Friday, July 5, 2024
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बिना टेंडर के शहर में हजारों यूनिपोल लगे, बड़े भ्रष्टाचार की बू

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  • मुख्य अतिक्रमण अधिकारी ने बताया कि दो ठेकेदारों पर लगाया था 10-10 लाख का जुर्माना लिपिक ने किया इंकार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम से यूनिपोल पर प्रचार-प्रसार के लिए जिन दो ठेकदारों को वर्ष 2022-23 के लिए टेंडर हीरा मैसर्स एवं अभिनव मैसर्स के नाम से छोडा गया था। निगम के द्वारा छोड़ा गया वह ठेका 22 मई 2023 को समाप्त हो गया। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 1 करोड़ 83 लाख रुपये में छोड़ा गया। निगम में चुनाव के बाद जो पहली बैठक महापौर एवं पार्षदों संयुक्त रूप से घंटाघर के निकट टाऊन हॉल के तिलक भवन में आयोजित हुई थी। उसमें पार्षदों के द्वारा बडे ही जोर-शोर से यूनिपोल घोटाले के मुद्दा उठाया था।

आरोप लगााया था कि टेंडर खत्म होने के बाद निगम के अधिकारियों के द्वारा यूनिपोल से चुनाव प्रचार सामंग्री नहीं हटवाई गई। जिसमें बड़ा भ्रष्टाचार कराया जा रहा है। जिस पर अधिकारी बगले झांकते नजर आए, जिसमें महापौर हरिकांत अहलूवालिया के हस्तक्षेप के बाद पार्षद शांत हुए। मामले में जांच टीम गठित कर यूनिपोल से प्रचार सामंग्री हटवाने पर सहमति बनी थी, लेकिन अभी दूसरा टेंडर हुआ नहीं ओर पूरे शहर में यूनिपोल पर तमाम त्योहारों पर लुभावनी स्कीम वाले बड़े होर्डिंग लगा दिए गये हैं।

नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक में पार्षदों के द्वारा यूनिपोल घोटाले के हंगामें के बाद भी निगम के अधिकारियों के द्वारा इस मामले में अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया। पार्षदों का आरोप था कि यूनिपोल की (200) जितनी अनुमति निगम से ठेकेदारों के द्वारा ली गई है, उससे कई गुणा यूनिपोल महानगर में लगवा दिए गए हैं। जिसमें व्यापक भ्रष्टाचार निगम के अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। जबकि निगम के अधिकारियों ने कहा कि पूरी पादर्शिता से कार्य कराया जा रहा है।

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जिस पर पार्षदों ने कहा कि जब 22 मई 2023 को दोनो कंपनी का टेंडर खत्म हो गया तो फिर किसकी अनुमति से यूनिपोल पर प्रचार सामंग्री लगी हुई है। जिस पर अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि टेंडर खत्म होने के बाद एवं जो अवैध यूनिपोल लगाए गये थे, उन्हें हटाया जा रहा है और वह निगम में जमा कराए जा रहे हैं। जिस पर पार्षदों ने बैठक के दौरान खुलेआम निगम के अधिकारियों को चेलेंज किया कि जहां पर यह यूनिपोल रखे हुए हैं,

उन्हें तत्काल दिखाया जाए वह बोर्ड बैठक से सीधे वहां चलने को तैयार हैं। जिसके बाद निगम के अधिकारी बगले झांकते नजर आए। जिस पर खुद नगरायुक्त अमित पाल शर्मा को माइक थामना पड़ा और मामले की जांच कराकर कार्रवाई की बात कही, लेकिन पार्षद शांत नहीं हुए तो फिर खुद महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने पार्षदों को शांत किया। बोर्ड बैठक के बाद निगम के अधिकारियों ने इस तरफ से मानों आंखे मूद ली हो।

महानगर में कांवड़ यात्रा एवं अन्य त्योहरों के मद्देनजर यूनिपोल पर लुभावनी स्कीम वाली प्रचार प्रसार सामग्री लगा दी गई है। जब टेंडर न तो हीरा मैसर्स प्रबंधक सुभाष चंद्र एवं अभिनव से प्रबंधक सचिन चौधरी दोनों में किसी के पास अनुमति नहीं है तो फिर किस आधार पर यूनिपोल पर प्रचार-प्रसार, विज्ञापन लगाए जा रहे हैं। इस पर जब मुख्य अतिक्रमण अधिकारी डा. पुष्पराज गौतम से बात की तो उन्होंने बताया कि-दोनों कंपनी पर दस-दस लाख रुपये के जुर्माने की संसतुति की गई है,

जोकि चेक के द्वारा रुपया जमा कराया गया है। जब इस संबंध में संबधित लिपिक से बात की तो उसने अधिकारी के इस वर्जन का खंडन कर दिया, जुर्माना लगाए जाने वाली किसी भी बात की जानकारी से इंकार कर दिया। वहीं डा. पुष्पराज के द्वारा बताया गया कि महानगर में अभियान चलाकर यूनिपोल से विज्ञापन सामग्री हटवाई गई है।

जो लगवाई जा रही है, उसे भी हटवाया जायेगा। नई टेंडर प्रक्रिया में 12 जुलाई से 26 जुलाई के बीच नए ई-टेंडर फार्म भरे जा रहे हैं। वहीं इस बीच की अवधि का पैसा दोनों कंपनी से वसूला जायेगा, लेकिन धरातल पर डा. पुष्पराज गौतम के बयान से उलट ही चल रहा है। ऐसे में यूनिपोल के विज्ञापन टेंडर में बड़े भ्रष्टाचार की बू का आना स्वभाविक है।

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