जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एंटी करप्शन कोर्ट ने मोदीनगर तहसील परिसर में जमीन की दाखिल खारिज कराने की एवज में किसान से एक लाख रुपये की रिश्वत लेने वाले लेखपाल तथा उसके सहायक को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। दूसरी ओर, सतर्कता अधिष्ठा सेक्टर, मेरठ द्वारा अदालत में पेश किए गए रोहटा थाने के दारोगा को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
रोहटा थाने पर तैनात ट्रेनी दारोगा सनी सिंह ने दहेज उत्पीड़न के दर्ज मुकदमे में एफआर लगाने की एवज में पश्चिमी बंगाल में तैनात सैन्य ऑफिसर ओमबीर सिंह आर्य से तीन लाख रुपये की डिमांड की थी। इसके बाद डेढ़ लाख रुपये देना तय हो गया था। इसके बाद सैन्य आॅफिसर ने मामले की शिकायत सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर, मेरठ में एसपी से की थी। विजिलेंस की टीम ने बृहस्पतिवार को दारोगा सनी सिंह को रोहटा रोड स्थित एक ऑटो मोबाइल्स की दुकान पर सैन्य ऑफिसर ओमबीर सिंह आर्य से डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद दारोगा के खिलाफ कंकरखेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। विजिलेस की टीम ने दारोगा सनी सिंह का चालान काटकर शुक्रवार को अदालत में पेश किया, जहां से उसको न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। दूसरी ओर, मोदीनगर तहसील परिसर से बृहस्पतिवार को किसान मनोज कुमार से जमीन का दाखिल खारिज करने की एवज में एक लाख रुपये की रिश्वत लेते एंटी करप्शन यूनिट मेरठ ने रंगेहाथ गिरफ्तार किए गए लेखपाल सरित कुमार तथा उसके सहायक को गिरफ्तार किया था।
लेखपाल ने दाखिल खारिज के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, लेकिन एडवांस में एक लाख रुपये देना तय हुआ था। एंटी करप्शन की टीम ने लेखपाल तथा उसके सहायक के खिलाफ मोदीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। शुक्रवार को लेखपाल सरित कुमार व उसके सहायक को मेरठ स्थित एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
छेड़छाड़ के मामले में 18 साल बाद तीन साल की सजा
सरधना (जनवाणी): सरधना में घर में घुसकर किशोरी से छेड़छाड़ करने के मामले में 18 साल बाद फैसला आया है। मुंसिफ कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने पर आरोपी को दोषी पाया है। जिस पर न्यायालय ने दोषी को तीन साल का कारावास और एक हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा सुनाई है।
दरअसल, सरधना के एक मोहल्ला निवासी किशोरी ने दो युवकों पर घर में घुसकर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। मामले को लेकर पीड़ित पक्ष ने सरधना थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। वर्ष 2007 में दर्ज हुए मुकदमा अपराध संख्या 303 की करीब 18 वर्ष से सुनवाई सरधना के मुंशीफ कोर्ट में चल रही थी। करीब 18 साल तक चली सुनवाई में अब जाकर फैसला आया है। दोनों पक्षों को सुनने, गवाह और साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने आरोपी वाजिद पुत्र वाहिद निवासी बेलदारान को दोषी पाया है। जिसके तहत न्यायालय में तैनात जज रजत शुक्ला ने धारा 354 में दो वर्ष का कारावास तथा धारा 452 में तीन वर्ष का साधारण कारावास एवं एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं, दूसरे आरोपी आरिफ पुत्र नूरु की मौत होने के कारण उसे उपशमित कर दिया गया।