए। वहीं बाथरूम ऐसी जगह भी नहीं होना चाहिए, जहां जाने से बच्चे को डर लगे।
-अगर बच्चे को रात में उठकर पेशाब करने जाने से डर लगता है तो उसे बोलें कि वो आपको अपने साथ लेकर जाए। आप कमरे में एक हल्का बल्ब भी जलाकर रख सकते हैं।
-बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ दें। उसे दिन में पानी ज्यादा पीना है। कोशिश करें कि वो सुबह के समय 40 फीसदी, दोपहर में 40 फीसदी और फिर शाम को 20 फीसदी पानी एवं तरल पदार्थ ले। इससे रात में पेशाब कम आएगा।
-बच्चे को बाथरूम और टॉयलेट ट्रेनिंग दें।
अधिकतर बच्चे खुद ही इस परेशानी से निकल जाते हैं जबकि कुछ बच्चों को थोड़ी मदद की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्चों को किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण ये दिक्कत हो सकती है जिसका तुरंत इलाज करवाने की जरूरत होती है। निम्न स्थितियों में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं :
-अगर 7 साल की उम्र के बाद भी बच्चा बिस्तर गीला करता हो
-रात को पेशाब करने में दर्द, बहुत ज्यादा प्यास लगना, गुलाबी या लाल रंग का पेशाब आना या खरार्टे आने की दिक्कत भी हो।
बच्चों का रात को सोते समय बिस्तर गीला करना बहुत आम बात है लेकिन अगर आपके बार-बार समझाने या जरूरी कदम उठाने पर भी बच्चे की ये आदत नहीं जा रही है तो आपको इस विषय में डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।